छत्तीसगढ़ रजत जयंती: घरघोड़ा कन्या शाला में सामूहिक पुस्तक वाचन ने रचा नया इतिहास

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा, 30 अगस्त 2025 – छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती के अवसर पर आज घरघोड़ा की कन्या पूर्व माध्यमिक शाला में एक अनूठा और प्रेरणादायक आयोजन हुआ, जहां सामूहिक पुस्तक वाचन कार्यक्रम ने ज्ञान और संस्कृति के संगम को जीवंत कर दिया। छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार, राज्य के 25वें स्थापना दिवस को उत्साह और गौरव के साथ मनाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें स्कूली छात्राओं, उनके पालकों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह आयोजन न केवल शिक्षा के प्रति जागरूकता का प्रतीक बना, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और शैक्षणिक प्रगति को भी रेखांकित करता है।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार सिंह, प्राचार्य हरीशचंद्र बेहरा, प्रधानपाठक अखिलेश मिश्रा और विकासखंड स्रोत समन्वयक मनोज प्रधान के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में स्कूल परिसर ज्ञान की रोशनी से जगमगा उठा। शिक्षक विजय पंडा ने कार्यक्रम का कुशल संयोजन करते हुए छात्राओं और पालकों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, इतिहास और राज्य में हुए शैक्षणिक विकास से अवगत कराया। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न शैक्षिक योजनाओं पर भी प्रकाश डाला, जो विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।
कार्यक्रम में विविध प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध कराई गईं, जिन्हें पढ़कर छात्राओं ने न केवल ज्ञान अर्जित किया, बल्कि पुस्तकों के महत्व को भी गहराई से समझा। शिक्षिका निवेदिता सिंह ने अपने संबोधन में पुस्तक वाचन के लाभों पर जोर देते हुए कहा, “पुस्तकें केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि ज्ञान का वह सागर हैं, जो जीवन को नई दिशा देता है।” उनकी यह बात उपस्थित सभी लोगों के मन को छू गई।
प्रधानपाठक अखिलेश मिश्रा ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि रजत जयंती के अवसर पर शैक्षणिक सत्र 2025-26 में राज्य भर के स्कूलों में इस तरह के कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जो विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा दे रहे हैं। पालकों ने भी इस आयोजन की सराहना की और इसे बच्चों के लिए प्रेरणादायक बताया।
यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की शैक्षणिक प्रगति और सामाजिक एकजुटता का एक शानदार उदाहरण बन गया। घरघोड़ा कन्या शाला के इस प्रयास ने न केवल स्थानीय समुदाय को जोड़ा, बल्कि यह संदेश भी दिया कि शिक्षा और संस्कृति के सहारे ही हम अपने राज्य के गौरवशाली भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।