दो दिनों में मेडिकल कॉलेज हास्पीटल से 10 मरीज गायब : सुरक्षा पर उठ रहे सवाल

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 12 अगस्त 2025 रायगढ़ का मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जो पहले से ही अव्यवस्थाओं की वजह से बदनाम है, अब सुरक्षा के नाम पर भी पूरी तरह फेल साबित हो रहा है। बीते दो दिनों में इलाज करा रहे 10 मरीज बिना डिस्चार्ज हुए अस्पताल से फरार हो गए, लेकिन प्रबंधन की नींद नहीं टूटी। यह सिर्फ मरीजों की नाराजगी नहीं, बल्कि अस्पताल की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाला घोर कांड है। मरीजों के परिजन गुस्से से लाल हैं, कहते हैं कि यहां इलाज के नाम पर जान जोखिम में डाली जा रही है, और प्रबंधन सिर्फ कागजी कार्रवाई करके पल्ला झाड़ रहा है। क्या यह अस्पताल है या जंगल, जहां मरीज आते हैं और भाग जाते हैं?
अस्पताल की अव्यवस्था इतनी घोर है कि भर्ती मरीज बिना इलाज पूरा किए, बिना किसी को बताए चुपचाप निकल जाते हैं। यह सुरक्षा की कमजोरी को उजागर करता है – जहां 24 घंटे निगरानी के दावे सिर्फ हवा-हवाई हैं। चार मरीज तो मेल मेडिकल वार्ड से फरार हुए, जहां अलग स्टाफ तैनात रहता है। फिर भी, वे कैसे भाग गए? क्या स्टाफ सो रहा था या अस्पताल की दीवारें इतनी कमजोर हैं कि कोई भी आ-जा सके? मरीजों और उनके परिवारों की नाराजगी चरम पर है। एक परिजन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम यहां इलाज के लिए आए थे, लेकिन यहां तो असुरक्षा का माहौल है। न CCTV ठीक से, न चेकिंग सिस्टम। रात में मरीज आसानी से निकल जाते हैं, और प्रबंधन को खबर तक नहीं!”
प्रबंधन की लापरवाही की हद देखिए – बजाय इस गंभीर मामले की जांच करने के, उन्होंने सिर्फ चक्रधरनगर थाने में सूचना देकर अपनी जिम्मेदारी खत्म कर ली। फरार मरीजों में सुशीला साहू (घरघोड़ा), शंकर आदित्य (कबीर चौक), मोहन पटेल (अंबेडकर आवास), संजय सोनवानी (देवारपारा जूटमिल), श्याम कुमारी (कोड़ातराई पुसौर), लोकेश खुंटे (कुर्दा रायगढ़), आनंद, मंगतू, साहिल और कुशलदास शामिल हैं। ये सभी इलाज के बीच में ही गायब हो गए। क्या प्रबंधन को यह नहीं पता कि मरीज क्यों भाग रहे हैं? क्या अव्यवस्थाएं इतनी ज्यादा हैं कि लोग अपनी जान बचाने के लिए अस्पताल छोड़ रहे हैं?
अस्पताल अधीक्षक एम. के. मिंज का बयान तो और भी हास्यास्पद है। उन्होंने कहा, “कुछ केस थे और कुछ सामान्य बीमारी के मरीज आए थे, जिन्हें ठीक लगने के बावजूद डॉक्टर ने ऑब्जर्वेशन के लिए रखा था, लेकिन वे बिना बताए चले गए। इनकी सूचना थाने में दी गई है।” क्या यह बहाना है या लापरवाही छिपाने की कोशिश? मरीजों की नाराजगी साफ है – वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इलाज बीच में छोड़कर जा रहे हैं, और प्रबंधन सिर्फ पुलिस को सूचना देकर सो रहा है। अस्पताल में पर्याप्त CCTV नहीं, चेकिंग सिस्टम का नामोनिशान नहीं – यह सब प्रबंधन की घोर लापरवाही का सबूत है।
यह मामला सिर्फ 10 मरीजों का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता का है। मरीजों के परिजन मांग कर रहे हैं कि तत्काल जांच हो, सुरक्षा मजबूत की जाए, और जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो। अगर प्रबंधन अब भी नहीं जागा, तो यह अस्पताल नहीं, बल्कि मौत का दरवाजा बन जाएगा। स्वास्थ्य विभाग को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, वरना रायगढ़ की जनता की जान खतरे में पड़ेगी। क्या प्रबंधन अब भी बहाने बनाएगा या सुधार करेगा? समय बताएगा!