रायगढ़ क्षेत्र में काले डस्ट की बरसात -बजरंग अग्रवाल,जिम्मेदारों को पत्र व मेल कर किया जांच और कार्रवाई का आग्रह,एनजीटी के चेयर मैन को पत्र लिख कर पत्र को जनहित याचिका मानने किया आग्रह,…
रायगढ़-पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल शहर वा जिले की पर्यावरण को लेकर लगातार आवाज उठाते चले आ रहे हैं। एक बार फिर से इन्होंने भयावह होते काले डस्ट की समस्या को लेकर पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अध्यक्ष एनजीटी को मेल कर और पत्र लिखकर जानलेवा हो चुकी समस्या से निजात दिलाने मांग की गई है।
जीवन के लिए घातक हो चुके काले डस्ट की समस्या से निजात दिलाने लगातार प्रयास कर रहे पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने बताया की उन्होंने छत्तीसगढ़ पर्यावरण वन मंत्रालय छत्तीसगढ़ शासन की सचिव को भी मेल कर दूरभाष से चर्चा किया। जिस पर छत्तीसगढ़ शासन सचिव ने रायगढ़ के बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को लेकर गंभीरता से जांच करवाई जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए एवं उद्योगपति पर्यावरण के नियमों के तहत कार्य नहीं करते। उद्योग पति अपने औद्योगिक क्षेत्र के 33 प्रतिशत हिस्से में पौध रोपण कर हरियाली के लिए काम करना होता है किंतु किसी भी औद्योगिक घरानों द्वारा इसका पालन नहीं किया जाता है। खरनाक हो चुके प्रदूषण की वजह से अनेकों बीमारियां पैदा हो रही है । यदि समय रहते जिले से औद्योगिक प्रदूषण पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में और खतरनाक बीमारियां होंगी।
अधिकारियों को लिखे पत्र और इमेल में उल्लेख किया है कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में कोयला आधारित 200 उद्योग है पावर प्लांट स्पंज आयरन रोलिंग मिल फर्निश और और अन्य कई उद्योगों के द्वारा प्रतिवर्ष 2 करोड़ टन कोयला जलाया जाता है । क्षेत्रीय पर्यावरण कार्यालय रायगढ़ से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक करोड़ 52 लाख टन फ्लाई ऐश सभी उद्योगों से निकलती है। फ्लाई ऐश न सिर्फ हवा में प्रदूषण फैलाने का कारक नहीं है बल्कि फ्लाई ऐश पानी को भी प्रदूषित कर रहा है। इसकी वजह से कृषि भूमि भी बंजर हो रही है। बजरंग अग्रवाल ने इन उद्योगों में होने वाली जांच पर भी सवालिया निशान लगाया है। यह जांच भी प्रदूषण से पीड़ित व्यक्ति जब शिकायत करता है तब यह जांच होती है। एनजीटी एवं सीपीसीबी के द्वारा भारत देश में 15 पावर प्लांट को अधिक कार्बन उत्सर्जन होने के कारण बंद करने की चेतावनी दी है। हमारे रायगढ़ जिले में जितने भी उद्योग लगे हैं वह रायगढ़ शहर के चारों दिशाओं में 20 किलोमीटर के अंदर लगे हैं जो की पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करते हुए इन प्लांट में भी कार्बन अधिक उत्सर्जन होता है। जिस पर कोई अंकुश नहीं है। रायगढ़ शहर से 20 किलोमीटर चारों दिशाओं में फ्लाई एस की बरसात होती है एवं रायगढ़ जिले में एक करोड़ 52 लाख टन फ्लाई ऐश हर वर्ष निकलती है एवं उद्योगपति और प्लांट के मालिक इसका
निपटाना 40% भी नहीं कर पाते हैं। फ्लाई ऐश जो ट्रांसपोर्टर उठाते हैं और लाखों टन फ्लाई ऐश खेतों में नदी नालों के किनारे, सड़कों के किनारे में जंगलों में फेंक दिया जाता है। ट्रांसपोर्ट मालिकों के द्वारा किसी भी गाड़ी में जीपीएस सिस्टम नहीं लगाया हुआ है। दूसरा किसी भी उद्योग में पर्यावरण के नियम अनुसार 33% जमीन छोड़ी नहीं गई है। सिर्फ उनके कागज बताते हैं 33% जमीन छोड़ दी गई है और उन पर हरियाली अच्छादित है। 100% किसी ने भी पर्यावरण के अनुसार जमीन नहीं छोड़ी है इन उद्योगों का जहां ग्रीन बेल्ट बना था उसका लेआउट नक्शा लेकर पूरी जांच कराएंगे तो सच्चाई सामने आ जाएगी। आज रायगढ़ जिले में कोई भी जमीन 20 से 25 लख रुपए एकड़ में भी नहीं मिलती । रायगढ़ शहर के 20 किलोमीटर की चारों दिशाओं में हर घर के छत के ऊपर एवं घर के अंदर फ्लाई ऐश की बरसात होती है। बिना जूता चप्पल पहने अगर घर के अंदर भी पैदल चलते हैं तो आपके पैर काले हो जाएंगे ।
फ्लाई ऐस का असर मानव जीवन पर ही नहीं इसका शिकार जीव जंतु जानवर के ऊपर भी हो रहा है। पत्र में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अध्यक्ष एनजीटी को मेल कर उल्लेख किया है की दिल्ली से एक जांच टीम भेज कर यह सारी चीज़ अपनी आंख से देखा जा सकता है। मैं घर-घर घूमना चाह रहा हूं जिससे उनको पता चले कि बिना चप्पल जूते के सारे पैर काले हो जाते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है की अगर आप चाहें तो स्टांप पेपर पर शपथ नामा दे सकता हूं । दिल्ली और भोपाल से सेकडो किलोमीटर दूर में हम रायगढ़ में बैठे हैं हमारी पूरी जिंदगी खराब हो रही है । 100 में 80 लोगों को सर्दी खांसी एवं अनेक प्रकार की बीमारियां लग रही है। आपने लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार ने एनजीटी का गठन किया लेकिन एनजीटी ने ने अभी तक रायगढ़ आकर यह सारे बिंदुओं की जांच नहीं की आपसे निवेदन है कि आप एक जांच दल बनाकर चार दिन रायगढ़ में रहे हर उद्योग की पॉल्यूशन फैलाने वाले यंत्रों की कोयला किस ग्रेड का जलाया जाता है। उसकी सब की जांच करवाने का कष्ट करें।
पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अध्यक्ष एनजीटी को को मेल कर आग्रह किया है कि उद्योगों की हर बिंदु पर जांच कर पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन की धारा लगाकर इनके ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर प्रदूषण पर रोक लगाने का कष्ट करें । उन्होंने कहा कि ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी केस लगाना बहुत मुश्किल है। 15000 रु वकील की फीस होती है। और एक आम आदमी न्यायालय में केस फाइल की फॉर्मेलिटी बिना वकील के नहीं कर सकता आपसे निवेदन है कि मेरे इस पत्र को जनहित याचिका मानकर सुनवाई करने का कष्ट करें।