सराईटोला, मुड़ागांव समेत अब 7 और गांवों के पानी में डेढ़ मिलीग्राम से ज्यादा मिला फ्लोराइड

बिना रिमूवल प्लांट वाले बोरवेल से पानी पीना खतरनाक, रायपुर की कंपनी को दिया गया है फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाने ठेका
तमनार के सराईटोला, गारे, मुड़ागांव, घरघोड़ा के दनौट, कया, बटुराकछार और लैलूंगा के चवरपुर, चिरईखार और नदीडिपा गांवों के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा पाई गई है।
एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले में कुछ जगहों का भूजल अब पीने योग्य नहीं रह गया है क्योंकि उसमें फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा पाई जा रही है। यह समस्या मुख्य रूप से खनन कार्यों (जैसे कोयला खदानों) के कारण हुई है, जिनसे मिट्टी और पानी दोनों में प्रदूषण बढ़ गया है।
मुख्य नुकसान और असर
– स्वास्थ्य पर बुरा असर: फ्लोराइड मिले पानी को लंबे समय तक पीने से शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी होती है। इसमें दांत पीले और कमजोर हो जाते हैं, जल्दी गिरने लगते हैं और हड्डियां टेढ़ी या कमजोर हो जाती हैं।
– पीने का पानी असुरक्षित: इन गांवों में अब बोरवेल का पानी सीधे नहीं पिया जा सकता। बिना फिल्टर या ट्रीटमेंट के यह पानी खतरनाक हो गया है।
– स्थानीय लोगों की परेशानी: रोजमर्रा की जरूरतों के लिए उन्हें पानी के वैकल्पिक स्रोत ढूँढने पड़ रहे हैं। पुराना पानी इस्तेमाल करने से धीरे-धीरे शरीर में जहर जैसा असर होता है।
– रिमूवल प्लांट की जरूरत: सरकार ने रायपुर की श्री एसोसिएट्स कंपनी को फ्लोराइड हटाने वाले प्लांट लगाने का काम दिया है, ताकि लोगों को सुरक्षित पेयजल मिल सके। हालांकि पहले लगे कुछ प्लांट खराब हो गए हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।
इस तरह खनन से बढ़ रहे प्रदूषण ने न सिर्फ हवा, बल्कि मिट्टी और पानी दोनों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर सीधा खतरा पैदा हो गया है।

खबर अब विस्तार से..
खनिजों से भरपूर रायगढ़ जिले के कुछ हिस्से में भूजल बिल्कुल पीने योग्य ही नहीं है। खनन क्रियाओं के चलते पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा पाई गई है। पूर्व में पांच गांव चिह्नित थे लेकिन अब गांवों की संख्या बढ़कर नौ पर पहुंच गई है। इन गांवों में बोरवेल का पानी सीधे पीने योग्य नहीं है। रायपुर की एक कंपनी को फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाने के लिए अधिकृत किया गया है। कोयला खदानों ने रायगढ़ को सिर्फ वायु प्रदूषण नहीं दिया बल्कि मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण भी दिया है। पहले बोरवेल का पानी सीधे पीने लायक था लेकिन अब इसमें खतरनाक रसायनों की मात्रा बढ़ रही है। पहले तमनार क्षेत्र के पांच गांवों में पानी में फ्लोराइड की मात्रा तय खतरनाक स्तर से अधिक पाई गई थी।
ऐसे जल स्रोतों को बंद करके दूसरी जगहों पर बोरवेल खनन किया गया। लेकिन वहां भी पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई। अब नौ गांव ऐसे हैं जहां का पानी बिना ट्रीटमेंट या फिल्टर के नहीं पीया जा सकता। तमनार के सराईटोला, गारे, मुड़ागांव, घरघोड़ा के दनौट, कया, बटुराकछार और लैलूंगा के चवरपुर, चिरईखार और नदीडिपा गांवों के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा पाई गई है। हालांकि 0.6 मिलिग्राम प्रति लीटर को फ्लोराइड का खतरनाक स्तर माना जाता था। लेकिन अब यह मानक स्वीकार योग्य 1 मिलीग्राम प्रति लीटर तक है। इसे डेढ़ मिलीग्राम तक भी स्वीकार किया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार इन नौ गांवों में सैम्पल लेकर लैब टेस्ट करने पर पता चला कि यहां पानी में फ्लोराइड की मात्रा 2.10 मिलीग्राम से लेकर 2.69 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाया गया है। यह खतरनाक स्तर से कहीं ज्यादा है।

दांतों और हड्डियों से संबंधी बीमारियां
फ्लोराइड युक्त पानी नियमित रूप से पीने पर व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। दांतों और हड्डियों से संबंधित बीमारी फ्लोरोसिस होने की पूरी संभावना होती है। इसमें दांतों में पीलापन, कमजोरी और जल्दी गिरने का खतरा होता है। हड्डियां कमजोर होकर टेढ़ी होने लगती हैं।
श्री एसोसिएट्स को मिला ठेका
रायगढ़ के इन गांवों में पानी से फ्लोराइड हटाने का काम रायपुर की श्री एसोसिएट्स को मिला है। कंपनी को उन जल स्रोतों में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाकर लोगों को पानी उपलब्ध कराना है। प्लांट का मेंटेनेंस भी कंपनी को ही करना है। कुछ साल पहले सराईटोला और मुड़ागांव में लगे हुए रिमूवल प्लांट खराब हो चुके हैं।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की खबर