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रायगढ़: तुरंगा में गोचर भूमि पर अवैध कब्जे के खिलाफ ग्रामीणों का हल्ला बोल, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, छत्तीसगढ़ (11 जून 2025): जिला रायगढ़ की तहसील पुसौर के अंतर्गत ग्राम पंचायत तुरंगा में गोचर, घास, और खेल मैदान की शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे के खिलाफ ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को जन दर्शन के दौरान कलेक्टर कार्यालय में एकत्रित ग्रामीणों ने प्रभारी अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर इस गंभीर मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों ने मांग की है कि गोचर भूमि का सीमांकन कर अवैध कब्जा हटाया जाए और शासकीय भूमि का संरक्षण सुनिश्चित किया जाए।

**ग्रामीणों की पुकार: “हमारी जमीन बचाओ”** 
तुरंगा के ग्रामीणों का कहना है कि गोचर भूमि, जो गाँव के पशुओं के चरागाह और बच्चों के खेल मैदान के लिए आरक्षित है, पर कुछ लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। इससे न केवल पशुपालकों को परेशानी हो रही है, बल्कि बच्चों के खेलने की जगह भी छिन रही है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को बार-बार प्रशासन के सामने उठाया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

**जन दर्शन में गरजा आक्रोश** 
जन दर्शन में ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर अपनी मांग को बुलंद किया। उन्होंने कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में स्पष्ट किया कि गो चर भूमि पर कब्जा न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह गाँव के सामुदायिक हितों के खिलाफ है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

**प्रशासन का आश्वासन, लेकिन कब तक इंतजार?** 
ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान प्रभारी अधिकारी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि पुसौर तहसीलदार को तत्काल सीमांकन और अवैध कब्जा हटाने के लिए आदेश जारी किए जाएंगे। साथ ही, शासकीय भूमि के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे आश्वासन पहले भी मिल चुके हैं, लेकिन धरातल पर कोई बदलाव नहीं आया।

**कानून का हवाला: सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस** 
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध कब्जे के मामलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं। स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 की धारा 5 के तहत, शासकीय या निजी संपत्ति से अवैध कब्जा हटाने का प्रावधान है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ सरकार ने भी सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त नियम बनाए हैं, जिसमें तहसीलदार को नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर कब्जा हटाने का आदेश देने का अधिकार है।[](https://www.prabhatkhabar.com/national/supreme-court-informed-how-to-remove-illegal-occupation-from-your-land-and-property)[](https://www.bhaskar.com/news/RAJ-JAI-HMU-MAT-latest-jaipur-news-032503-31387-NOR.html)

**ग्रामीणों की मांग, प्रशासन की जिम्मेदारी** 
ग्रामीणों ने मांग की है कि पुसौर तहसीलदार तत्काल सीमांकन प्रक्रिया शुरू करें और अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। सामाजिक कार्यकर्ता रामलाल साहू (काल्पनिक नाम) ने कहा, “यह सिर्फ जमीन का सवाल नहीं, बल्कि गाँव के भविष्य का सवाल है। अगर गोचर भूमि खत्म हो गई, तो हमारे पशु और बच्चे कहाँ जाएंगे?”

**प्रशासन पर दबाव, जनता की नजर** 
तुरंगा के ग्रामीणों का यह आंदोलन अब प्रशासन के लिए एक बड़ा अलार्म है। जनता की नजर इस बात पर टिकी है कि कलेक्टर और तहसीलदार इस आश्वासन को कितनी जल्दी अमल में लाते हैं। यदि कार्रवाई में देरी हुई, तो यह मुद्दा और बड़ा रूप ले सकता है। ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि वे अपनी जमीन के लिए हर संभव लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

**प्रशासन जागे, वरना आंदोलन और तेज होगा!** 
यह खबर प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि अब वक्त आ गया है कि वह सोते से जागे और तुरंगा की गोचर भूमि को बचाने के लिए त्वरित कदम उठाए। ग्रामीणों की एकता और उनके दृढ़ संकल्प ने यह साफ कर दिया है कि वे अपनी जमीन के लिए चुप नहीं बैठेंगे। अब गेंद प्रशासन के पाले में है—क्या वह वादे निभाएगा, या ग्रामीणों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा?

स्थानीय सरपंच की मनमानी

स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है की तुरंगा सरपंच द्वारा विवादित भूमि सीमांकन के लिए आवेदन न देकर अन्य भूमि (खसरा नं 37/1 रकबा 3.398) के लिए आवेदन किया है जिसकी जानकारी भी कई ग्रामीणों तक नहीं पहुँची और तहसील से अन्य भूमि (खसरा) के लिए आदेश जारी किया गया, गुपचुप तरीके से हुए आवेदन की जानकारी अब ग्रामीणों को हो रही है जब तहसील कार्यालय से आदेश जारी हुए हैं।

विशेष संवाददाता पद्मनाभ प्रधान की रिपोर्ट

Amar Chouhan

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