BEO कार्यालय घरघोड़ा के मनमानी रवैया से साय सरकार की हो रही घोर बदनामी…

छह महीने के लिए दिया गया था bEO घरघोड़ा का प्रभार डेढ़ वर्ष बाद भी नहीं भेजा गया नियमित शिक्षा अधिकारी
सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ : लगातार विवादो की सुर्खियों का चमकता सितारा कार्यालय विकाशखंड शिक्षा अधिकारी घरघोड़ा शिक्षा विभाग का घरघोड़ा कार्यालय पिछले ककई वर्षों से भ्रष्टाचार की रेस मे सब से आगे नजर आता रहा है इसका कारण है की जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा लगमा नहीं कैसा जाना जिससे विकाश खंड मे बैठे अधिकारी अपने मन चाहे तरीके से विभागीय कार्यों को करते है आप को बता दें की पूर्व मे घरघोड़ा BEO भरस्टाचार मे लिप पाया गया और उन्हें निलंबित किया जा चूका है लेकिन अब भी यहाँ शासन की योजनाओं की धज्जिया उड़ती दिखाई दे रही, सरकार की महती योजनाओं को कैसे छेड़छाड़ कर अपने फायदे के लिए उपयोग किया जा सकता है, यंहा देखने को मिलता है।
विगत दो वर्षों से यंहा विकासखंड शिक्षा अधिकारी के पद पर आसीन महोदय का मूल पद प्रधान पाठक का है, ऐसे नही है कि महोदय को अनुभव नही है, ये विगत 10-12 वर्षों से बी आर सी के पद पर भी है, इनके द्वारा आपदा में अवसर ढूंढने के तारतम्य में कई अवसर ढूंढे गये है, जिनमे से कुछ ये है,
#प्रकरण #1 – सरकार की नीति के तहत पारदर्शिता रखने के लिए, शासकीय संस्थाओं में नगदी आहरण बन्द कर पेमेंट पी एफ एम एस केतहत राशि सीधे सम्बन्धित के खाते में जमा करने का नियम बनाया गया, लेकिन यंहा इनके संरक्षण में, कई सी ए सी यो द्वारा अपने सगे सम्बन्धियो के नाम पर एकाउंट जनरेट कर, राशि ट्रांसफर की जाती रही है, महती योजनाओं को ठेंगा दिखाना इनका हर सत्र का काम रहा है।
#प्रकरण# 2- महिलाओं से सम्बंधित प्रकरणों में भी कोई कारवाही न करना, न कोई समिति गठित करना, विवादों को हवा देता है।
#प्रकरण #3-2022 से प्रमोशन पाए प्रधान पाठक प्राथमिक शाला को आज तक उनके मूल शाला के लिए रिलीव नही किया गया है।
#प्रकरण #4- एक प्रधान पाठक प्राथमिक शाला मनोज साये की तरह
साहब के साथ रहता है, बिना किसी पद पर रहे, स्कूल छोड़ पिछले डेढ़ साल से मैनेजमेंट देख रहा है, ऑफिस से सम्बंधित कार्य इन्ही के द्वारा संचालित होती है, इनके लिए चार पहिया गाड़ी की व्यवस्था घर से आने-जाने के लिए की गई है। आखिर एक ऑफिस में कितने साहब हो,,, सभी कर्मचारी परेशान है, इनकी लालफीताशाही देख के।
#प्रकरण #5- पद का दुरुपयोग करते हुए सुहाई जैसे स्कूल को एकल शिक्षिकीय कर वँहा के शिक्षक को अन्यत्र अटैच कर दिया गया है। अंततः देखा जाए तो इनके स्वार्थ के आगे सरकार की कोई भी योजना सफल होती नजर नही आती, इनको करना तो अपना मन का होता है। अच्छा तो यह होता कि इनको इनके मूल पद प्रधान पाठक में भेज कर, किसी सीनियर प्रिंसिपल को यंहा का बागडोर सौपा जाता, जिससे कि शिक्षा विभाग घरघोड़ा में कसावट आ सके। इनकी नियुक्ति आदेश 31/10/2023 में भी इनको 6 महीने के लिए ही प्रभार दिया गया था। जिसको डेड साल बीत जाने के बाद भी इनका बी ई ओ पद पर बने रहना समझ से परे है।