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जंगली सूअरों के ‘आतंक’ में बिछा मौत का जाल: खेतों में करंट की चपेट में युवक की दर्दनाक मौत, छत्तीसगढ़ में बढ़ते हादसों की चेतावनी

ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी की असमय विदाई ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया; पुलिस ने जांच तेज, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का वादा

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के लैलूंगा थाना क्षेत्र में भेलवाटोली गांव के खेतों में जंगली सूअरों से निपटने के नाम पर बिछाए गए अवैध करंट के जाल ने एक युवा जीवन को हमेशा के लिए निगल लिया। मृतक लाल कुमार साहू (उम्र लगभग 35 वर्ष), पिता त्रिलोचन साहू के निवासी भेलवाटोली, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के रूप में अपनी मेहनत और समर्पण से किसानों के बीच एक जाना-पहचाना नाम थे। कल रात देर से अपने खेत का निरीक्षण करने गए लाल कुमार जब दोबारा लौटे, तो वे मौत के उस घातक जाल में फंस गए, जिसे किसी ने जंगली सूअरों को भगाने के लिए फैलाया था। मौके पर ही उनकी सांसें थम गईं। यह हादसा न केवल एक परिवार का व्यक्तिगत दुख है, बल्कि पूरे क्षेत्र में व्याप्त जंगली जानवरों के आतंक और अवैध करंट बिछाने की खतरनाक प्रवृत्ति का एक काला अध्याय है, जो बार-बार मानवीय जान ले रही है।

हादसे की दर्दभरी कड़ियां: रात का अंधेरा और मौत का जाल
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, लाल कुमार साहू शाम को अपने खेत में फसल की देखभाल के बाद घर लौट आए थे। लेकिन रात के करीब 11 बजे, किसी जरूरी काम से वे दोबारा खेत की ओर निकले। अंधेरे में छिपे उन तारों का अंदाजा उन्हें न था, जो बिजली के करंट से लादे हुए थे। ग्रामीणों के अनुसार, क्षेत्र में जंगली सूअरों का प्रकोप इतना बढ़ चुका है कि कई किसान हताश होकर खेतों के आसपास तारों में करंट प्रवाहित कर देते हैं। यही सिलसिला लाल कुमार के लिए घातक साबित हुआ। चीखें गूंजीं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सुबह होते ही परिजनों को खेत में उनका शव मिला, जिससे गांव में सन्नाटा पसर गया।

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी और दो छोटे बच्चों के सिर से अचानक पिता का साया उठ गया। लाल कुमार न केवल परिवार का सहारा थे, बल्कि गांव के किसानों के लिए कृषि सलाहकार के रूप में एक प्रेरणा स्रोत भी। एक ग्रामीण ने बताया, “वह हमेशा फसल सुरक्षा के नए तरीके सुझाते थे, लेकिन खुद इसी समस्या का शिकार हो गए।” गांव में मातम का माहौल है; लोग एक-दूसरे को सांत्वना देते फिर रहे हैं, जबकि सवाल उठ रहे हैं—क्या जंगली सूअरों का आतंक इतना घातक हो गया है कि इंसानी जानों की कीमत पर ही इसका समाधान खोजा जाए?

पुलिस की त्वरित कार्रवाई: जांच और पंचनामा
घटना की सूचना मिलते ही लैलूंगा थाने की पुलिस टीम मौके पर पहुंची। शव को कब्जे में लेकर पंचनामा कार्रवाई पूरी की गई और जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। प्रारंभिक जांच में पुष्टि हुई कि मौत करंट लगने से हुई है। थाना प्रभारी ने बताया कि आसपास के खेतों और तारों की तलाश तेज कर दी गई है। “यह मामला गंभीर है। जंगली सूअरों के नाम पर अवैध करंट बिछाना कानूनन अपराध है। हम दोषी की शिनाख्त कर सख्त कार्रवाई करेंगे, चाहे वह कोई भी हो।” पुलिस ने वन विभाग को भी सूचित किया है, क्योंकि जंगली सूअरों का मुद्दा वन्यजीव संरक्षण कानून से जुड़ा है।

जंगली सूअरों का बढ़ता आतंक: छत्तीसगढ़ में हादसों का सिलसिला
यह कोई पहला मामला नहीं है। छत्तीसगढ़ के कई जिलों—रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, महासमुंद से लेकर कोरबा तक—जंगली सूअरों का आतंक किसानों के लिए अभिशाप बन चुका है। ये रातोंरात फसलें चट कर जाते हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। हताशा में कई लोग अवैध तरीके अपनाते हैं, जो खुद उनके लिए घातक साबित हो रहे हैं। हाल के वर्षों में ऐसे कई हादसे सामने आ चुके हैं:

**रायगढ़ (2022)**: पुँजिपथरा गांव में जंगली सूअर शिकार के लिए बिछाए करंट में तीन ग्रामीणों की मौत हो गई। एक कुत्ते की भी जान गई थी। वन विभाग ने जांच की, लेकिन दोषी पकड़े गए।
 
**कोरबा (अक्टूबर 2024)**: जंगली जानवरों के शिकार के लिए तारों में करंट फैलाने से दो लोगों की मौत। पुलिस ने तार बिछाने वालों की तलाश शुरू की, जो आज भी जारी है।

**महासमुंद (सितंबर 2025)**: करंट से जंगली सूअर और भालू का शिकार करने के आरोप में वन विभाग ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया। यह घटना दर्शाती है कि शिकार की प्रवृत्ति कितनी खतरनाक हो रही है।

**बिलासपुर (2022)**: सीपत क्षेत्र में आठ जंगली सूअरों का करंट से शिकार, छह शिकारी रंगे हाथों पकड़े गए।

इन घटनाओं से साफ है कि जंगली सूअरों की बढ़ती संख्या—जो वनों की कटाई और कृषि विस्तार से जुड़ी है—एक बड़ी समस्या बन चुकी है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य में जंगली सूअरों की आबादी अनियंत्रित रूप से बढ़ रही है, जिससे फसल नुकसान के अलावा मानवीय हादसे भी हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है, “सरकार जंगली जानवरों की सुरक्षा पर जोर देती है, लेकिन हमारी फसलें और जानें कौन बचाएगा? वन विभाग की पेट्रोलिंग बढ़ानी चाहिए, या फिर वैकल्पिक उपाय जैसे बाड़ेबंदी या ड्राइव-आउट अभियान चलाने चाहिए।”

कड़ी कार्रवाई की मांग: एकता से समाधान की जरूरत
ग्रामीणों और परिजनों ने दोषी पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा, “यह हादसा चेतावनी है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो और जानें जाएंगी।” जिला प्रशासन ने वादा किया है कि जंगली सूअरों के प्रबंधन के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। लेकिन सवाल वही है—क्या यह वादा कागजों तक सीमित रहेगा, या वास्तविक बदलाव लाएगा?

लाल कुमार साहू की मौत ने न केवल भेलवाटोली को शोकाकुल कर दिया है, बल्कि पूरे क्षेत्र को सोचने पर मजबूर कर दिया है। एक तरफ वन्यजीव संरक्षण का संवेदनशील मुद्दा, दूसरी तरफ किसानों की आजीविका—इस द्वंद्व को सुलझाने के लिए अब ठोस नीतिगत कदम उठाने का समय आ गया है। उनके परिवार को न्याय मिले और ऐसे हादसे दोबारा न हों, यही सभी की कामना है। अंतिम संस्कार आज गांव में होगा, जहां हजारों लोग उन्हें विदाई देंगे।

* (यह घटना हमें याद दिलाती है कि विकास और संरक्षण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। ग्रामीण भारत की ये अनकही कहानियां अक्सर अनसुनी रह जाती हैं, लेकिन इन्हें आवाज देना हमारा दायित्व है।)*

Amar Chouhan

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