“3 दिन में कांग्रेस का ‘अशोक चक्र’ कैसे बना विवाद का चक्रव्यूह? सबके सवालों के घेरे में उमेश पटेल!”

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ में इन दिनों राजनीति ज़मीन से ज्यादा सोशल मीडिया पर लड़ी जा रही है। खासकर बीजेपी की डिजिटल टीम कांग्रेस नेताओं को निशाने पर लेने में ज्यादा आक्रामक दिखाई दे रही है। इस बार उनके टारगेट बने हैं खरसिया विधायक और पूर्व मंत्री उमेश पटेल। वजह बनी 15 सितंबर को जिले से शुरू हुई कांग्रेस की ‘वोट अधिकार यात्रा’, जिसमें उम्मीद से कहीं ज्यादा भीड़ जुटी और इसे रायगढ़ जिले की अब तक की सबसे बड़ी रैली माना जाने लगा।
इतनी बड़ी भीड़ देखकर बीजेपी खेमे में हलचल तेज हो गई। तीन दिन तक कोई मुद्दा नहीं मिलने पर आखिरकार 18 सितंबर की सुबह एक तस्वीर को केंद्र में लाकर माहौल गरमा दिया गया। इसमें उमेश पटेल अपनी गाड़ी के बोनट पर बैठे नजर आए, जहां यात्रा का पोस्टर चिपका था। तस्वीर में ऐसा लगा कि विधायक के पैर पोस्टर पर बने निशान के ऊपर पड़ गए हैं। बीजेपी समर्थकों ने इस निशान को अशोक चक्र बताकर राष्ट्रीय प्रतीक के अपमान का मुद्दा खड़ा कर दिया और सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर वायरल करना शुरू कर दिया।
यहीं से राजनीतिक तकरार और बढ़ी। भाजयुमो पदाधिकारी इस मामले को लेकर थाने तक पहुँच गए और देशद्रोह का केस दर्ज करने की मांग की। इधर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह पूरी तरह से अफवाह और भ्रामक प्रचार है। उनका तर्क है कि यात्रा में इस्तेमाल हुआ सिंबल अशोक चक्र से बिल्कुल अलग है, इसके बीच एक हाथ भी बनी हुई है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष ग्रामीण नगेंद्र नेगी ने तो यहां तक कहा कि बीजेपी जानबूझकर जनता को गुमराह कर रही है और जरूरत पड़ने पर इस मामले को अदालत में भी ले जाएंगे।
सोशल मीडिया पर दोनों पार्टियों की ट्रोल आर्मी आमने-सामने है। कांग्रेस समर्थक लगातार सफाई दे रहे हैं जबकि बीजेपी इसे राष्ट्रीय अपमान बताने पर अड़ी हुई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस इस मामले में किस पक्ष की व्याख्या को मान्यता देती है—कांग्रेस का एक चिन्ह या बीजेपी के अनुसार अशोक चक्र का अपमान! देखना यह भी है कि रायगढ़ पुलिस को भी कांग्रेस का यह वोटर अधिकार यात्रा का सिंबल अशोक चक्र दिखाई देता है या नहीं..! अगर ऐसा हुआ तो अगली बार से कांग्रेस के झंडे पर भी सवाल उठ जाएगा, क्योंकि कांग्रेस के झंडे में भी राष्ट्रीय ध्वज की तरह काफी सिमिलरिटी है।