तमनार और कसडोल की नहरीखार नामक जमीन पर जिंदल कम्पनी के द्वारा कराए जा रहे काम को रोकने स्थगन आदेश के लिए प्रभावित ग्रामीणों ने तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन।
रायगढ़। नहरीखार संबंधित ज्ञापन में भू प्रभावितों ने लिखा है कि तमनार एवं कसडोल की भूमि जिसे नहरीखार के नाम से जाना जाता है, को शासन के द्वारा 2015 में अवार्ड पारित कर अधिग्रहण किया गया था। जिसमे कि भूमि अधिग्रहण ‘अधिनियम 2013 का पालन नहीं किया गया। क्योंकि अधिग्रहण के पूर्व दोनों गाँव के लोगों से 80
प्रतिशत सहमति नहीं ली गई और ना ही अभी तक सभी किसानों ने मुआवजा लिया गया है। भूमि
अधिग्रहण अधिनियम 2013 की धारा 24/2 के अनुसार 5 वर्ष के अंदर कब्जा लेने एवं मुआवजा देने में शासन असमर्थ रहा। साथ ही धारा 38 पुनर्वासनीति का पालन नहीं किया और इसका निर्धारण भी नहीं हुआ है। और अभी तक उस जमीन में कब्जा भी नहीं लिया गया है। यह क्षेत्र संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के अनुसार 5वीं अनुसूची क्षेत्र है, साथ ही यहाँ पेशा कानून भी लागू है। इसलिए अधिग्रहण के पूर्व दोनों गाँव से ग्राम सभा की सहमति लिया जाना था जो कि नहीं लिया गया है।
ग्राम सभा तमनार द्वारा पारित प्रस्ताव 29/01/2024 के अनुसार किसी भी कम्पनी या खनन संबंधी। वर्तमान में जमीन पर किसान लोगों द्वारा कार्य करने पर ग्राम सभा तमनार से अनुमति लेना आवश्यक है तब ही कब्जा माना गया है। जिसे अब जिंदल कम्पनी के द्वारा 8 वर्ष हो जाने के बाद कब्जा किया जा रहा है और किसानों की जमीन के मेडों को तोडफोड कर समतलीकरण की जा रही है। जिसके खिलाफ किसानों के द्वारा माननीय हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका पेश किया गया है। जिसका केश नं. 5110 of 2023 है।
किसानों ने ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया है कि उपर लिखित तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए माननीय हाई कोर्ट के आदेश आने तक जिंदल कम्पनी के द्वारा किए जा रहे काम पर रोक लगाने की अशीम कृपा करें।