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रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में दवाइयों की कमी की वजह क्या है..!?

डॉक्टर क्यूँ लिखते हैं ऐसी दवाएं जो नहीं होती उपलब्ध!!

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ – नाम बड़े और दर्शन छोटे यह कहावत मेडिकल कॉलेज के लिए एक दम सटीक बैठ रहा है क्योंकि जिस मेडिकल कॉलेज को बनाने के लिए जनता की गाढ़ी कमाई के एक एक रुपए मिला कर करोड़ो की लागत से इस मेडिकल कॉलेज का निर्माण सरकार ने इस उद्देश्य से करवाया था कि रायगढ़ की जनता को बेहतर चिकित्सा और सरकारी दवाइयों का लाभ मिलेगा।

लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर नजर आती है क्योंकि जब भी कोई इलाज के लिए जाता है तो उसे अपने मोबाइल में आभा एप डाउनलोड कर उसमें जटिल प्रक्रिया करने के लिए कहा जाता है और फिर रशिद के बदले 10/- लिया भी जाता है लेकिन सबसे परेशानी उस व्यक्ति के लिए होती है जो एंड्रॉयड मोबाइल फोन का उपयोग नही करते उन्हें भी घुमा दिया जाता है अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए एंड्रॉयड मोबाइल का चलाना अनिवार्य है क्या इन उपकरणों के बिना कोई बेहतर इलाज का हकदार नही हो सकता….?

मेडिकल कॉलेज में दवाइयों की कमी क्यों….?

कोई भी व्यक्ति सरकारी अस्पताल में इलाज इस उद्देश्य से करवाता है कि वह परिवार बाजार में मिलने वाली महंगी दवाइयों का खर्च नहीं उठा सकता और अपने परिवार के लिए बेहतर इलाज करवाने की इच्छा रखता है जिससे उसका परिवार सुरक्षित रहे लेकिन रायगढ़ के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के द्वारा दवाई तो लिख दी जाती है लेकिन जब उस दवाई को लेने के लिए काउंटर पर जाते है तब एक दवाई देते है और यह बोला जाता है कि बाकी दवाई बाजार से खरीद लेना।

आज का ताजा मामला सुनने में आपको भले ही अजीब लगेगा लेकिन सत्य है एक गरीब परिवार मेडिकल कॉलेज अपने बच्चे को होने वाले दस्त का इलाज करवाने पहुंचे थे डॉक्टर साहब ने एक सिरप, एक पाउडर और ors लिखा लेकिन जब दवा वितरण काउंटर पर पहुंचे तो ors का पैकेट पकड़ा दिया गया और बची दवाइयों को बाजार से खरीदने की सलाह दी गई और जब यह कहा गया कि डॉक्टर साहब यह सब दवाई यहीं मिलेगा बोले है तो काउंटर पर मौजूद कर्मचारी का सीधा जवाब था डॉक्टर को क्या मालूम दवाई है या नही….? ऐसे में एक सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मेडिकल कॉलेज में दवाइयां उपलब्ध नही है या फिर बाजार से दवाई खरीदवाने का सिर्फ एक माध्यम लेकिन इन सब मे उस गरीब परिवार की क्या गलती जिसमे सरकारी मेडिकल कॉलेज के ऊपर भरोसा करके 10 किलोमीटर का सफर तय करके मेडिकल कॉलेज पहुँचा महज ors के लिए।

ऐसे में एक सवालिया निशान मेडिकल कॉलेज पर खड़ा होता है कि इस अव्यवस्था का जिम्मेदार कौन है…?

Amar Chouhan

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