रायगढ़ में बारिश का तांडव: स्टॉप डेम टूटा, गांवों की राहें बंद, प्रशासन की राहत में तेजी

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ (छत्तीसगढ़): लगातार तीन दिनों से जारी मूसलाधार बारिश ने रायगढ़ जिले में तबाही मचा दी है। घरघोड़ा तहसील के फगुरम क्षेत्र में करीछापार का स्टॉप डेम भारी बारिश के दबाव में टूट गया, जिससे कई गांवों का जिला मुख्यालय और अन्य क्षेत्रों से संपर्क पूरी तरह टूट गया। इस प्राकृतिक आपदा ने ग्रामीणों की जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया है, लेकिन प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर राहत कार्यों में तेजी ला दी है।
हादसे की वजह और असर
घरघोड़ा तहसील के करीछापार में बना स्टॉप डेम भारी बारिश और तेज जलप्रवाह के कारण 25 जुलाई 2025 की रात को ढह गया। इस डेम के टूटने से करीछापार और आसपास के गांवों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पानी के बहाव में डूब गई, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। ग्रामीणों को अब सामान्य 2-3 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 5-7 किलोमीटर का वैकल्पिक रास्ता लेना पड़ रहा है, जिसमें आधे घंटे से अधिक समय लग रहा है।
इसी तरह, कुडूमकेला से पुरी को जोड़ने वाली सड़क भी तेज बहाव में बह गई, जिससे जनपद पंचायत क्षेत्र के कई गांव अलग-थलग पड़ गए। स्कूल जाने वाले बच्चों, अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों और बाजार जाने वाले ग्रामीणों के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण बन गई है। स्थानीय निवासी रामलाल सिदार ने बताया, “हमारा रोज का काम-धंधा ठप हो गया है। बच्चों को स्कूल भेजना तक मुश्किल हो रहा है।”
प्रशासन का त्वरित एक्शन
हादसे की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने तुरंत मोर्चा संभाला। घरघोड़ा तहसीलदार मनोज कुमार गुप्ता, नायब तहसीलदार सहोदर पैंकरा, जनपद पंचायत के सीईओ विनय चौधरी और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और सड़क बहाली के लिए तत्काल कार्य शुरू करवाया। पीडब्ल्यूडी की टीमें मशीनों के साथ मरम्मत कार्य में जुट गई हैं, ताकि जल्द से जल्द यातायात बहाल हो सके।
तहसीलदार मनोज कुमार गुप्ता ने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि प्रभावित गांवों का संपर्क जल्द से जल्द बहाल हो। टीमें दिन-रात काम कर रही हैं, और हम ग्रामीणों से अपील करते हैं कि वे वैकल्पिक रास्तों का उपयोग करें और जलभराव वाले क्षेत्रों से बचें।” प्रशासन ने बाढ़ और जलभराव की स्थिति से निपटने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं, ताकि आपात स्थिति में ग्रामीण सहायता मांग सकें।
ग्रामीणों की परेशानी और मांगें
स्थानीय ग्रामीणों में इस हादसे को लेकर गुस्सा और निराशा है। कई लोगों ने बताया कि स्टॉप डेम की मरम्मत और सड़कों की स्थिति को लेकर पहले भी शिकायतें की गई थीं, लेकिन समय पर कार्रवाई नहीं हुई। एक ग्रामीण, श्याम सुंदर राठिया ने कहा, “हर साल बारिश में यही हाल होता है। अगर समय रहते डेम और सड़कों की मरम्मत हो जाती, तो यह स्थिति नहीं आती।” ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थायी समाधान निकाले जाएं, जैसे कि मजबूत डेम और पक्की सड़कों का निर्माण।
मौसम की स्थिति और भविष्य की चेतावनी
मौसम विभाग के अनुसार, रायगढ़ में अगले 48 घंटों तक बारिश की संभावना बनी हुई है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है। मौसम विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि नदियों और नालों का जलस्तर बढ़ सकता है, जिसके कारण और अधिक क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। प्रशासन ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।
राहत और पुनर्वास की कोशिशें
प्रशासन ने प्रभावित गांवों में राहत शिविरों की व्यवस्था शुरू की है, जहां जरूरतमंदों को भोजन, पानी और अस्थायी आश्रय प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा, स्कूलों और सामुदायिक भवनों को आपातकालीन केंद्रों के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई है। जिला प्रशासन ने केंद्र और राज्य सरकार से अतिरिक्त संसाधनों की मांग की है, ताकि राहत कार्यों को और तेज किया जा सके।
रायगढ़ में बारिश ने जहां एक ओर प्रकृति की मार दिखाई, वहीं प्रशासन की तत्परता ने उम्मीद भी जगाई है। हालांकि, यह हादसा जिले में बुनियादी ढांचे की कमजोरियों को उजागर करता है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार दीर्घकालिक योजनाओं पर ध्यान दे, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचा जा सके। फिलहाल, प्रशासन की टीमें दिन-रात राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं, और उम्मीद है कि जल्द ही प्रभावित गांवों का संपर्क बहाल हो जाएगा।