Latest News

ठुसेकेला हत्याकांड: पड़ोसी की चरित्र शंका और पुरानी रंजिश ने उजाड़ दिया एक पूरा परिवार, रायगढ़ पुलिस ने 48 घंटे में रचा इतिहास

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 13 सितंबर 2025 : छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के खरसिया थाना क्षेत्र में ठुसेकेला गांव के राजीव नगर मोहल्ले ने एक ऐसी खौफनाक रात देखी, जिसकी त्रासदी आज भी ग्रामीणों के दिलो-दिमाग में कांप रही है। एक साधारण राजमिस्त्री परिवार की चार जिंदगियां—पिता, मां और दो मासूम बच्चे—रात के अंधेरे में कटते चाकूओं की चमक में लिपट गईं। हत्यारों ने न सिर्फ उनकी हत्या की, बल्कि शवों को घसीटकर घर के पिछवाड़े की बाड़ी में खाद के गड्ढे में दफना दिया, मानो कोई भयानक सपना छिपाने की कोशिश हो। लेकिन सच्चाई का पर्दाफाश होने में महज 48 घंटे लगे। रायगढ़ पुलिस ने न सिर्फ इस जघन्य हत्याकांड का खुलासा कर दिया, बल्कि आरोपी—पड़ोसी लकेश्वर पटेल और उसके नाबालिग बेटे—को भी दबोच लिया। वजह? चरित्र पर शंका, जमीन का लालच और छह महीने पुरानी चोरी की रंजिश। यह कहानी सिर्फ एक अपराध की नहीं, बल्कि पड़ोस की उन दरारों की है, जो कभी-कभी खून के धब्बों में तब्दील हो जाती हैं।

सनसनीखेज शुरुआत: बंद घर से उठी बदबू, जो बदल गई किस्मत
यह सब शुरू हुआ 11 सितंबर की सुबह, जब ठुसेकेला के राजीव नगर में एक सन्नाटा छाया हुआ था। मंगलवार (9 सितंबर) की शाम को राजमिस्त्री बुधराम उरांव (42 वर्ष) अपने दैनिक काम से लौटे थे। शाम पांच बजे घर पहुंचे, शायद परिवार के साथ हंसी-मजाक की, लेकिन अगले दो दिनों में उनका घर अंदर से बंद हो गया। ग्रामीणों को शक हुआ जब गुरुवार को घर से तेज दुर्गंध आने लगी। “पहले तो लगा कोई जानवर मर गया होगा, लेकिन बदबू इतनी तेज थी कि सांस लेना मुश्किल हो गया,” बताया एक स्थानीय निवासी ने। घबराए ग्रामीणों ने खरसिया पुलिस को सूचना दी।

जैसे ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची, मंजर दिल दहला देने वाला था। घर के अंदर खून के छींटे बिखरे पड़े थे—दीवारों पर, फर्श पर, यहां तक कि दरवाजे पर। लेकिन शव? वो घर के पिछवाड़े की बाड़ी में, खाद के गड्ढे में दफन मिले। फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल), डॉग स्क्वॉड और बॉलिस्टिक डिपार्टमेंट सर्विस (बीडीएस) की संयुक्त टीम ने सीन रिकंस्ट्रक्शन किया। गड्ढा खोदा गया तो बाहर निकले चार शव: बुधराम उरांव, उनकी पत्नी सहोद्रा (37 वर्ष), बेटा अरविंद (12 वर्ष) और बेटी शिवांगी (5 वर्ष)। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने पुष्टि की—धारदार हथियारों से गले और सिर पर वार। बच्चे सोते हुए मारे गए, मां-बाप ने शायद बचाने की कोशिश की, लेकिन सब व्यर्थ। परिवार की सबसे बड़ी बेटी, जो बाहर पढ़ाई कर रही थी, चमत्कारिक रूप से बच गई। थाना खरसिया में एफआईआर दर्ज हुई—अपराध क्रमांक 498/2025, धारा 103(1) और 238(ए) बीएनएस के तहत।

पुलिस का ताबड़तोड़ एक्शन: कैंप, टीमें और रेकी का सुराग
इस घटना ने पूरे रायगढ़ को हिला दिया। रेंज आईजी डॉ. संजीव शुक्ला ने तुरंत घटनास्थल का दौरा किया, दिशा-निर्देश दिए। एसपी दिव्यांग कुमार पटेल ने खरसिया में कैंप डाल लिया। “यह सिर्फ हत्या नहीं, एक साजिश थी। हम हर कोण से जांच करेंगे,” एसपी ने बताया। उन्होंने विभिन्न थानों—खरसिया, छाल, कोतरारोड, पूंजीपथरा, जोबी—के प्रभारियों को विशेष टीमें सौंपीं। एडिशनल एसपी आकाश मरकाम, डीएसपी अनिल विश्वकर्मा, एसडीओपी प्रभात पटेल समेत दर्जनों अधिकारी मैदान में उतर पड़े।

जांच की दिशा बदली जब पड़ोसी लकेश्वर पटेल पर शक हुआ। शुरुआती सुराग? घर की रेकी। आरोपी ने कबूल किया कि घटना से पहले बुधराम और सहोद्रा की गैरमौजूदगी में घर की तलाशी ली थी। डॉग स्क्वॉड ने खून के निशान ट्रेस किए, फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट्स ने सबूत जुटाए। पूछताछ में लकेश्वर टूट गया। “मैंने कभी सोचा नहीं था कि रंजिश इतनी गहरी हो जाएगी,” उसने कहा। रीक्रिएशन के दौरान उसने पूरा घटनाक्रम दोहराया: 9 सितंबर की रात बुधराम को नशे में देखा, घर में घुसा, नाबालिग बेटे के साथ हमला किया। शवों को पहले घर में दफनाने की कोशिश की, लेकिन जमीन सख्त होने से बाड़ी ले गए। मेमोरेंडम पर टंगिया, रॉड, गैंती, फावड़ा और खून लगे कपड़े बरामद हुए। दोनों आरोपी गिरफ्तार, न्यायिक रिमांड पर।

रंजिश की जड़ें: चरित्र शंका, जमीन का लालच और चोरी का बदला
अब सवाल यह कि इतना क्रूर क्यों? लकेश्वर पटेल (32 वर्ष), खुद एक राजमिस्त्री, बुधराम का पड़ोसी था। दोनों के बीच पुरानी दुश्मनी। लकेश्वर बुधराम की बाड़ी की जमीन खरीदना चाहता था, लेकिन इंकार मिला। छह महीने पहले उसके बेटे ने बुधराम के घर चोरी की, जो सुलझ गई, लेकिन जख्म गहरा रहा। सबसे घातक—चरित्र शंका। लकेश्वर को लगता था कि बुधराम का परिवार ‘गलत रास्ते’ पर है। “ये शंकाएं सालों से खाए जा रही थीं,” जांच में सामने आया। लकेश्वर का आपराधिक रिकॉर्ड? हत्या का पूर्व सजायाफ्ता, यूपी की जेल काट चुका। नाबालिग बेटा उसका साथी, लेकिन अब जुवेनाइल जस्टिस के दायरे में।

टीम का दमखम: 48 घंटे में जो नहीं हुआ, वो इतिहास रच गया
यह खुलासा रायगढ़ पुलिस के लिए मील का पत्थर है। आईजी और एसपी ने टीम को शाबाशी दी। थाना प्रभारी खरसिया राजेश जांगड़े, चौकी प्रभारी अमित तिवारी, त्रिनाथ त्रिपाठी, राकेश मिश्रा, मोहन भारद्वाज, संजय नाग, लक्ष्मी नारायण राठौर समेत एएसआई मनोज कुमार पटेल, राजेश पटेल, दुर्गेश सिंह, बृजलाल गुर्जर, रेनू मंडावी, प्रशांत पांडा, महेश पांडा, पुष्पेंद्र जाटवर, विकास प्रधान, प्रताप बेहरा, रविंद्र गुप्ता, मनोज मरावी, अशोक देवांगन, संजय मिंज, विशोप सिंह, प्रदीप तिवारी, राजेश राठौर, भगत राम टंडन, मुकेश यादव, साविल चंद्रा, डमरूधर पटेल, सत्या सिदार, प्रियंका मिंज और कालिस्ता कुजूर—ये वो चेहरे हैं जिन्होंने रात-दिन एक कर दिए। वरिष्ठ वैज्ञानिक पी.एस. भगत की अगुवाई में एफएसएल ने कमाल किया। “यह टीम वर्क का नतीजा है,” आईजी डॉ. शुक्ला ने कहा। एसपी पटेल ने संदेश दिया: “कड़ी कार्रवाई होगी, कोई बचेगा नहीं।”

गांव का सदमा: सवालों का सिलसिला
ठुसेकेला आज शोकमग्न है। ग्रामीण कहते हैं, “पड़ोसी था, दोस्त था, फिर ये नफरत?” लेकिन यह घटना सिखाती है—रंजिश को समय रहते सुलझाओ, वरना वो खून बन जाती है। पुलिस का 48 घंटे का रिकॉर्ड तारीफ के काबिल, लेकिन चार जिंदगियां लौटेंगी नहीं। रायगढ़ पुलिस अब गहन जांच जारी रखेगी, शायद और सुराग मिलें। फिलहाल, न्याय की उम्मीद बंधी है।

Amar Chouhan

AmarKhabar.com एक हिन्दी न्यूज़ पोर्टल है, इस पोर्टल पर राजनैतिक, मनोरंजन, खेल-कूद, देश विदेश, एवं लोकल खबरों को प्रकाशित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सहित आस पास की खबरों को पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़ पोर्टल पर प्रतिदिन विजिट करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button