अब मैकेनिकली कव्हर्ड ट्रक से होगा कोयला परिवहन
रायगढ़: प्रदूषण पर काबू पाने के लिए कई तरह की गाइडलाईन लागू की जाती है लेकिन उद्योगों के दबाव में ढील भी दे दी जाती है। जिन खनिजों के परिवहन से डस्ट होता है, उसके लिए मैकेनिकली कव्हर्ड कास उपयोग करना पड़ेगा। 2021 में बने इस नियम में जुलाई 2024 तक ही ढील दी गई है। इसके बाद सभी उद्योगों को इसका पालन करना पड़ेगा। कोयला, आयरन ओर, लाइमस्टोन, सीमेंट आदि के परिवहन में डस्ट उत्सर्जित होता है जिससे प्रदूषण होता है। छग पर्यावरण संरक्षण मंडल ने 12 अगस्त 2021 को निर्णय लिया था कि अब मैकेनिकली कव्हर्ड ट्रकों से ही इन खनिजों का परिवहन किया जाए।
स्पंज आयरन उद्योग, सीमेंट प्लांट, कोल वॉशरी को सम्मति देने पर यह शर्त भी रखी जानी है कि वे खनिजों का परिवहन ऐसे विशेष ट्रकों में करेंगे। लेकिन उद्योगों के निवेदन पर सीईसीबी ने इसमें दो साल की छूट दी थी। इस अवधि में भी उद्योगों को कच्चे माल व उत्पादों की ढुलाई तारपोलिन या उपयुक्त मटेरियल से ढंककर किया जाना था। छूट की अवधि 12 जुलाई 2023 को समाप्त हो चुकी है। अब सीईसीबी ने छूट को बढ़ाकर 12 जुलाई 2024 तक कर दिया है। इसके बाद उद्योगों को मैकेनिकली कव्हर्ड ट्रकों का इस्तेमाल करना होगा।
2021 में जारी हुई थी गाइडलाईन, सीईसीबी ने 13 जुलाई 2024 तक दी है ढील
प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण खराब सड़क
रायगढ़ जिले में सबसे ज्यादा प्रदूषण खराब सडक़ के कारण होता है। सडक़ पर फैली डस्ट उडऩे से प्रदूषण बढ़ रहा है। गाडिय़ों से कोयला और फ्लाई एश गिरने के कारण भी प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। मैकेनिकली कव्हर्ड ट्रकों के इस्तेमाल से शायद इसमें कमी आए।