भारतीय रेलवे घरघोड़ा अनुविभाग के कु-प्रसिद्ध भू-अर्जन खेला के लिए सहमत नहीं!!

कोई भी प्राईवेट कंपनी होती तो हो जाती सांठगांठ, रेलवे ने किया विरोध
आठ गांवों में भूमि अर्जन करने के लिए मांगे थे 88 करोड़ रुपए, रेलवे ने किया इंकार!!
अमरदीप चौहान/अमरखबर रायगढ़: तमनार और घरघोड़ा तहसीलों में पूर्व में पदस्थ राजस्व अधिकारियों की वजह से ऐसा माहौल बन चुका है जो अब केंद्रीय परियोजनाओं को भी नुकसान पहुंचा रहा है। राज्य सरकार की खामोशी की वजह से ऐसे राजस्व अधिकारियों की हिम्मत बढ़ती जा रही है। खाली पड़ी जमीन पर भी हवाई महल खड़े करने वाले ये अफसर अब मौज में हैं। इधर रेलवे का प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गसा है। आठ गांवों में रेल लाइन के लिए 88 करोड़ मांगे गए थे जिसे देने से रेलवे ने इंकार कर दिया है। जिस तरह के भूअर्जन प्रकरण तमनार और घरघोड़ा में प्रस्तुत किए जा रहे हैं, उससे एक बात तय है कि आने वाले तमाम कोल ब्लॉक, रेल लाइन और एनएच प्रोजेक्ट की लागत कई गुना बढ़ने वाली है।
इसका एकमात्र कारण राजस्व विभाग ही है। जमीन की वास्तविक रिपोर्ट बनाने के बजाय तिकड़म लगाकर गलत सर्वे रिपोर्ट बनाई जा रही है। कृषि भूमि को डायवर्टेड बताकर अवार्ड पारित किए जा रहे हैं। प्रभावित भूमि का पूरा मद, प्रयोजन ही बदल दिया जा रहा है। बजरमुड़ा कांड की वजह से अब हर प्रोजेक्ट में यही हो रहा है। घरघोड़ा से डोंगामहुआ स्पर लाइन के लिए परिसंपत्तियों का आकलन सवालों के घेरे में है। यह सर्वे 2021-22 में हुआ है। इसमें भी वही कहानी सामने आई है। पटवारी ने रेल लाइन के एलाइनमेंट की जानकारी ग्रामीणों को दी। गांव के धनाढ्य लोगों ने उसी एलाइनमेंट के हिसाब से टिन शेड बना लिए, डायवर्सन भी करवा लिए।
यह सब वहां के राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों के आश्वासन पर किया गया। सर्वे में इसे पक्का निर्माण बताकर मूल्यांकन किया गया। जब रेलवे को डिमांड नोट भेजा गया तो बात बिगड़ गई। आठ गांवों में भूमि के बदले 88 करोड़ रुपए मांगे गए हैं, जिसे देने से रेलवे ने इंकार कर दिया है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना को छग शासन के कुछ अफसरों ने रोक दिया है। अब प्रक्रिया अटक गई है क्योंकि रेलवे के आकलन में इतना मुआवजा नहीं बनता है।

घोटालों की लग गई है लत…
रायगढ़ जिले में भूअर्जन घोटाले कोई नई बात नहीं हैं। एनटीपीसी लारा घोटाला, तलाईपाली रेल लाइन घोटाला, एनएच घोटाला, ईस्ट कॉरीडोर घोटाला, साराडीह बैराज घोटाला, कलमा बैराज घोटाला, केलो नहर घोटाला, बजरमुड़ा घोटाला जैसे दर्जन भर प्रोजेक्ट हैं जिसमें जमकर घपला किया गया है। अब इस नई रेल लाइन में भी वही खेल हो गया। पहले छोटे टुकड़ों में जमीन बिक्री होती थी लेकिन अब लोगों की भूख बढ़ गई है। राजस्व कर्मचारियों ने उनको रास्ता भी दिखा दिया जिसके जरिए करोड़ों का घपला किया जा रहा है।