छत्तीसगढ़ में किसानों का आक्रोश: एग्रीस्टैक पोर्टल की खामियों और धान खरीदी पर MSP 3286 की मांग को लेकर रायगढ़ में जोरदार धरना, कांग्रेस ने सौंपा मुख्यमंत्री को ज्ञापन

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ (पुसौर), 15 अक्टूबर 2025: छत्तीसगढ़ के धान उत्पादक किसानों का सब्र अब जवाब दे रहा है। केंद्र सरकार के डिजिटल कृषि पहल ‘एग्रीस्टैक’ पोर्टल पर पंजीकरण की लगातार बाधाओं और राज्य सरकार द्वारा धान खरीदी पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को 3286 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग के बीच, कांग्रेस ने बुधवार को रायगढ़ जिले के बोरोडीपा पुसौर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया। यह प्रदर्शन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व में हुआ, जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और तहसीलदार पुसौर को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नाम एक ज्ञापन सौंपा। यह घटना न केवल किसानों की आर्थिक चिंताओं को उजागर करती है, बल्कि राज्य की राजनीति में भी एक नया मोड़ ला रही है, जहां विपक्ष सरकार पर किसान-विरोधी नीतियों का आरोप लगा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज के नेतृत्व में यह आंदोलन छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में फैलते किसान असंतोष का प्रतीक बन गया है। बैज ने हाल ही में जारी एक बयान में कहा था कि एग्रीस्टैक पोर्टल पर तकनीकी खराबियां, जैसे आधार लिंकिंग की समस्या, पुराने पंजीकृत किसानों का कैरी फॉरवर्ड न होना और सत्यापन प्रक्रिया की जटिलता, लाखों किसानों को सरकारी योजनाओं से वंचित कर रही है। केंद्र सरकार की इस डिजिटल पहल को लागू करने का दावा तो किया गया, लेकिन जमीनी हकीकत में यह किसानों के लिए ‘डिजिटल दीवार’ साबित हो रही है। राज्य में 25 लाख से अधिक किसान परिवार प्रभावित हो रहे हैं, जहां पोर्टल पर ई-केवाईसी और टोकन बुकिंग के नाम पर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य विपणन वर्ष 2025-26 के लिए धान खरीदी प्रक्रिया को सुचारू बनाना था। कांग्रेस की मांग है कि धान खरीदी 1 नवंबर से शुरू हो, प्रति एकड़ 21 क्विंटल की सीमा हटाई जाए और MSP को 3100 रुपये से बढ़ाकर 3286 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए। यह वृद्धि केंद्र द्वारा घोषित MSP वृद्धि (2024-25 के लिए 117 रुपये और 2025-26 के लिए 69 रुपये) को ध्यान में रखते हुए की गई है। हालांकि, राज्य सरकार ने 15 नवंबर से 3100 रुपये पर खरीदी शुरू करने का ऐलान किया है, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि देरी से फसल खराब होने का खतरा मंडरा रहा है। पिछले वर्ष 14.5 मिलियन टन धान की खरीदी हुई थी, लेकिन इस बार लक्ष्य 16 मिलियन टन रखा गया है—फिर भी, किसानों को भुगतान में देरी और स्टोरेज की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

बोरोडीपा पुसौर के धरना स्थल पर सुबह 10 बजे से ही सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता जमा हो गए। नारों के बीच ‘किसान बचाओ, सरकार जागो’ और ‘3286 MSP दो, वरना आंदोलन बढ़ो’ जैसे स्लोगन गूंजते रहे। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नागेंद्र नेगी ने संबोधित करते हुए कहा, “किसान राज्य की रीढ़ हैं, लेकिन भाजपा सरकार उन्हें उपेक्षित कर रही है। एग्रीस्टैक पोर्टल की खामियां ठीक न करने पर लाखों किसान योजनाओं से बाहर हो जाएंगे। हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि तत्काल सुधार करें।” नेगी के अलावा, अरुण गुप्ता, संतोष बहिदार (सेवा दल रायगढ़ अध्यक्ष), रवि पांडेय (कांग्रेस नेता), परदेशी चौहान, आनंद यादव (सेवा दल ब्लॉक अध्यक्ष पुसौर), रोहित सिदार (पूर्व सरपंच और युवक कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष पुसौर), लल्लू सिंह (किसान नेता), रामकुमार पटेल (किसान नेता, कोसमंडा), त्रिनाथ चौहान (ब्लॉक अध्यक्ष अनुसूचित जाति कांग्रेस पुसौर), सोम सिंह (कांदागढ़), भुवनेश्वर साहू (ब्लॉक अध्यक्ष युवक कांग्रेस पुसौर), राजकुमार मेहर, लक्ष्मण साव (पूर्व पार्षद वार्ड नंबर 1, पुसौर), विकल चौहान, रोहित चौहान, हरिशंकर चौहान और विदेशी सिंह जैसे वरिष्ठ नेता भी मंच पर मौजूद रहे।
किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा और प्रदेश प्रभारी महामंत्री अकील हुसैन के निर्देश पर आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। मिश्रा ने बताया कि यह धरना राज्यव्यापी आंदोलन की शुरुआत मात्र है। “एग्रीस्टैक पोर्टल पर पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर है, लेकिन तकनीकी बाधाओं के कारण ग्रामीण किसान परेशान हैं। सरकार को तुरंत हेल्पलाइन मजबूत करनी चाहिए,” उन्होंने कहा। प्रदर्शन के अंत में तहसीलदार को सौंपे गए ज्ञापन में पांच मुख्य मांगें दर्ज हैं: (1) एग्रीस्टैक पोर्टल पर पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाना, (2) पुराने पंजीकृत किसानों का डेटा कैरी फॉरवर्ड करना, (3) धान खरीदी 1 नवंबर से शुरू करना, (4) MSP 3286 रुपये प्रति क्विंटल लागू करना, और (5) अतिवृष्टि से प्रभावित फसलों के लिए तत्काल मुआवजा घोषित करना।
यह प्रदर्शन छत्तीसगढ़ की राजनीति में किसानों के मुद्दे को फिर से केंद्र में ला रहा है। 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने MSP वृद्धि के वादे पर सत्ता हासिल की थी, लेकिन अब विपक्ष के रूप में वह भाजपा सरकार पर दबाव बना रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मांगें पूरी न हुईं, तो यह आंदोलन पूरे राज्य में फैल सकता है, खासकर जब धान की फसल कटाई का मौसम चरम पर है। फिलहाल, सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन किसान संगठन सतर्क हैं। रायगढ़ जैसे कृषि-प्रधान जिलों में यह घटना न केवल स्थानीय मुद्दा है, बल्कि पूरे देश के किसान आंदोलन का हिस्सा बन सकती है।