रायगढ़ में रेत खदानों की ई-नीलामी तीन चरणों में — 31 अक्टूबर से होगी डिजिटल पारदर्शिता की शुरुआत

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।
छत्तीसगढ़ शासन ने रेत खदानों की पारदर्शी और निष्पक्ष नीलामी सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। इस वर्ष रायगढ़ जिले की 16 रेत खदानों की नीलामी पूरी तरह से ऑनलाइन ई-ऑक्शन (E-Auction) प्रणाली के माध्यम से की जाएगी। यह पहली बार है जब राज्य में रिवर्स ऑक्शन के तहत रेत खदानों की बिक्री प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इससे न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि अवैध रेत उत्खनन पर भी प्रभावी नियंत्रण की उम्मीद है।
🔹 तीन चरणों में होगी नीलामी प्रक्रिया
पूरा जिला तीन चरणों में विभाजित किया गया है ताकि तकनीकी और प्रशासनिक औपचारिकताएँ सुचारू रूप से पूरी की जा सकें।
पहला चरण 31 अक्टूबर से प्रारंभ होगा।
इस चरण के अंतर्गत खरसिया का बरभौना, धरमजयगढ़ का बायसी, घरघोड़ा का कंचनपुर, रायगढ़ ब्लॉक का लेबड़ा और छाल क्षेत्र का पुसल्दा रेत घाट शामिल किए गए हैं। इच्छुक आवेदक एमएसटीसी पोर्टल (MSTC Portal) के माध्यम से आवेदन कर सकेंगे। आवेदन की अंतिम तिथि 6 नवंबर निर्धारित की गई है। इसके बाद पात्रता की जांच और तकनीकी मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू होगी।
दूसरा चरण 14 नवंबर से प्रस्तावित है।
इस चरण के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। कुल छह रेत खदानों की नीलामी इस दौर में की जाएगी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, हर चरण के बीच अंतराल इसलिए रखा गया है ताकि प्रक्रिया में किसी तरह की जल्दबाज़ी या विवाद की गुंजाइश न रहे और स्थानीय स्तर पर संतुलन बना रहे।
तीसरे चरण में शेष पांच रेत घाटों की नीलामी की जाएगी।
यह प्रक्रिया नवंबर के अंतिम सप्ताह से आरंभ होगी। इनमें घरघोड़ा के छिरभौना, छाल के जोगड़ा, रायगढ़ क्षेत्र के सरडामाल, डूमरपाली और दुलोपुर रेत घाट शामिल हैं। ये सभी घाट मांड और कुरकुट नदी तटों पर स्थित हैं।
🔹 पारदर्शिता और राजस्व वृद्धि की उम्मीद
खनिज विभाग का कहना है कि ई-ऑक्शन प्रणाली से न केवल राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी बल्कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। डिजिटल प्रणाली से ठेकेदारों के बीच प्रतिस्पर्धा निष्पक्ष तरीके से होगी और किसी भी तरह की स्थानीय दबाव राजनीति या गुप्त समझौते की गुंजाइश नहीं रहेगी।
🔹 ठेकेदारों में उत्साह, अवैध उत्खनन पर भी लगेगी लगाम
नई डिजिटल व्यवस्था को लेकर ठेकेदारों में उत्साह देखा जा रहा है। उनका मानना है कि यह प्रणाली समय की मांग है और इससे खदान आवंटन प्रक्रिया अधिक सरल और विश्वसनीय बनेगी। वहीं प्रशासन को उम्मीद है कि ऑनलाइन मॉनिटरिंग और नीलामी ट्रैकिंग सिस्टम से अवैध रेत परिवहन पर नियंत्रण संभव हो सकेगा।
🔹 विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड में
जिला प्रशासन और खनिज विभाग के अधिकारी पूरी तैयारी में जुटे हैं। सभी खदानों की भू-सर्वेक्षण रिपोर्ट, सीमांकन कार्य और ऑनलाइन पोर्टल इंटीग्रेशन का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस बार की प्रक्रिया “ट्रांसपेरेंसी विद टेक्नोलॉजी” की दिशा में एक प्रयोगात्मक लेकिन ऐतिहासिक पहल साबित हो सकती है।