जिनकी वजह से हम उजाले में हैं,उनके साथ हो रहा दुर्व्यवहार,आज उन्हीं को नहीं मिल रहा न्याय!

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम बरमकेला: ऐसा लगता है कि लेंधरा उपसंभाग में बिजलीकर्मियों ने ठान लिया है कि अगर उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं, तो बिजली भी नहीं! जी हाँ, 27 अप्रैल 2025 को ग्राम लेंधरा के 33/11 के.वी. सब-स्टेशन पर हुई एक “दुःखद” घटना ने विद्युतकर्मियों को हड़ताल की धमकी देने पर मजबूर कर दिया है। कहानी कुछ यूं है कि आंधी-तूफान ने बिजली आपूर्ति को तहस-नहस किया, और जब हमारे बिजलीकर्मी नायक बनकर उसे ठीक करने निकले, तो उनकी मेहनत का इनाम मिला—मारपीट, अभद्र व्यवहार और धमकियों का एक “शानदार” पैकेज!
सूत्रों (गुस्साए कर्मचारियों) के अनुसार, यह सब तब हुआ जब वे रात-दिन एक करके बिजली बहाल करने में जुटे थे। लेकिन, कुछ “संस्कारी” स्थानीय लोगों ने इसे अपनी निजी खुन्नस निकालने का सुनहरा मौका समझा। नतीजा? कर्मचारियों को न सिर्फ गालियां और धक्के झेलने पड़े, बल्कि अब उन्हें “सब-स्टेशन में आग लगाने” और “जान से मारने” की धमकियां भी मिल रही हैं। वाह! क्या माहौल है लेंधरा का! ऐसा लगता है मानो बिजलीकर्मी कोई सुपरहीरो फिल्म के विलेन हों, जिन्हें हर कोई सबक सिखाना चाहता है।

थाने में भी “करंट” नहीं!
कर्मचारियों ने हिम्मत जुटाकर बरमकेला थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन वहां भी कहानी में ट्विस्ट आया। प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराना तो दूर, उन्हें थाने में “आपसी सुलह” का पाठ पढ़ाया गया। कर्मचारी सोच में पड़ गए कि क्या अब उन्हें खुद ही “कानून का ट्रांसफॉर्मर” बनना पड़ेगा? बाहर से आए ये कर्मचारी, जो अपने परिवारों के साथ किराए के मकानों में रहते हैं, अब रात को सोते वक्त दरवाजे-खिड़कियां दस बार चेक करते हैं। आखिर, धमकी देने वालों का क्या भरोसा? कहीं रात में “आगजनी का सरप्राइज” न मिल जाए!

“15 दिन में कार्रवाई, वरना बत्ती गुल!”
विद्युतकर्मियों ने अब प्रशासन को एक अल्टीमेटम दे डाला है—15 दिनों में आरोपियों पर कार्रवाई हो, नहीं तो वे हड़ताल पर जाएंगे। और अगर ऐसा हुआ, तो बरमकेला में बिजली आपूर्ति का हाल वही होगा, जो बिना चार्जर के मोबाइल का होता है—पूरी तरह डिस्चार्ज! कर्मचारियों ने साफ कह दिया है, “हम बिजली ठीक करने को तैयार हैं, लेकिन पहले हमारी जान तो बचाओ!” अब गेंद प्रशासन के पाले में है, जो शायद इस मामले को “हल्के में” ले रहा है, जैसे बिजली बिल का लेट पेमेंट।
व्यंग्य का “वोल्टेज” बढ़ाएं
सच पूछिए तो यह कोई नई कहानी नहीं है। बिजलीकर्मी, जो दिन-रात तारों पर झूलकर, तूफानों में भीगकर, और गर्मी में पसीना बहाकर हमारी बत्ती जलाते हैं, उनके साथ ऐसा सलूक तो अब “परंपरा” बन चुकी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस बार कुछ करेगा, या फिर हमेशा की तरह “लाइन कट” की बहानेबाजी करेगा? कर्मचारियों की मांगें भी कोई रॉकेट साइंस नहीं हैं—बस इतना कि उन्हें बिना डर के काम करने दिया जाए। लेकिन शायद यह मांग बरमकेला के लिए थोड़ी “हाई-वोल्टेज” है।
तो, क्या लेंधरा के लोग मोमबत्ती और टॉर्च की खरीदारी शुरू कर दें? या फिर प्रशासन कोई “करंट” वाला कदम उठाएगा? अगले 15 दिन बताएंगे कि इस कहानी का क्लाइमेक्स क्या होगा। तब तक, बिजलीकर्मी अपनी हड़ताल की प्लानिंग में जुटे हैं, और हम सब बस यही दुआ कर सकते हैं कि लेंधरा में “अंधेरा” सिर्फ बिजली का न हो, बल्कि प्रशासन की सोच का भी न हो!