हमीरपुर बॉर्डर का जीर्ण-शीर्ण स्वागत गेट: छत्तीसगढ़ की गरिमा पर सवाल, स्थानीय लोग मांग रहे त्वरित कार्रवाई

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम तमनार, रायगढ़। छत्तीसगढ़ और ओडिशा को जोड़ने वाले हमीरपुर बॉर्डर पर बना स्वागत गेट, जो कभी राज्य की शान और मेहमाननवाजी का प्रतीक था, आज उपेक्षा और लापरवाही का शिकार होकर खंडहर में तब्दील हो गया है। कुछ महीने पहले तूफान में गिरा यह गेट न केवल सड़क किनारे पड़ा है, बल्कि इसके साथ मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव की तस्वीरें भी मिट्टी में सनी पड़ी हैं, जो छत्तीसगढ़ की गरिमा और आत्मसम्मान पर गहरा आघात है। स्थानीय निवासियों ने इस उपेक्षा पर गहरी नाराजगी जताई है और तत्काल मरम्मत व पुनर्निर्माण की मांग की है।
स्वागत गेट का पतन: छत्तीसगढ़ की छवि पर दाग
हमीरपुर बॉर्डर पर बना यह स्वागत गेट छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने वाले हर यात्री के लिए गर्व और स्वागत का प्रतीक था। लेकिन तूफान में गिरने के बाद यह गेट महीनों से उसी स्थिति में पड़ा है, जिसके कारण न केवल आवागमन बाधित हुआ, बल्कि यह राज्य की छवि को भी धूमिल कर रहा है। घटना के तुरंत बाद ग्राम पंचायत हमीरपुर के सचिव श्री आशीष बारीक ने तत्परता दिखाते हुए सड़क को सुगम बनाया, जिससे आमजन को राहत मिली। लेकिन लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा दिए गए आश्वासन कि गेट को जल्द बहाल किया जाएगा, अब तक खोखले साबित हुए हैं।

स्थानीय लोगों का आक्रोश: “यह केवल गेट नहीं, हमारी अस्मिता का सवाल है”
स्थानीय समाजसेवी और भाजयुमो कार्यकर्ता श्री नरेश राठिया ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा,
> “हमीरपुर बॉर्डर का स्वागत गेट छत्तीसगढ़ की पहचान और आतिथ्य का प्रतीक है। यह गेट केवल एक ढांचा नहीं, बल्कि हमारे राज्य की शान और गौरव का परिचायक है। PWD की उदासीनता और लापरवाही से न केवल यह गेट खंडहर बन गया है, बल्कि हमारे माननीय मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की तस्वीरें मिट्टी में सनी पड़ी हैं, जो बेहद अपमानजनक है। यह छत्तीसगढ़ की जनता के सम्मान पर चोट है।”
नरेश राठिया ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है, जिसमें स्वागत गेट का पुनर्निर्माण और हमीरपुर बॉर्डर के पास सड़क पर बने गहरे गड्ढों की मरम्मत शामिल है, जो आए दिन दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह गेट छत्तीसगढ़ की पहली छाप है, और इसकी उपेक्षा राज्य की छवि को कमजोर करती है।

सड़क की बदहाली: दुर्घटनाओं का बढ़ता खतरा
हमीरपुर बॉर्डर के पास मुख्य सड़क पर गहरे गड्ढे और खराब स्थिति भी स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। ये गड्ढे न केवल आवागमन को असुरक्षित बना रहे हैं, बल्कि आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं के लिए भी जिम्मेदार हैं। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि PWD और प्रशासन इस सड़क की मरम्मत को प्राथमिकता दे, ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
जनता की पुकार: गरिमा की रक्षा और त्वरित कार्रवाई
हमीरपुर बॉर्डर का स्वागत गेट केवल एक संरचना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, गौरव और आतिथ्य का प्रतीक है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसकी उपेक्षा न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि यह राज्य की छवि को भी नुकसान पहुँचाती है। ग्रामीणों और समाजसेवियों ने एक स्वर में मांग की है कि PWD और जिला प्रशासन तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करे, स्वागत गेट का पुनर्निर्माण करे और सड़क की मरम्मत सुनिश्चित करे।
प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब सवाल यह है कि क्या PWD और जिला प्रशासन स्थानीय लोगों की इस जायज मांग पर त्वरित कार्रवाई करेगा? या फिर हमीरपुर बॉर्डर का स्वागत गेट और सड़क की बदहाली सरकारी उदासीनता का शिकार बनी रहेगी? स्थानीय निवासियों की नजर अब प्रशासन के कदमों पर टिकी है, जो न केवल इस गेट को पुनर्जनन दे सकता है, बल्कि छत्तीसगढ़ की गरिमा और गौरव को भी फिर से स्थापित कर सकता है।
हमीरपुर बॉर्डर का स्वागत गेट और सड़क की मरम्मत न केवल एक प्रशासनिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के गौरव और आत्मसम्मान का सवाल है। स्थानीय लोगों की मांग और आक्रोश को देखते हुए, यह जरूरी है कि प्रशासन तुरंत इस दिशा में ठोस कदम उठाए, ताकि छत्तीसगढ़ की पहचान और शान को पुनः स्थापित किया जा सके।