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जिंदल पावर प्लांट की फ्लाई ऐश से उत्तर रेगांव में हाहाकार, ग्रामीणों ने दी अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन की चेतावनी


सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, छत्तीसगढ़: तमनार ब्लॉक के उत्तर रेगांव क्षेत्र में जिंदल पावर प्लांट से निकलने वाली फ्लाई ऐश स्थानीय ग्रामीणों के लिए मौत का सबब बन गई है। लगभग 21 वर्ष पहले बनाए गए फ्लाई ऐश भंडारण स्थल ने अब क्षेत्रवासियों की जिंदगी को नर्क बना दिया है। गर्मी के मौसम में हल्की हवा या तूफान के साथ उड़ने वाली फ्लाई ऐश की धूल और धुआं आसपास के गांवों में फैल रहा है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं जैसे श्वसन रोग, हृदय रोग और कैंसर का खतरा बढ़ गया है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जिंदल पावर प्लांट ने फ्लाई ऐश के सुरक्षित निपटान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए, जिसके चलते यह जहरीली राख हवा में फैलकर उनके घरों, खेतों और पानी के स्रोतों को दूषित कर रही है। इससे न केवल मानव स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि कृषि और पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी ने उनकी शिकायतों को लगातार अनदेखा किया, जिससे अब उनका सब्र जवाब दे चुका है।

फ्लाइंग ऐश फ्रॉम डेम

20 मई 2025 को उत्तर रेगांव के सैकड़ों ग्रामीणों और महिलाओं ने तहसीलदार तमनार और थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपकर अपनी पीड़ा बयां की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जिंदल पावर प्लांट ने फ्लाई ऐश के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए, तो वे 26 मई 2025 से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू करेंगे। ग्रामीणों ने मांग की है कि कंपनी फ्लाई ऐश के भंडारण और निपटान के लिए पर्यावरण-अनुकूल उपाय अपनाए, जैसे कि साइलो में भंडारण और नियमित जल छिड़काव, ताकि धूल को नियंत्रित किया जा सके।

ग्रामीणों का गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि जिंदल पावर प्लांट ने क्षेत्र में सोलर पावर जैसे पर्यावरण-अनुकूल प्रोजेक्ट्स की बात तो की, लेकिन फ्लाई ऐश जैसी गंभीर समस्या को हल करने में पूरी तरह विफल रहा। एक ग्रामीणी ने कहा, “हमारी सांसें फ्लाई ऐश की धूल में घुट रही हैं, हमारे बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन कंपनी को केवल मुनाफे की चिंता है।” और लगातार फ्लाईऐश डंपिंग यार्ड (डेम) को क्षमता से अधिक बढ़ाते हुए कई गुना ज्यादा ऐश डंप किया जा रहा है।

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लाई ऐश में सिलिकॉन डाइऑक्साइड, एल्यूमिनियम ऑक्साइड और भारी धातुएं होती हैं, जो जल और मिट्टी को दूषित कर सकती हैं। सिंगरौली में रिलायंस पावर प्लांट के ऐश डैम टूटने की घटना इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहां जहरीली राख ने नदियों और खेतों को बर्बाद कर दिया था। उत्तर रेगांव के ग्रामीणों का डर है कि उनकी जमीन और पानी भी ऐसी ही त्रासदी का शिकार हो सकते हैं।


जिंदल पावर प्लांट की इस लापरवाही ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि कंपनी के सामाजिक उत्तरदायित्व पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और जिला प्रशासन इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे और जिंदल को जवाबदेह ठहराए। यदि कंपनी ने जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं की, तो उत्तर रेगांव के ग्रामीणों का आंदोलन और उग्र हो सकता है।

Amar Chouhan

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