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जल जीवन मिशन में हुई गड़बडियां! केंद्र सरकार तक पहुंची शिकायत, जाँच के दायरे में आएगा रायगढ़

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।  जल जीवन मिशन का क्रियान्वयन छग में सही तरीके से नहीं हुआ। इसी वजह से लागत में बेतहाशा वृद्धि और लक्ष्य प्राप्ति में देरी हो रही है। कई गांवों में तो किया हुआ काम गुणवत्ताहीन है। ऐसे जिलों में भ्रष्टाचार की रिपोर्ट मिलने पर केंद्र सरकार ने देश में 159 जिलों की जांच के आदेश दिए हैं। इनमें छत्तीसगढ़ से रायगढ़, बेमेतरा और जांजगीर-चांपा हैं। जल्द ही केंद्रीय टीम रायगढ़ पहुंचने वाली है। जल जीवन मिशन में हुई गड़बडिय़ों की शिकायत केंद्र सरकार तक पहुंची है। इसीलिए सरकार ने देश के 159 जिलों में जल जीवन मिशन के कामों का आकलन कराने जा रही है।

इसके लिए 148 केंद्रीय नोडल अधिकारी तैनात किए है। छत्तीसगढ़ के तीन जिले रायगढ़, बेमेतरा और जांजगीर-चांपा जिला केंद्र सरकार की रडार में है। टीम में केंद्रीय नोडल अधिकारी, राज्य और जिला स्तर के तकनीकी अधिकारी, भूजल वैज्ञानिक और इंजीनियर रहेंगे। टीम के साथ जल शक्ति मंत्रालय का एक अधिकारी भी होगा। जिलों में हुए क्रियान्वयन को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। दरअसल कुछ स्थानों पर जल जीवन मिशन के कामों की लागत में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इसीलिए जल जीवन मिशन के कामों की ऑडिट कराने का फैसला लिया है।

बताया जा रहा है कि रायगढ़ के सलिहारी और बरकाचार में सिंगल विलेज वाटर सप्लाई स्कीम की जांच केंद्रीय टीम करेगी। देश भर के 159 जिलों में जल जीवन मिशन का भ्रष्टाचार अधिक है। जांच के दायरे में छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा, रायगढ़ और बेेमेतरा के 6 गांव शामिल हैं। केंद्र सरकार ने इसके लिए 148 केंद्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। केंद्र सरकार ने जांच के संबंध में 14 मई को छग शासन को पत्र भेजा था। छग के तीन जिलों की जांच के लिए कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के डायरेक्टर अमित कुमार अग्रवाल को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

रायगढ़ जिले में ऐसे ठेकेदारों को काम दे दिया गया है जिन्होंने इस तरह का काम कभी नहीं किया। किसी ने ठेका लेकर सबलेट कर दिया। कई जगहों पर टंकी का निर्माण अधूरा है। जलस्रोत नहीं होने के कारण टंकी बनाना भी व्यर्थ हो गया है। बिना स्रोत ढूंढ़े ठेकेदार ने टंकी बना दी है। रायगढ़ में करीब 50 फीसदी से ज्यादा काम अधूरे हैं। कई ठेकेदार पाइपलाइन बिछाने के बाद काम बंद कर चुके हैं। केंद्रीय नोडल अधिकारी कार्यस्थल पर जाकर पीएचई के जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा कराए गए कामों की पड़ताल करेंगेे। योजना पूरी हुई है या नहीं, इसे सत्यापित किया जाएगा। योजना के लाभार्थियों से बातचीत भी की जाएगी। वित्तीय समीक्षा भी की जाएगी।

Amar Chouhan

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