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फ़टाखा फोड़ने की उम्र में बारूद के ढेर में बचपन.. कार्यवाही न होने पर डायल 1930 से आई कॉल.. पढ़े पूरी खबर..

पटाखा मार्केट में नाबालिगों से लिया जा रहा है काम.. बाल कल्याण विभाग को खबर नहीं..

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़ :- दीपावली का त्यौहार सामने आते ही जहां एक तरफ बाजारों की भीड़ भाड़ बढ़ जाती है,तो वहीं शहर के दुकानों में काम करने वाले श्रमिकों की कमी होने लगती है।

इस वजह से बल श्रम प्रतिबंधित होने के बावजूद कई व्यापारिक संस्थानों और दुकानों के मालिक खुलेआम बाल श्रमिकों से अपने यहां काम करवाने लगते है।

कुछ ऐसा ही नजारा शहर के मिनी स्टेडियम में लगने वाले पटाखा दुकानों में देखने को मिल रहा है। मजे की बात यह है कि बाल श्रम पर नजर रखने वाली सरकारी संस्था जिला बाल संरक्षण इकाई का कार्यालय यहां से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित है।

बताया जा रहा है कि यहां अस्थाई तौर पर बनाए गए 30/40 पटाखा दुकानों में से ज्यादातर दुकानों में पिछले तीन चार दिनों से या तो घर के नाबालिग बच्चे या रोजी के हिसा से बाहर से लाए बाल श्रमिक काम कर है। इस बात की जानकारी बाल कल्याण विभाग को नहीं है। विभाग के अधिकारियो को सूचना देने का प्रयास किया गया तो पहले उन्होंने कई बार काल जान के बावजूद फोन नहीं उठाया।

फिर कार्यालय जाकर व्यक्तिगत इस विषय पर उन्हें सूचना दिए जाने पर उन्होंने खेद प्रकट करते हुए पटाखा दुकानों में बाल श्रम को खतरनाक और गैर कानूनी होना तो स्वीकारा। साथ ही वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों के दिशा निर्देश में टीम गठित कर पटाखा दुकान संचालकों के विरुद्ध उचित कार्यवाही किए जाने का भरोसा भी दिलाया परंतु कार्यवाही के लिए कोई नहीं पहुंचा जिससे यह साबित होता है अधिकारी अपने कार्य को लेकर कितने गंभीर है।

बहरहाल विभाग की गंभीर लापरवाही के बीच मिनी स्टेडियम में स्थित ज्यादातर दुकानों में बच्चों का बाल श्रम बदस्तूर जारी है।

Amar Chouhan

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