घरघोड़ा अनुविभाग में भू-अर्जन अनियमितताओं में एसडीएम कार्यालय की भूमिका संदिग्ध, अगस्त 2023 में एसईसीएल ने लिखा था पत्र.. अब लगी रोक

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़। घरघोड़ा अनुविभाग में हो रहे भूमि अधिग्रहण में अनियमिताओं के लिए राजस्व विभाग ही पूरी तरह जिम्मेदार है। जितने भी एसडीएम और तहसीलदार पदस्थ रहे, किसी ने भी अपना काम ठीक तरह से नहीं किया। आवंटी कंपनी पहले ही आपत्ति दर्ज करा देती है, लेकिन उस पर कार्रवाई एक-दो साल बाद की जाती है। पहले एनटीपीसी, सीएसपीजीसीएल, महाजेंको और अब एसईसीएल के साथ भी ऐसा ही किया गया। एसईसीएल ने कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए बरौद खदान का विस्तार करने अधिग्रहण शुरू किया है। इसके लिए इन्वायरमेंट क्लीयरेंस मिल चुकी है। पोरडा चिमटापानी प्रोजेक्ट भी शुरू होने वाला है। दोनों प्रोजेक्ट के तहत ग्राम पोरडा, पोरडी, कुर्मीभौना, कटरापाली, कांटाझरिया में भूअर्जन हो रहा है।
भूमि पर परिसंपत्तियों के आकलन के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है। दो साल पहले ही इसकी फाइल चल गई थी। एसईसीएल ने पाया कि इन गांवों में टुकड़ों में जमीन बिक्री, डायवर्सन के साथ अवैध निर्माण हो रहे हैं। 23 अगस्त 2023 को एसईसीएल की ओर से एसडीएम घरघोड़ा को पत्र लिखा गया। इसमें कहा गया कि बरौद विस्तार और पोरडा-चिमटापनी के लिए कोल बेरिंग एक्ट के तहत भूअर्जन होना है। अधिग्रहित भूमि पर अधिक मुआवजा पाने के लिए गांवों में अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। धारा 9(1) के बाद निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। अवैध निर्माण पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इसके एक साल बाद 23 सितंबर 2024 को एसडीएम घरघोड़ा ने इन गांवों में नवीन निर्माण कार्य पर रोक लगाया। मतलब एक साल तक वहां निर्माण होने दिए गए ताकि सर्वे में इसे जोड़ा जा सके। बाकी काम सर्वे टीम और आरआई-पटवारी ने कर दिया है।
सर्वे में भी हो रही गड़बड़ी
तमनार और घरघोड़ा में राजस्व विभाग का जमीनी अमला दलालों के सीधे संपर्क में होता है। यहां के बड़े किसान और दलाल मिलकर किसी भी प्रोजेक्ट का भविष्य तय करते हैं। बरौद विस्तार में भी ऐसा ही किया गया है। सर्वे के दौरान जो नया निर्माण मिल रहा है, उसको शामिल किया जा रहा है। असिंचित भूमि के मालिक को कहा गया कि बोरवेल खनन कर लें ताकि उसे सिंचित बताया जा सके। कच्चे मकान को पक्का बताया गया। ग्रामीणों को कहा गया कि वे जल्द ही पक्का मकान बना लें। अब सर्वे के बाद एसईसीएल से राशि लेकर बांटी जाएगी।
बजरमुड़ा में फंस गया पेंच
बजरमुड़ा कांड अब लिखित दस्तावेज के रूप में सरकार के पास जमा हो चुका है। इसे कोई झुठला नहीं सकता और न ही जांच टीम पर सवाल उठा सकता है। सबकुछ साफ-साफ लिख दिया गया है। हालांकि जिम्मेदारों के नाम तय करने में संकोच किया गया। भूअर्जन घोटाले में दो पटवारियों को ही जिम्मेदार माना गया है। बाकी अफसरों ने राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग में सांठगांठ कर ली है। कई मंत्री इन अधिकारियों को बचाने में लगे हैं। अब एसईसीएल का प्रोजेक्ट भी इसी भ्रष्टाचार का शिकार हो गया है।
जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान..✍️