CG High Court का बड़ा फैसला: शिक्षाकर्मियों को पुरानी पंचायत सेवा पर प्रमोशन नहीं—सरकारी कर्मचारी माने जाने से किया इनकार

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम pबिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शिक्षाकर्मियों से जुड़ी एक बेहद महत्वपूर्ण याचिका पर बड़ा फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया है कि पंचायतों द्वारा नियुक्त शिक्षाकर्मी, उनके स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन होने से पहले सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते। इसलिए वे अपनी पंचायत सेवा अवधि के आधार पर प्रथम और द्वितीय क्रमोन्नति (ACP/MACP) का दावा नहीं कर सकते।
जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने इस मुद्दे से जुड़ी 1188 याचिकाओं को एक साथ खारिज करते हुए कहा कि शिक्षाकर्मियों को 10 मार्च 2017 के सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर के आधार पर प्रमोशन का लाभ नहीं मिल सकता, क्योंकि यह नियम केवल नियमित सरकारी कर्मचारियों पर लागू होता है।
—
पंचायत शिक्षकों और नियमित शिक्षकों का कैडर अलग—कोर्ट ने स्पष्ट किया
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मध्य प्रदेश–छत्तीसगढ़ पंचायत शिक्षा कर्मी नियम 1997, 2007 और 2012 का विस्तृत विश्लेषण किया। न्यायालय ने पाया कि:
शिक्षाकर्मी पंचायतों द्वारा नियुक्त स्थानीय निकाय कर्मचारी हैं
उनकी सेवा शर्तें विभागीय शिक्षकों से बिल्कुल अलग थीं
न उनकी नियुक्ति प्रक्रिया शासकीय थी और न ही वे राज्य सरकार की सेवा शर्तों के अधीन थे
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने भी यही तर्क दिया कि शिक्षाकर्मी 1 जुलाई 2018 को संविलियन के बाद ही सरकारी सेवक बने, इसलिए पुरानी पंचायत सेवा को सरकारी सेवा मानते हुए किसी तरह का प्रमोशन, वेतन-वृद्धि या समयमान वेतनमान लागू नहीं हो सकता।
—
10 साल सेवा पर प्रमोशन की मांग को कोर्ट ने किया खारिज
याचिकाकर्ताओं ने अपनी 10 वर्ष की पंचायत सेवा अवधि का हवाला देते हुए प्रथम एवं द्वितीय क्रमोन्नति लागू करने की मांग की थी। उन्होंने—
10 मार्च 2017 के प्रमोशन सर्कुलर,
सोना साहू बनाम छत्तीसगढ़ राज्य के फैसले
तथा रवि प्रभा साहू केस
का उदाहरण देते हुए दावा किया कि सर्कुलर उन्हें भी लाभ देता है।
लेकिन हाई कोर्ट ने साफ कहा कि इन मामलों की परिस्थितियाँ भिन्न थीं और पंचायत सेवा को सरकारी सेवा में गिना नहीं जा सकता।
—
1188 याचिकाएं खारिज—राज्य सरकार की दलील को माना सही
सुनवाई के उपरांत कोर्ट ने यह माना कि—
शिक्षाकर्मियों का कैडर अलग था
उनकी नियुक्ति “पंचायत राज अधिनियम” के तहत हुई थी
संविलियन की तारीख से पहले वे राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं माने जा सकते
इस आधार पर अदालत ने सभी 1188 याचिकाओं को खारिज कर राज्य सरकार की दलील को सही ठहराया।
—
फैसले का प्रभाव क्या होगा?
इस निर्णय के बाद:
पंचायत सेवा अवधि को प्रमोशन अथवा वेतनमान के लिए नहीं जोड़ा जाएगा
संविलियन के बाद की सेवा ही सरकारी सेवा मानी जाएगी
हजारों शिक्षाकर्मियों द्वारा समान मांग को लेकर दायर की जा रही याचिकाओं पर यह फैसला मिसाल बनेगा
राज्य सरकार पर प्रमोशन के अतिरिक्त वित्तीय भार से राहत मिलेगी
—
छत्तीसगढ़ में वर्षों से शिक्षाकर्मियों और पंचायत शिक्षकों का मुद्दा विवाद का केंद्र रहा है। हाई कोर्ट का यह फैसला इस बहस को नए आयाम देता है और स्पष्ट करता है कि पंचायत सेवा और सरकारी सेवा के बीच की रेखा संविलियन से पहले तक बिल्कुल अलग और दृढ़ है।
समाचार सहयोगी विक्की चौहान