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बस ! अब और नहीं…? जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश

प्रदूषण से परेशान ग्रामीणों में बढ़ रहा आक्रोश।

नहीं देंगे अपने पुरखों की जल, जंगल और जमीन।

मांग नहीं मानी तो होगी आर्थिक नाकेबंदी।

रायगढ़ जिले का शिवपुरी, पूँजीपथरा थाना क्षेत्र जोकि लैलूंगा विधानसभा, रायगढ़ लोकसभा अंतर्गत आता है, इन दिनों यह इलाका उद्योगों की मनमानी के चलते भयंकर प्रदूषण की चपेट में है। गेरवानी-सराईपाली मार्ग के बीच बसे वन ग्राम शिवपुरी में एक और उद्योग की स्थापना को लेकर ग्रामवासी बेहद चिंतित हैं। आगामी सप्ताह रायगढ़ इस्पात की होने जा रही जनसुनवाई को निरस्त कराने समस्त ग्रामवासी एक जुट हो गये हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हम अपने पुरखों की खून पसीने की कमाई जमीन को अब किसी को नहीं देंगे।
26 व 27 जून को होने वाले जनसुनवाई को रद्द कराने की मांग को लेकर आक्रोशित ग्रामीणजनों ने रायगढ़ कलेक्ट्रेट पहुँच कर एक ज्ञापन सौंपा है।

कलेक्टर के नाम दिये ज्ञापन में कहा है कि उनके क्षेत्र में रायगढ़ इस्पात और एन. आर. इस्पात कंपनी से बहुत ज्यादा प्रदूषण हो रहा है। इन कंपनियों द्वारा गाँव की जमीन पर अवैध रूप से अहाता निर्माण कराया जा रहा है और बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई हो रही है। शिकायत के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। इन कंपनियों के द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण से उपजे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से काफी परेशानी हो रही है ऐसे में इन पर कार्यवाही करने के बजाय, प्रशासन इनके विस्तार और नए स्थापना की तैयारी कर रहा है। ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा है कि इन उद्योगों के विस्तार व स्थापना से प्रदूषण और बढ़ेगा अतः इस जनसुनवाई को निरस्त किया जाय अन्यथा सोमवार को सभी ग्रामवासी आर्थिक नाकेबंदी करने को विवश होंगे।
रायगढ़ इस्पात के विस्तार और स्थापना की दो जनसुनवाइयाँ होनी है। उद्योग प्रबंधन और प्रशासन तैयारी में जुटे हैं वहीं शिवपुरी के ग्रामीण पूरजोर विरोध कर रहे हैं और उनकी मांग नहीं मानी गयी तो आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी। यहाँ पर एक गंभीर सवाल उठता है कि इस लोकतान्त्रिक देश में जहाँ जनहित की बात की जाती है, पर्यावरण संरक्षण की बात होती है, वृक्षारोपण के अभियान चलाये जाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को इतना बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है?
वास्तविक तथ्यों के तहतक की बात करें तो वर्तमान समय में केवल पूँजीपतियों और अफसरों की ही नहीं यद्यपि सबको विकास की जरुरत है। ऐसा नहीं है कि केवल गरीब ग्रामीण ही साँस लेते हैं, शुद्ध ऑक्सीजन की जरुरत हर प्राणी को है और ये साफ-सुथरे पर्यावरण से ही संभव है न कि जहर उगलते चिमनीयों से। आज ग्लोबल वार्मिंग जिस गति से बढ़ रहा है और पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है उससे आने वाला निकट भविष्य कितना विकट व भयानक होगा इसकी कल्पना कोई नहीं कर रहा। विकास के लिए और भी तो कई उद्योग-धंधे हैं जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पंहुचाते। ऐसे कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा। जीवन के लिए खाद्यान्न जरुरी है और खाद्यान्न किसी फैक्ट्री में नहीं, खेत में उत्पन्न होते हैं। बहरहाल, आम जनता शासन-प्रशासन के समक्ष चीख-चीख कर उसे कुम्भकर्णी नींद से जगाने पुरजोर प्रयास कर रही है और अब देखना यह है कि आश्वासन के नाम पर क्या इन्हें फिर से झुनझुना थमा दिया जायेगा या कोई मीठा लॉलीपॉप….?

Amar Chouhan

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