अब रायगढ़ एयरपोर्ट का सपना, केवल सपना ही बना रहेगा!
रायगढ़। कोंड़ातराई में प्रस्तावित एयरपोर्ट का निर्माण कराना अब केवल सपना बनकर रह जाएगा। इसकी संभावना न के बराबर रह गई थी। क्योंकि राज्य सरकार अरबों के इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देगी, ऐसा कहा नहीं जा सकता। जमीन भी कम पड़ रही थी।
रायगढ़ जिले में बड़ी-बड़ी कंपनियों की कोयला खदानें और एनटीपीसी समेत कई बड़े प्लांट लग चुके हैं। देश के तमाम दिग्गज उद्योगपति अडाणी, जिंदल, सारडा, हिंडाल्को, वेदांता सभी की एंट्री हो चुकी है लेकिन बड़े शहरों से कनेक्टिविटी के मामले में रायगढ़ बहुत पीछे है। रायपुर पहुंचने के लिए भी ढाई सौ किमी दूरी तय करनी पड़ती है। २०११-१२ में कोंड़ातराई, औरदा, जकेला और बेलपाली में घरेलू उड़ानों के लिए एयरपोर्ट प्रस्तावित किया गया था।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से एमओयू भी हो गया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने ५९२ एकड़ जमीन का अधिग्रहण भी प्रारंभ कर लिया था। धारा ६ तक कार्यवाही भी हो चुकी थी, लेकिन उसके बाद एएआई ने ४०० एकड़ जमीन और मांगी। ऐसा करने पर चारों गांवों की आबादी को विस्थापित करना पड़ता इसलिए प्रक्रिया रुक गई। तय अवधि में धारा ९ की कार्यवाही नहीं होने के कारण भूअर्जन स्वत: लैप्स हो गया।
कुछ समय बाद विमानन संचालनालय ने कोंड़ातराई में उतनी जमीन पर ही एयरपोर्ट विकसित करने की अनुमति दी थी, लेकिन सवाल यह है कि क्या पूर्व से प्रस्तावित भूमि पर डोमेस्टिक फ्लाईट उतरने लायक रनवे का निर्माण हो सकेगा। अब उतने ही जमीन का अधिग्रहण हुआ तो राज्य सरकार को अरबों रुपए निवेश करने होंगे। निजी एयरलाइंस भी उड़ानें देंगी तो ही रायगढ़ एयरपोर्ट सफल हो पाएगा। इधर झारसुगुड़ा एयरपोर्ट शुरू होने के कारण भी रायगढ़ की संभावनाएं कम हो गई हैं।
केवल २० करोड़ मिले थे, अब अरबों का प्रोजेक्ट
वर्ष २०१३ में भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के लिए २० करोड़ रुपए जिला प्रशासन को दिए गए थे। लेकिन २०१५ में भूअर्जन अधिकारी ने मुआवजे के लिए ८० करोड़ की मांग की थी। इसके बाद ही अवार्ड पारित किया जाना था। लेकिन विमानन विभाग को ८० करोड़ की प्राप्ति वर्ष १६-१७ के बजट में होनी थी। तब तक धारा ६ लैप्स हो गई। इसलिए प्रक्रिया रुक गई। अब तो भूअर्जन में ही अरबों रुपए लगेंगे। रनवे इतना लंबा होना जरूरी है कि निजी एयरलाइंस के विमान उतर सकें। जब तक पब्लिक उपयोग नहीं करेगी तो एयरपोर्ट का कोई मतलब नहीं।