अवैध धंधे पर लिखी सच्चाई से बौखलाए बिलाईगढ़ थाना प्रभारी, फर्जी प्रेस विज्ञप्ति से पत्रकारों पर हमला—निलंबन की मांग पर आंदोलन की चेतावनी

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम सारंगढ़–बिलाईगढ़। जिस कलम से सच लिखा जाता है, वही लोकतंत्र की रीढ़ है। लेकिन जब वर्दी का घमंड कलम की ताकत को कुचलने पर आमादा हो जाए, तो सवाल सिर्फ एक अफसर के आचरण पर नहीं, पूरे जनतांत्रिक ढांचे की सेहत पर खड़ा होता है। ताज़ातरीन मामला बिलाईगढ़ से जुड़ा है, जहां थाना प्रभारी शिवधारी पर आरोप है कि उन्होंने अवैध शराब और जुए के नेटवर्क पर पत्रकार द्वारा लिखी गई खबर से बौखलाकर फर्जी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पत्रकारों की साख पर हमला बोला। अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के जिला अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार नरेश चौहान ने स्थानीय सरपंच की लिखित शिकायत के आधार पर खबर प्रकाशित की थी, जिसमें कथित रूप से पुलिस संरक्षण में चल रहे शराब और जुए के खेल का खुलासा किया गया।
खबर लगते ही बढ़ा ‘वर्दी का दबाव’ जनता की मानें तो बिलाईगढ़ क्षेत्र में अवैध शराब और जुए ने ऐसी जड़ें जमा ली हैं कि लोग त्रस्त हो चुके हैं। आरोप है कि यह पूरा कारोबार वर्दी के संरक्षण में चलता है और कमीशनखोरी से जुड़ा है। वरिष्ठ पत्रकार नरेश चौहान की खबर में इन तथ्यों को सामने लाया गया, तो थाना प्रभारी शिवधारी ने कानूनी कार्रवाई और नोटिस की धमकी के साथ मोर्चा खोल दिया।
फर्जी प्रेस विज्ञप्ति से विवाद जिले में पुलिस और प्रेस के बीच सूचना साझा करने के लिए डीएसपी अविनाश मिश्रा की निगरानी में एक आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप है, लेकिन आरोप है कि नियमों को दरकिनार कर टीआई शिवधारी ने अपने बचाव में खुद ही मनगढ़ंत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पत्रकारों को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। पत्रकारों का कहना है कि यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की प्रतिष्ठा और स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
पत्रकारों का विरोध और आंदोलन की तैयारी मामले ने जिले भर के पत्रकारों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। पत्रकार संघ ने साफ शब्दों में कहा है कि “अब कलम नहीं झुकेगी।” उनकी मांग है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो और थाना प्रभारी शिवधारी को तत्काल निलंबित किया जाए। यदि कार्रवाई नहीं हुई तो प्रदेश भर के पत्रकार सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे और ऐसे अफसरों की असलियत राज्य के सामने लाएंगे।
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर खतरा पत्रकारिता का उद्देश्य सिर्फ खबर लिखना नहीं, बल्कि सत्ता से सवाल करना, समाज को दिशा देना और जनविरोधी गतिविधियों की सूचना शासन तक पहुंचाना है। परन्तु सच्चाई उजागर करने का साहस रखने वालों को धमकी देना, नोटिस भेजना और झूठा मुकदमा ठोकना न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि यह आम जनता को भी यह संदेश देता है कि वर्दी के आगे सच की आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है। पत्रकार संघ की एकजुट आवाज यही कह रही है—सच लिखना अपराध नहीं, साहस है… अब जांच उन्हीं की होगी जो आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
