धौराभांठा में जनसुनवाई स्थगन पर 14 गांवों की एकजुटता, आंदोलन की नई रणनीति तैयार

ग्राम पंचायत समितियों का गठन, कानूनी लड़ाई और दस्तावेजीकरण पर जोर, ग्रामीणों की एकता ने दिखाया दम
एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम | धौराभांठा, तमनार (रायगढ़), 13 अक्टूबर 2025
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत धौराभांठा में 11 अक्टूबर 2025 को आयोजित “धन्यवाद सभा” में 14 गांवों के ग्रामीणों ने एकजुट होकर प्रशासन के उस निर्णय का स्वागत किया, जिसके तहत गारे पेलमा सेक्टर-1 कोल ब्लॉक परियोजना की पर्यावरणीय जनसुनवाई को स्थगित किया गया। इस सभा में उपस्थित जनप्रतिनिधियों, आंदोलनकारियों, महिलाओं और ग्रामीणों ने इसे अपनी एकता और शांतिपूर्ण संघर्ष की प्रारंभिक जीत करार दिया। हालांकि, सभी ने एक स्वर में स्पष्ट किया कि यह केवल पहला पड़ाव है—लड़ाई अभी लंबी है, और अब इसे और अधिक संगठित, रणनीतिक और कानूनी रूप से मजबूत ढंग से लड़ा जाएगा।
जनसुनवाई स्थगन: एकता की पहली जीत
“धन्यवाद सभा” का आयोजन विशेष रूप से गारे पेलमा सेक्टर-1 कोल ब्लॉक परियोजना की 14 अक्टूबर को प्रस्तावित जनसुनवाई के स्थगन के संदर्भ में किया गया। इस सभा में जनपद अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य, सरपंच, आंदोलनकारी, महिलाएं और ग्रामीण बड़ी संख्या में शामिल हुए। सभा में स्थगन के निर्णय को ग्रामीणों की जागरूकता और संगठित प्रयासों का परिणाम माना गया। जिला पंचायत सदस्य रमेश बेहरा ने कहा, “यह जीत हमारी एकता का प्रतीक है। ग्रामीणों ने सड़कों पर उतरकर और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज बुलंद की, जिसका असर प्रशासन तक पहुंचा। लेकिन यह अंत नहीं, बल्कि शुरुआत है। अब हमें परियोजना के पूर्ण निरस्तीकरण के लिए और ठोस रणनीति बनानी होगी।”
जनपद अध्यक्ष जागेश सिंह सिदार ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “यह जनशक्ति की जीत है। एक बड़ी कंपनी का घमंड हमारी एकता के सामने टूटा है। यह आंदोलन अब केवल धौराभांठा या तमनार तक सीमित नहीं, बल्कि यह ग्रामीण चेतना का प्रतीक बन चुका है।” सभा में शामिल विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने भी ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी की सराहना की। ग्राम पंचायत मैलोई के सरपंच ने बताया कि उनके गांव से 493 ग्रामीणों ने विरोध रैली में हिस्सा लिया, जो स्थानीय जागरूकता का जीवंत उदाहरण है।
पर्यावरण और आजीविका पर खतरा
सभा में पर्यावरण प्रदूषण और आजीविका पर पड़ रहे दुष्प्रभावों पर भी गहन चर्चा हुई। ग्राम पंचायत लिबरा की सरपंच श्रीमती लक्ष्मी सिदार ने कहा, “हमारे क्षेत्र में पहले से ही औद्योगिक गतिविधियों के कारण प्रदूषण का असर साफ दिखाई दे रहा है। खेती, पानी और स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अब और नुकसान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” ग्रामीणों ने यह भी चिंता जताई कि प्रस्तावित कोल ब्लॉक परियोजना से उनकी जमीन, जल और जंगल को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी, जिसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा।

आंदोलन की नई रणनीति: संगठन और कानूनी लड़ाई
सभा में आंदोलन को और मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन अब केवल विरोध तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे संगठित, दस्तावेजीकृत और कानूनी रूप से मजबूत बनाया जाएगा। इसके लिए निम्नलिखित रणनीतियां तय की गईं:
1. **ग्राम पंचायत समितियों का गठन**: प्रत्येक ग्राम पंचायत में 10 से 15 सदस्यों की समिति गठित की जाएगी। इन समितियों में पंचायत प्रतिनिधियों के साथ-साथ महिलाएं, युवा और जागरूक ग्रामीण शामिल होंगे। पहले से गठित समितियों को और सक्रिय किया जाएगा।
2. **नियमित बैठकें और दस्तावेजीकरण**: प्रत्येक 8 से 15 दिनों में ग्राम समिति की बैठकें आयोजित की जाएंगी। इन बैठकों का कार्यवृत्त एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा, जिसमें सभी उपस्थित सदस्यों के हस्ताक्षर होंगे।
3. **वित्तीय पारदर्शिता**: आंदोलन में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रत्येक बैठक में आय-व्यय का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा।
4. **दस्तावेजों का संकलन**: अब तक प्रशासन को भेजे गए पत्रों की पावती, ग्राम सभा की कार्यवाही की छायाप्रतियां और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों को व्यवस्थित रूप से फाइल में संरक्षित किया जाएगा। यह भविष्य की कानूनी और रणनीतिक कार्रवाइयों के लिए उपयोगी होगा।
5. **डिजिटल माध्यमों का उपयोग**: जनसुनवाई विरोध व्हाट्सएप समूह जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म को और मजबूत किया जाएगा ताकि सूचनाओं का आदान-प्रदान तेजी से हो सके।
6. **कानूनी विकल्पों पर विचार**: परियोजना के निरस्तीकरण के लिए कानूनी रास्तों और न्यायालयीन प्रक्रियाओं पर विचार किया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञों की सलाह ली जाएगी।
7. **कोर कमेटी को जानकारी संप्रेषण**: केंद्रीय कोर कमेटी की अगली बैठक में प्रत्येक पंचायत से ग्राम सभा की कार्यवाही, विरोध पत्रों की संख्या और अन्य दस्तावेज संकलित किए जाएंगे। यह डेटा आंदोलन को तथ्यपरक और मजबूत बनाने में मदद करेगा।

ग्रामीणों की एकता और नारी शक्ति
सभा में महिलाओं और युवाओं की भूमिका को विशेष रूप से रेखांकित किया गया। आंदोलन में महिलाओं ने न केवल बड़ी संख्या में हिस्सा लिया, बल्कि रैलियों और बैठकों में सक्रिय नेतृत्व भी प्रदान किया। युवाओं ने डिजिटल माध्यमों के जरिए आंदोलन को व्यापक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सभा में सभी वक्ताओं ने एकमत होकर कहा कि यह आंदोलन अब केवल पर्यावरण और आजीविका की रक्षा का मसला नहीं, बल्कि ग्रामीण चेतना और सामूहिक शक्ति का प्रतीक बन चुका है।
“धन्यवाद सभा” में यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक गारे पेलमा सेक्टर-1 कोल ब्लॉक परियोजना पूरी तरह निरस्त नहीं हो जाती। ग्रामीणों ने एकजुट होकर यह संकल्प लिया कि वे अपनी जमीन, जल और जंगल की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। सभा के अंत में सभी सहयोगियों, विशेषकर महिलाओं और युवाओं को धन्यवाद दिया गया और एकता, पारदर्शिता और निरंतर संवाद के साथ इस लड़ाई को जीत तक ले जाने का आह्वान किया गया।
यह आंदोलन न केवल धौराभांठा या तमनार के लिए, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश के उन तमाम ग्रामीण समुदायों के लिए एक मिसाल बन रहा है, जो अपनी जमीन और पर्यावरण की रक्षा के लिए संघर्षरत हैं। ग्रामीणों की यह एकता और संगठित प्रयास निश्चित रूप से भविष्य में और बड़े परिणाम लाएंगे।
सिकंदर चौहान की रिपोर्ट