दिसंबर में लागु हो सकती है आचार संहिता,जनवरी में निकाय व पंचायत चुनाव के आसार

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायपुर। प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ होंगे। नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा दिसंबर में होगी। इसी के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। आचार संहिता चुनाव की घोषणा के दिन से नतीजों की तारीख तक लागू मानी जाएगी। नगरीय निकाय और त्रि-पंचायत चुनाव कई फेस में होंगे।इसके पहले सरकार को कुछ बड़े काम करने होंगे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण नगर पालिक अधिनियम, नगर निगम अधिनियम और पंचायत अधिनियम में बदलाव यानी संशोधन करना होगा।अध्यादेश भी लाया जा सकता है। इसे पहले कैबिनेट, राज्यपाल व विधानसभा की मंजूरी आवश्यक होगी। इसके साथ ही आरक्षण भी तय करना होगा। हाल ही में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने ओबीसी का सर्वे कर रिपोर्ट शासन को दी है। आयोग की रिपोर्ट व सिफारिशों को कैबिनेट ने सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी है।नगर पालिका निगम, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के अध्यक्षों का चुनाव सीधी नगरीय निकाय प्रणाली से होगा या नहीं इस पर भी कैबिनेट फैसला करेगी। इस संबंध में अध्यादेश बी राज्यपाल को भेजा जाएगा। ये काम हो जाने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग कार्यक्रम जारी करेगा। इसलिए सरकार की अगली कैबिनेट की बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है।
मंत्रालयीन और राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार निकाय और पंचायत चुनाव की तिथि में थोड़ा अंतर होगा।सरकारी संसाधनों और तकनीकी तथा सुरक्षा के मद्देनजर एक ही तारीख में दोनों चुनाव साथ कराना नहीं है। यही वजह है कि केंद्रीय चुनाव आयोग भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव कई फेस में करवाता है। इस बार चुनाव सात फेस में हुए थे।इसकी एक बड़ी वजह चुनाव कराने और सुरक्षा देने वाला अमला समान होता है।इसलिए फरवरी में विधानसभा के बजट सत्र के पहले दोनों चुनाव कराने की तैयारी पूरी कर ली गई है। यह जरूर है कि निकाय और पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना अलग अलग जारी होगी। आयोग के कार्यक्रम के अनुसार आचार संहिता के दिन समान हो सकते हैं। पंचायत चुनाव के नतीजे मतदान के दिन ही जारी कर दिए जाते हैं। इसके उलट निकाय चुनाव कई चरणों में पूरा होने के बाद किसी तय तारीख को वोटों की गिनती और परिणाम जारी होते हैं।
5 जनवरी से पहले चुनाव करवाना होगा
प्रदेश में नगरीय निकायों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। 5 जनवरी के पहले चुनाव कराना जरूरी है। इसमें उपरोक्त वजहों को देखते हुए चुनाव तय समय पर नहीं होंगे।इसके पहले ही सरकार ने दो अधिसूचनाओं के जरिए कार्यकाल में छह महीने तक बढ़ाने को पहले ही तैयारी कर ली है। तय समय पर चुनाव नहीं होने पर प्रशासक बैठाए जाएंगे। फिर भी छह महीने में चुनाव कराने ही होंगे। वर्तमान में ज्यादातर निकायों में कांग्रेस की सत्ता है। इस वजह से सरकार के भी जोड़कर देखा जा रहा है।