सोशल मीडिया पर लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने वाले युवक को कोतरारोड़ पुलिस ने भेजा जेल, लगाया एट्रोसिटी एक्ट

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले में एक दूसरे प्रदेश के युवक द्वारा सोशल मीडिया के जरिए भारत के लोकतंत्र और संविधान की नींव पर हमला करने का सनसनीखेज मामला सामने आया। कोतरारोड़ पुलिस ने आरोपी दीपांशु सिंह राजपूत (20 वर्ष), निवासी रीवा (मध्य प्रदेश), हाल मुकाम भगवानपुर, रायगढ़ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। आरोपी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर और विशेष समुदायों के खिलाफ आपत्तिजनक, अभद्र और जातिगत टिप्पणियां पोस्ट की थीं, जो संविधान की मूल भावना और सामाजिक समरसता को ठेस पहुंचाने वाली थीं।
भीम आर्मी भारत एकता मिशन छत्तीसगढ़ के जिला अध्यक्ष श्रवण कुमार महेश की लिखित शिकायत पर कार्रवाई करते हुए कोतरारोड़ पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। शिकायत में कहा गया कि आरोपी की पोस्ट न केवल डॉ. अंबेडकर के सम्मान को चोट पहुंचाने वाली थी, बल्कि विशेष समुदायों के खिलाफ घृणा और वैमनस्य फैलाकर संवैधानिक मूल्यों पर प्रहार करती थी। थाना प्रभारी निरीक्षक त्रिनाथ त्रिपाठी ने साइबर साक्ष्य जुटाकर आरोपी को चिन्हित किया और हिरासत में लिया। पूछताछ में दीपांशु सिंह ने अपराध स्वीकार किया, जिसके बाद उसका मोबाइल जब्त कर विधिवत गिरफ्तारी की गई।
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास), 351(1), 352(2) और अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(2)(v)(a) के तहत मामला दर्ज किया। न्यायालय में पेशी के बाद आरोपी को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। इस कार्रवाई में निरीक्षक त्रिनाथ त्रिपाठी और उप निरीक्षक कुसुम कैवर्त की भूमिका सराहनीय रही।
यह घटना लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ एक हमले के रूप में देखी जा रही है, जिसमें गंदी मानसिकता से प्रेरित होकर आरोपी ने सामाजिक एकता को भंग करने का प्रयास किया। रायगढ़ पुलिस ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर संवैधानिक मूल्यों, जातीय या धार्मिक सौहार्द को ठेस पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है। ऐसी घृणास्पद हरकतों पर तत्काल और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, ताकि समाज में समता और न्याय की भावना अक्षुण्ण रहे।
यह मामला न केवल सामाजिक विद्वेष फैलाने की कोशिश है, बल्कि संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर के आदर्शों और उनके द्वारा स्थापित समावेशी भारत के सिद्धांतों पर भी सीधा आघात है।