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घरघोड़ा की सड़कों पर मवेशियों का आतंक, प्रशासन की चुप्पी हादसों को न्योता

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा : रायगढ़ जिले के घरघोड़ा नगर सहित आस-पास के ग्रामीण इलाकों में सड़कों पर आवारा मवेशियों का कब्ज़ा किसी आम नज़ारे से कम नहीं रह गया है। सुबह हो या शाम, मुख्य मार्गों से लेकर गलियों तक गाय-बैल और बछड़े बेखौफ विचरण करते दिखाई देते हैं। लेकिन यह लापरवाही अब सीधे हादसों का कारण बन रही है और लोगों की जान हर पल सांसत में पड़ी है।

चलती सड़कें बनीं दुर्घटना का जाल
आवारा मवेशी अक्सर अचानक सड़क के बीच निकल आते हैं। तेज रफ्तार बाइक या चारपहिया वाहन चालकों का संतुलन बिगड़ते देर नहीं लगती। हाल ही में कई छोटे-बड़े हादसों में लोग घायल हुए हैं, जिनकी वजह यही मवेशी बने। बाजार, जयस्तम्भ चौक से लेकर हाईस्कूल, नावापारा मार्ग तक पैदल चलना किसी जोखिम उठाने जैसा महसूस होता है। व्यापारियों का कहना है कि शाम के वक्त इन पशुओं का जमावड़ा इतना बढ़ जाता है कि ग्राहक और वाहन दोनों परेशान रहते हैं।

किसान भी हो रहे बर्बाद
हीरो की सड़कों जितना ही बड़ा संकट किसानों की फसलें झेल रही हैं। खेतों में घुसकर आवारा मवेशी धान, सब्जी और अन्य फसलें चट कर जाते हैं। किसानों का कहना है कि महंगे बीज, खाद और दवाइयों में हजारों रुपये लगाने के बाद भी जब मेहनत को पशु पल भर में नष्ट कर देते हैं, तो मनोबल टूट जाता है। एक किसान ने आक्रोश जताते हुए कहा – “फसल की सुरक्षा करने में ही आधा समय और पैसा खत्म हो रहा है, खेती का फायदा रहा कहां?”

जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते मालिक और प्रशासन
लोगों का कहना है कि हालात की गंभीरता के बावजूद पशुपालक अपने मवेशियों को खुला छोड़ देते हैं। प्रशासन भी मानो आंख मूंदे बैठा है। नगर पंचायत द्वारा न तो आवारा मवेशियों को पकड़ने की कोई ठोस व्यवस्था की गई है और न ही नियमित अभियान चलाने की पहल दिखी है। यही कारण है कि समस्या दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है।

त्योहारों से पहले बढ़ी चिंता
त्योहारों के दिनों में गलियां और सड़कें भीड़भाड़ से भर जाती हैं। ऐसे समय में सड़कों पर घूमते मवेशी और बड़ी दुर्घटनाओं को जन्म दे सकते हैं। लोगों का कहना है कि शाम को बाजार जाने वाले परिवार, महिलाएं और बच्चे तक इस डर में रहते हैं कि कहीं अचानक कोई मवेशी उन्हें गिरा न दे। यह स्थिति प्रशासन की गंभीर विफलता को उजागर करती है।


नगर पंचायत तत्काल विशेष अभियान चलाकर आवारा मवेशियों को सड़कों से हटाए।

मवेशी मालिकों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाए।

फसलें नुकसान होने पर पीड़ित किसानों को मुआवजा मिले।

सड़क और बाजार क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए।

नगरवासियों का कहना है कि यह सवाल सिर्फ परेशानी का नहीं, जान-माल की सुरक्षा का है। आवारा मवेशियों ने न सिर्फ नगर की सूरत बिगाड़ रखी है, बल्कि सीधे तौर पर जिंदगी को खतरे में डाल दिया है। लोगों का गुस्सा और बढ़ता जा रहा है और वे पूछ रहे हैं – “क्या किसी गंभीर हादसे का इंतजार है, तब जाकर जिम्मेदारों की नींद खुलेगी?”

सहयोगी सिकंदर चौहान के साथ जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान की रिपोर्ट

Amar Chouhan

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