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रायगढ़ गैंगरेप कांड : एक सनसनीखेज अपराध जो समाज की कमजोरियों को उजागर करता है!

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले के कापू थाना क्षेत्र से सामने आया यह मामला महिलाओं के खिलाफ हिंसा का एक क्रूर उदाहरण है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ बदमाशों ने एक शादीशुदा आदिवासी महिला का तलवार की नोक पर अपहरण कर लिया और लगभग 7 दिनों तक उसे बंधक बनाए रखा। इस दौरान अलग-अलग जगहों पर ले जाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म (गैंगरेप) किया गया। आरोपी ने महिला के पति को भी जान से मारने की धमकी देकर मामले को छिपाने के लिए मजबूर किया। घटना के बाद परिजनों ने ग्राम स्तर पर मशवरा किया और फिर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 127(2) (अपरहरण), 140(3) (बलपूर्वक बंधक बनाना), 3(5) (सामान्य अपराध), 351(2) (आपराधिक धमकी), 70(1) (दुष्कर्म) और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। वर्तमान में दो संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

यह घटना 21 जुलाई 2025 को कापू थाना के जंगलमोहा ग्राम पंचायत में घटी, जो खर्राभौना क्षेत्र के अंतर्गत आती है। थाना प्रभारी एगेश्वर यादव ने पुष्टि की है कि पीड़िता के बयानों के आधार पर विभिन्न स्थानों पर घटना के साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं, और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीमें सक्रिय हैं।

यह केवल दुष्कर्म नहीं, बल्कि सुनियोजित अपहरण, बंधक बनाने और लंबे समय तक यौन शोषण का मामला है। तलवार जैसे धारदार हथियार का उपयोग पीड़िता और उसके परिवार को भयभीत करने के लिए किया गया, जो अपराध की क्रूरता को दर्शाता है। एक सप्ताह तक अलग-अलग जगहों पर ले जाना दर्शाता है कि आरोपी सावधानीपूर्वक योजना बना रहे थे, संभवतः पुलिस की नजरों से बचने के लिए।
पीड़िता एक आदिवासी विवाहित महिला है, जो ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। आदिवासी समुदायों में अक्सर सामाजिक और आर्थिक कमजोरियां होती हैं, जो उन्हें ऐसे अपराधों का शिकार बनाती हैं। घटना के बाद पीड़िता ने डर के कारण तुरंत शिकायत नहीं की, बल्कि परिवार और ग्राम प्रधान के माध्यम से आगे बढ़ी, जो ग्रामीण भारत में न्याय प्रक्रिया की जटिलताओं को दिखाता है।
दर्ज धाराएं बीएनएस के तहत सख्त हैं, जो अपराध की गंभीरता को मान्यता देती हैं। आर्म्स एक्ट की धारा 25 हथियार के उपयोग के लिए अतिरिक्त सजा सुनिश्चित करती है। हालांकि, खबर में उल्लेख है कि केवल दो आरोपी चिह्नित हैं, जबकि “कुछ बदमाशों” का जिक्र है, जो संभवतः और संलिप्त व्यक्तियों की जांच की आवश्यकता दर्शाता है। पुलिस की प्रारंभिक कार्रवाई सकारात्मक है, लेकिन पूर्ण जांच में मेडिकल रिपोर्ट, फॉरेंसिक साक्ष्य और गवाहों की सुरक्षा महत्वपूर्ण होगी।

यह घटना न केवल पीड़िता के लिए जख्म है, बल्कि पूरे परिवार और समुदाय को प्रभावित करती है। पति को दी गई धमकी से परिवार में भय का माहौल बना, जो रिपोर्टिंग में देरी का कारण बना। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं महिलाओं को सामाजिक कलंक का शिकार बनाती हैं, जिससे वे न्याय के लिए हिचकिचाती हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से, लंबे समय तक बंधक बनाए रखना पीड़िता में PTSD (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसके अलावा, आदिवासी महिलाओं पर लक्षित अपराध सामुदायिक ताने को बढ़ावा देते हैं, जो लिंग असमानता और जातीय भेदभाव को उजागर करता है।

भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की यह घटना कोई अलग-थलग मामला नहीं है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2023 में छत्तीसगढ़ में दुष्कर्म के मामले 20% से अधिक बढ़े थे, और ग्रामीण क्षेत्रों में रिपोर्टिंग दर कम है। ग्रामीण इलाकों में पुलिस की पहुंच सीमित होने, सामाजिक जागरूकता की कमी और आरोपी की अक्सर स्थानीय होने से न्याय में बाधा आती है। यह घटना सवाल उठाती है: क्या ग्रामीण महिलाओं के लिए सुरक्षा तंत्र पर्याप्त हैं? आदिवासी क्षेत्रों में विशेष संरक्षण की आवश्यकता है, क्योंकि वे आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं।

बीएनएस और POCSO जैसे कानून मजबूत हैं, लेकिन कार्यान्वयन में कमी है। इस मामले में पुलिस की त्वरित हिरासत सकारात्मक है, लेकिन आरोपी की गिरफ्तारी और फास्ट-ट्रैक ट्रायल सुनिश्चित करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के निर्भया गाइडलाइंस के तहत पीड़िता को मुआवजा, काउंसलिंग और सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। नीतिगत स्तर पर, ग्रामीण पुलिस को ट्रेनिंग, वन स्टॉप सेंटरों की स्थापना और जागरूकता अभियान बढ़ाने की जरूरत है। यदि आरोपी स्थानीय हैं, तो सामुदायिक निगरानी समितियां अपराध रोक सकती हैं।

यह सनसनीखेज वारदात रायगढ़ को शर्मसार करने वाली है, लेकिन यह समाज की गहरी समस्याओं—महिला सुरक्षा की कमी, ग्रामीण न्याय प्रणाली की कमजोरी और हिंसा के सामान्यीकरण—को उजागर करती है। पुलिस की जांच को तेज करना और पीड़िता को पूर्ण समर्थन देना आवश्यक है। समाज को आगे बढ़ने के लिए लिंग संवेदनशील शिक्षा, सख्त कानून प्रवर्तन और महिलाओं को सशक्त बनाने पर ध्यान देना होगा। यदि ऐसी घटनाएं जारी रहीं, तो यह महिलाओं के अधिकारों पर सवाल खड़े करेगी। आशा है कि न्याय जल्द मिलेगा और आरोपी कड़ी सजा पाएंगे।

Amar Chouhan

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