तानाशाही के खिलाफ ग्रामीणों का संघर्ष: रायगढ़ के लिबरा में नाकेबंदी के बाद पुलिस कार्रवाई

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले के तमनार थाना क्षेत्र के लिबरा में ग्रामीणों ने अपनी जायज मांगों को लेकर सीएचपी चौक पर आर्थिक नाकेबंदी की। मंगलवार को धौराभांठा, आमगांव, खुरूसलेंगा सहित अन्य गांवों के लोगों ने 14 सूत्रीय मांगों—वाहनों की ओवरलोडिंग पर रोक, अतिरिक्त डाला बॉडी का उपयोग, वाहनों की गति सीमा, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण, और एनजीटी नियमों का पालन—को लेकर प्रदर्शन किया। यह आंदोलन रात में समझाइश के बाद समाप्त हुआ, लेकिन जेपीएल कंपनी के भू-अर्जन विभाग के महाप्रबंधक रितेश गौतम की शिकायत पर पुलिस ने चार नामजद—राजेश मरकाम, कन्हाई पटेल, अजबंर सिदार, शांति यादव—समेत कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया।
कॉरपोरेट तानाशाही का आरोप
महाप्रबंधक ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने उनकी गाड़ी रोककर अभद्र व्यवहार किया और जान से मारने की धमकी दी। वहीं, प्रदर्शनकारी राजेश मरकाम ने इसे झूठी शिकायत करार देते हुए कहा कि घटना के समय वे वहां मौजूद नहीं थे। उनका दावा है कि यह कार्रवाई आंदोलन को दबाने और कॉरपोरेट तानाशाही को बढ़ावा देने की साजिश है।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
तमनार थाना प्रभारी आर्शीवाद राहटगांवकर ने बताया कि ग्रामीणों को समझाने के बाद आंदोलन समाप्त हुआ, और शिकायत के आधार पर जांच चल रही है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उनकी आवाज को दबाने के लिए पुलिस और कंपनी मिलकर काम कर रहे हैं। यह मामला कॉरपोरेट और प्रशासनिक तानाशाही के खिलाफ ग्रामीणों के संघर्ष को उजागर करता है, जहां उनकी जायज मांगों को अनसुना कर दमनकारी कार्रवाई की जा रही है।