रायगढ़ में हिंडाल्को की कोयला खदान से परेशान ग्रामीण धरने पर, मकानों और सेफ्टीक टैंक में दरारें और रोजगार का संकट

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड की गारे पेलमा 4/4 कोल माइंस (बनखेता माइंस) के संचालन से कोंडकेल और आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों का जीवन मुश्किल में पड़ गया है। कोयला खनन के लिए की जा रही भारी ब्लास्टिंग की वजह से ग्रामीणों के मकानों और सेप्टिक टैंकों में दरारें पड़ रही हैं, जिससे नाराज होकर बुधवार को कोंडकेल के ग्रामीणों ने कंपनी के खिलाफ धरना शुरू कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि खनन कार्यों ने उनकी आजीविका और पुश्तैनी संपत्तियों को खतरे में डाल दिया है।

ग्रामीणों की समस्याएं:
हिंडाल्को की खदान ने तमनार ब्लॉक के कई गांवों को प्रभावित किया है। ब्लास्टिंग के कारण मकानों में दरारें, सेप्टिक टैंकों का क्षतिग्रस्त होना, और भूजल स्तर का तेजी से घटना आम शिकायतें हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी पुश्तैनी जमीनें खनन के लिए ले ली गईं, लेकिन बदले में न तो उचित मुआवजा मिला और न ही रोजगार के अवसर। खेती के लिए जमीन कम होने से आजीविका का संकट गहरा गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी ने उनके हितों की अनदेखी की है, जिससे उनकी जड़ों से उजड़ने की नौबत आ गई है।

रोजगार और पुनर्वास का अभाव:
जिन ग्रामीणों ने अपनी जमीन खनन के लिए दी, उन्हें कंपनी से रोजगार के नाम पर केवल आश्वासन मिले। प्रभावित परिवारों का कहना है कि उनकी आजीविका छिन गई, लेकिन कंपनी ने पुनर्वास नीति के तहत कोई ठोस कदम नहीं उठाया। खेती का विकल्प खत्म होने और रोजगार न मिलने से ग्रामीणों का जीवन-यापन कठिन हो गया है।

कंपनी का रवैया:
हिंडाल्को ने ग्रामीणों के आंदोलन के बाद एक बार फिर सर्वे कराने का वादा किया है। पहले भी ब्लास्टिंग से हुए नुकसान के लिए कंपनी ने प्रति मकान 2500 रुपये का मुआवजा दिया था, जिसे ग्रामीणों ने अपर्याप्त बताया। उनका कहना है कि इतनी छोटी राशि से मकानों की मरम्मत संभव नहीं है। कंपनी ने अब दोबारा सर्वे का आश्वासन दिया है, लेकिन ग्रामीणों का भरोसा टूट चुका है।

खनन का दायरा और प्रभाव:
गारे पेलमा 4/4 खदान के लिए करीब 885 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है, जहां ओपन कास्ट और अंडरग्राउंड खनन की योजना थी। हालांकि, कंपनी ने फिलहाल अंडरग्राउंड खनन को रोक रखा है। फिर भी, ओपन कास्ट खनन के कारण आसपास के गांवों में पर्यावरणीय और सामाजिक समस्याएं बढ़ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यही स्थिति रही, तो तमनार ब्लॉक भविष्य में केवल कोयला खदानों का क्लस्टर बनकर रह जाएगा।
ग्रामीणों की मांग:
कोंडकेल के ग्रामीणों ने बुधवार को सुबह से शुरू किए गए धरने में अपनी मांगों को स्पष्ट किया। वे उचित मुआवजे, रोजगार के अवसर, और ब्लास्टिंग के कारण होने वाले नुकसान को रोकने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
यह स्थिति न केवल हिंडाल्को के लिए, बल्कि सरकार और नीति-निर्माताओं के लिए भी एक चुनौती है कि वे विकास और ग्रामीण हितों के बीच संतुलन कैसे बनाएंगे।