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छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला: अब जमीन खरीद-बिक्री में नहीं लगेगी ऋण पुस्तिका, किसानों को मिली बड़ी राहत

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायपुर। साय सरकार ने एक ऐतिहासिक और दूरगामी निर्णय लेते हुए राज्यभर के किसानों और जमीन मालिकों को बड़ी राहत दी है। अब जमीन की खरीदी-बिक्री के लिए ऋण पुस्तिका (Loan Book) दिखाना अनिवार्य नहीं रहेगा।
राज्य शासन के पंजीयन एवं मुद्रांक अधीक्षक महानिरीक्षक कार्यालय ने सभी जिला पंजीयकों को इस संबंध में पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब से पंजीयन के समय ऋण पुस्तिका की मांग नहीं की जाएगी।




क्या है ऋण पुस्तिका और क्यों थी परेशानी का कारण

कृषि भूमि के मालिकों को पहले ‘ऋण पुस्तिका’ जारी की जाती थी, जिसमें फसल, ऋण और भूमि से जुड़े बंधक संबंधी विवरण दर्ज रहते थे।
समय-समय पर इन रिकॉर्डों को अद्यतन (update) करना किसानों के लिए मुश्किल होता था, जिससे जमीन की रजिस्ट्री या बिक्री के समय उन्हें अनावश्यक दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

कई बार भौतिक पुस्तिका खो जाने या अपडेट न होने पर खरीदार-विक्रेता दोनों को दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे।
शासन के इस फैसले से अब वह झंझट पूरी तरह खत्म हो गया है।




अब सब कुछ ऑनलाइन — नहीं पड़ेगी कागजी किताब की जरूरत

सरकार ने बताया है कि अब सभी भूमि रिकॉर्ड ऑनलाइन हो चुके हैं।
‘भुईयां पोर्टल’ पर किसानों को बी-1, खसरा और नक्शे की प्रतियां डिजिटल रूप में उपलब्ध हैं और यही वैध भी मानी जाएंगी।
पंजीयन सॉफ्टवेयर को भुईयां पोर्टल से जोड़ा गया है, जिससे किसी भी भूमि का स्वामित्व, ऋण या बंधक की जानकारी स्वतः ऑनलाइन मिलान हो जाती है।

अर्थात अब किसी भौतिक ऋण पुस्तिका की जरूरत नहीं। पंजीयन अधिकारी ऑनलाइन डाटा देखकर ही भूमि स्वामित्व और फसल की जानकारी सत्यापित कर लेंगे।




पत्र में क्या कहा गया

जारी आदेश में कहा गया है कि —

> “भूमि के पंजीयन हेतु ऋण पुस्तिका की अब कोई अनिवार्यता नहीं है। पंजीयन अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि वे किसी भी किसान या पक्षकार से ऋण पुस्तिका की मांग न करें। सभी विवरणों की पुष्टि ऑनलाइन डाटा से की जाए।”



आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई बार किसानों को जमीन खरीदी-बिक्री के बाद नई ऋण पुस्तिका समय पर नहीं मिल पाती थी, जिससे शासन की छवि भी प्रभावित होती थी।




ऑटो-म्यूटेशन की सुविधा भी लागू

छत्तीसगढ़ सरकार ने पंजीयन व्यवस्था को और पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए ‘ऑटो म्यूटेशन सिस्टम’ लागू किया है।
अब जैसे ही जमीन का पंजीयन होता है, वैसे ही खसरा रिकॉर्ड अपने आप अपडेट होकर नया बी-1 तैयार हो जाता है।
इससे नए मालिक का नाम और विवरण तुरंत दर्ज हो जाता है — यानी अब राजस्व अभिलेखों के अद्यतन होने में देरी नहीं होगी।




किसानों को होगी राहत, प्रशासन का काम होगा आसान

सरकार के इस फैसले से लाखों किसानों को सीधी राहत मिलेगी।
अब उन्हें न तो ऋण पुस्तिका अपडेट करवाने की चिंता रहेगी, न ही कागजों की कमी के कारण जमीन रजिस्ट्री रुक जाएगी।
वहीं पंजीयन विभाग के लिए भी प्रक्रिया आसान और पेपरलेस हो जाएगी।




कृषि विशेषज्ञों ने फैसले का स्वागत किया

कृषि विशेषज्ञों और समाजसेवियों ने सरकार के इस कदम की सराहना की है।
उनका कहना है कि यह निर्णय डिजिटल गवर्नेंस और किसान हितैषी नीति की दिशा में एक बड़ा कदम है।

> “ऋण पुस्तिका का बोझ हटने से किसानों को न केवल राहत मिलेगी बल्कि रिश्वतखोरी और देरी जैसी समस्याएं भी घटेंगी।”
— डॉ. एन.के. वर्मा, कृषि विशेषज्ञ।






अब किसान ऑनलाइन देख सकेंगे अपनी जमीन की पूरी जानकारी

सरकार ने नागरिकों को सलाह दी है कि वे अपनी जमीन से जुड़े दस्तावेज ‘भुईयां पोर्टल’ पर जाकर देखें या डाउनलोड करें।
इस पर बी-1, खसरा, नक्शा और स्वामित्व विवरण सब कुछ आसानी से उपलब्ध है और कानूनी रूप से मान्य भी है।

📌 सारांश:
साय सरकार का यह फैसला न केवल किसानों को राहत देगा बल्कि राज्य की भूमि पंजीयन प्रणाली को पूर्णतः डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

Amar Chouhan

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