“पारदर्शिता नहीं, सम्मान नहीं – अब ग्राम स्वराज ही रास्ता!”
रायगढ़ से विशेष रिपोर्ट:
ग्राम पंचायत गोढ़ी के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों की खुली चेतावनी
सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गोढ़ी में लोकतंत्र और पंचायती राज व्यवस्था को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत गोढ़ी से कसडोल तक चल रहे सड़क निर्माण में जबरदस्त अनियमितताओं और प्रशासनिक दबाव का आरोप लगाते हुए पंचायत प्रतिनिधियों ने न केवल सामूहिक त्यागपत्र देने की घोषणा की है, बल्कि अब ग्रामीण अपने गांव को ‘स्वराज ग्राम’ घोषित करने पर भी विचार कर रहे हैं।
क्या है मामला?
गोढ़ी पंचायत में सड़क निर्माण कार्य जिंदल पावर लिमिटेड के CSR फंड से कराया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार इस निर्माण में कई किसानों की कृषि भूमि प्रभावित हो रही है, न मुआवजा दिया गया, न प्राकलन रिपोर्ट साझा की गई और न ही विभागीय अनुमति सार्वजनिक की गई। जब पंचायत प्रतिनिधियों ने इसका विरोध करते हुए जवाब मांगा, तो उन्हें घरघोड़ा SDM रमेश मोर द्वारा फोन पर नामजद FIR की धमकी दी गई।
“हमने सेवा के लिए चुना था, अपमान के लिए नहीं”
ग्राम गोढ़ी के उपसरपंच हरिशंकर गुप्ता और सरपंच प्रतिनिधि टिकेश्वर सिदार सहित सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर वे पंचायत में रहकर भी जनता की आवाज नहीं उठा सकते, तो ऐसे लोकतंत्र में काम करना संभव नहीं। प्रतिनिधियों का कहना है कि जब उन्होंने शांतिपूर्ण ढंग से मुआवजा और अनुमति से संबंधित सवाल पूछे, तो प्रशासन ने उन्हें अपराधी की तरह धमकाया।
अब उठी ‘ग्राम स्वराज’ की मांग
इस घटनाक्रम के बाद ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन पंचायती राज और ग्रामसभा को कमजोर करता है, तो अब महात्मा गांधी के सपने के अनुसार ग्राम स्वराज ही अंतिम विकल्प है।
ग्रामीणों का कहना है:
“अगर प्रशासनिक अधिकारी केवल विधायक-सांसदों की ‘जी-हुज़ूरी’ करते हैं, और पंचायत प्रतिनिधियों को अपमानित करते हैं, तो फिर हमें क्यों चुना गया?”
“हमारा गांव हमारी ज़िम्मेदारी है – यदि शासन ने सम्मान नहीं दिया, तो हम शासन के भरोसे नहीं रहेंगे।”
क्या है ग्राम स्वराज?
‘ग्राम स्वराज’ का अर्थ है कि गांव खुद अपनी योजना, संसाधन और प्रशासन को नियंत्रित करे। यह अवधारणा गांधीजी द्वारा प्रस्तुत की गई थी जिसमें ग्रामसभा सर्वोच्च होती है। गोढ़ी के ग्रामीण अब उसी दिशा में सोचने को मजबूर हुए हैं क्योंकि उनका कहना है कि शासन-प्रशासन ने उन्हें वह सम्मान और अधिकार नहीं दिए जो भारतीय संविधान ने पंचायतों को दिए हैं।
शासन की जिम्मेदारी पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने शासन और प्रशासन की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
क्या जनप्रतिनिधियों की गरिमा अब केवल कागज़ों तक सीमित रह गई है?
क्या गांव के विकास कार्यों में पारदर्शिता की मांग करना अब अपराध है?
अब सवाल शासन से
पंचायत प्रतिनिधियों को धमकाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई कब होगी?
सड़क निर्माण से प्रभावित किसानों को न्याय मिलेगा या नहीं?
क्या शासन गोढ़ी पंचायत को स्वराज ग्राम बनने से रोकेगा या इसे जनाक्रोश की आवाज मानेगा?
ग्राम गोढ़ी की इस लड़ाई को अब केवल एक पंचायत का मुद्दा नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के पंचायती राज तंत्र की असल परीक्षा माना जा रहा है।