तमनार के हमीरपुर में सुशासन तिहार के समाधान शिविर में अव्यवस्था का आलम, जनता में निराशा

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 7 मई 2025: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सुशासन तिहार के तहत आयोजित समाधान शिविरों का उद्देश्य जनता की समस्याओं का त्वरित निराकरण और शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाना था। लेकिन रायगढ़ जिले के तमनार अंतर्गत हमीरपुर शिविर में प्रशासनिक अव्यवस्था और अपर्याप्त व्यवस्थाओं ने जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हमीरपुर में लगे शिविर में लोगों को लंबी कतारों, अपूर्ण जानकारी और सुस्त प्रक्रिया का सामना करना पड़ा।
हमीरपुर में स्थिति निराशाजनक
तमनार के हमीरपुर में 2853 में से 2837 आवेदनों के निराकरण का दावा किया गया, लेकिन केवल 30 राशन कार्ड वितरित किए गए। स्थानीय निवासी नरेश राठिया ने कहा, “शिविर में भीड़ थी, लेकिन कई कर्मचारी समय पर नहीं पहुंचे रहे। कई प्रकार के शासकीय काम के लिए आए सैकड़ों लोग बिना जानकारी के लौट गए। कई आवेदकों को उनकी समस्याओं की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।

प्रशासनिक दावों और जमीनी हकीकत में अंतर
प्रशासन का दावा है कि सुशासन तिहार के तहत जिले में हजारों आवेदनों का निराकरण किया गया है, लेकिन शिविर में मौजूद लोगों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में केवल कागजी कार्रवाई दिखाई गई, जबकि वास्तविक समाधान नदारद रहा। शिविरों में विभागीय अधिकारियों की कमी, अपर्याप्त स्टाफ और तकनीकी संसाधनों की अनुपस्थिति ने स्थिति को और बदतर बनाया।
जिला पंचायत सदस्य रमेश बेहरा ने कहा की जनप्रतिनिधि तो लोगों का काम करेंगे ही पर प्रशासन को और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, उन्होंने डीएमफ और सीएसआर की राशि से जिले में ही अधिक से अधिक विकास करने स्थानीय युवाओं को क्षेत्र के उद्योगों में रोजगार समेत सड़क सुरक्षा की बात रखी तो वहीं रायगढ़ पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल ने कहा की किसी भी असुरक्षा की स्थिति में वे उन्हें तत्काल सूचना दें और 112 की सुविधा के बारे में भी जानकारी दी।

निष्कर्ष: सुशासन तिहार या अव्यवस्था का तमाशा?
रायगढ़ जिले में सुशासन तिहार के नाम पर आयोजित समाधान शिविरों ने प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी। प्रचार प्रसार की कमी, पानी की अव्यवस्था और समस्याओं के समाधान में देरी ने जनता में निराशा पैदा की है। यदि सरकार वास्तव में सुशासन की दिशा में काम करना चाहती है, तो उसे इन शिविरों की कार्यप्रणाली में सुधार और जमीनी स्तर पर प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करनी होगी। अन्यथा, सुशासन तिहार केवल कागजी दावों तक सीमित रह जाएगा।