चौहान (गाड़ा) जाति को अनुसूचित जनजाति में पुनः शामिल किए जाने की मांग तेज, मंत्री ओ.पी. चौधरी को सौंपा गया ज्ञापन

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। छत्तीसगढ़ में गाड़ा जाति द्वारा वर्षों से की जा रही अपनी मूल पहचान की पुनः बहाली की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। नगर निगम ऑडिटोरियम, पंजरी प्लांट, रायगढ़ में आयोजित चौहान समाज के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों के सम्मान समारोह के दौरान माननीय श्री ओ.पी. चौधरी, मंत्री वित्त, वाणिज्य एवं पर्यावरण छत्तीसगढ़ शासन को समाज की ओर से एक विस्तृत प्रार्थना पत्र सौंपा गया।

गाड़ा जाति के प्रतिनिधियों ने मंत्री श्री चौधरी को संबोधित अपने ज्ञापन में बताया कि भारत की स्वतंत्रता के पश्चात 13 मार्च 1949 को नागपुर स्थित तत्कालीन पीसी एंड बरार सरकार द्वारा जारी अधिसूचना क्रमांक 3662/777/12 खंड 10 में अनुक्रमांक 37, 38 व 39 में गंडवा, गांडा तथा गंडवा एवं गांडा को अनुसूचित जनजाति वर्ग में सम्मिलित किया गया था।
गणराज्य भारत के राज्य पुनर्गठन के बाद छिन गया अधिकार
1956 में मध्यप्रदेश राज्य के पुनर्गठन के दौरान प्रशासनिक त्रुटियों के चलते गाड़ा जाति को अनुसूचित जनजाति से हटा कर अनुसूचित जाति वर्ग में दर्ज कर दिया गया, जबकि गाड़ा और गंडवा जाति मूल रूप से एक ही जनजातीय संस्कृति से संबंधित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद भी यह स्थिति बरकरार रही, जिसके चलते गाड़ा जाति अपने मूल अधिकारों से वंचित होती चली गई।

सन् 2003 से जारी है प्रयास
सन् 2003 में राजधानी रायपुर में आयोजित प्रदेश स्तरीय सामाजिक सम्मेलन में भी समाज ने यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी द्वारा एक सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। इस समिति के अध्यक्ष तत्कालीन अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र पामभोई ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि गाड़ा जाति की सांस्कृतिक, सामाजिक व धार्मिक पृष्ठभूमि अनुसूचित जनजाति वर्ग की गोंड जाति से मेल खाती है।
तत्कालीन सरकार ने पारित किया था अशासकीय संकल्प
समिति की सिफारिशों के आधार पर तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा में एक अशासकीय संकल्प पारित करते हुए केंद्र सरकार को गाड़ा जाति को पुनः अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल किए जाने का प्रस्ताव भेजा, जो आज तक केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित है।

मंत्री से की गई विशेष अपील
समाज ने मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी से आग्रह किया कि वे इस ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण विषय को गंभीरता से लेकर केंद्र सरकार के समक्ष प्रभावी पैरवी करें और छत्तीसगढ़ राज्य की गाड़ा जाति को उनका खोया हुआ अस्तित्व और हक वापस दिलवाएं।

न्याय की उम्मीद में समाज
गाड़ा जाति ने यह स्पष्ट किया है कि वे विगत कई दशकों से अपने मूल अधिकारों की बहाली के लिए शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से प्रयासरत हैं और अब उन्हें अपने संघर्ष के परिणामस्वरूप न्याय की पूर्ण उम्मीद है।
चौहान समाज जिला रायगढ़ के अध्यक्ष महावीर चौहान, गुरुजी ने सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि ओ.पी. चौधरी को उक्त विषय से संबंधित एक हस्ताक्षरयुक्त आवेदन सौंपा।