घरघोड़ा में मध्यस्थता जागरूकता शिविर: सुलह-समझौते से विवाद निपटाने की पहल

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 25 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशानुसार चल रहे मध्यस्थता अभियान (01 जुलाई से 07 अक्टूबर 2025) के तहत आज शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 को घरघोड़ा (नावापारा) में एक मध्यस्थता जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। यह आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायगढ़ के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला न्यायाधीश श्री जितेंद्र जैन जी के मार्गदर्शन में तथा तालुका विधिक सेवा समिति, घरघोड़ा के अध्यक्ष एवं न्यायाधीश श्री शहाबुद्दीन कुरैशी जी के परिपालन में किया गया। शिविर का मुख्य उद्देश्य आम लोगों को मध्यस्थता (मीडिएशन) की प्रक्रिया के बारे में जागरूक करना और सुलह-समझौते के माध्यम से विवादों के निपटारे को प्रोत्साहित करना था।
शिविर का संचालन और प्रमुख गतिविधियां
शिविर का संचालन विधिक स्वयंसेवकों (पैरालीगल वॉलिंटियर्स) श्री बालकृष्ण, श्री लव कुमार चौहान और श्री टीकम सिंह सिदार द्वारा किया गया। इन स्वयंसेवकों ने लोगों को मध्यस्थता की प्रक्रिया, इसके लाभ और विभिन्न प्रकार के विवादों के निपटारे में इसकी उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। शिविर में उपस्थित लोगों को बताया गया कि मध्यस्थता एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दोनों पक्ष प्रशिक्षित मध्यस्थ की मदद से आपसी बातचीत और समझौते के आधार पर अपने विवादों का समाधान कर सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल समय और धन की बचत करती है, बल्कि कोर्ट-कचहरी के लंबे और जटिल प्रक्रियाओं से भी मुक्ति दिलाती है।

मध्यस्थता के लाभ और उपयोगिता
कार्यक्रम में मध्यस्थता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। लोगों को बताया गया कि मध्यस्थता के माध्यम से निम्नलिखित प्रकार के विवादों का निपटारा आसानी से किया जा सकता है:
– **दीवानी वाद**: संपत्ति विवाद, किरायेदारी, और अन्य सिविल मामलों में मध्यस्थता के जरिए सुलह संभव है।
– **वैवाहिक वाद**: पारिवारिक विवाद, जैसे तलाक या आपसी मनमुटाव, को बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है।
– **व्यावसायिक वाद**: छोटे-मोटे व्यापारिक विवाद, जैसे भुगतान संबंधी मुद्दे, को मध्यस्थता के माध्यम से त्वरित और प्रभावी ढंग से निपटाया जा सकता है।
– **अन्य विवाद**: पड़ोसियों के बीच छोटे-मोटे झगड़े, जमीनी विवाद या अन्य सामुदायिक मुद्दों को भी मध्यस्थता के जरिए सुलझाया जा सकता है।
स्वयंसेवकों ने जोर देकर कहा कि मध्यस्थता में किसी भी पक्ष की हार नहीं होती। दोनों पक्ष मिल-बैठकर एक ऐसे समाधान तक पहुंचते हैं, जो दोनों के लिए स्वीकार्य हो। यह प्रक्रिया गोपनीय होती है और इसमें शामिल पक्षों की गरिमा बनी रहती है। साथ ही, मध्यस्थता से निपटाए गए मामले कोर्ट में लंबित मामलों की तुलना में बहुत कम समय में हल हो जाते हैं।
न्यायालय में लंबित मामलों के लिए सलाह
शिविर में उपस्थित लोगों को यह भी सलाह दी गई कि यदि उनके कोई मामले न्यायालय में लंबित हैं, तो वे मध्यस्थता का रास्ता अपनाकर सुलह-समझौते के जरिए उन्हें निपटाने का प्रयास कर सकते हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रशिक्षित मध्यस्थ इस प्रक्रिया में उनकी सहायता के लिए उपलब्ध हैं। मध्यस्थता न केवल समय और धन की बचत करती है, बल्कि दोनों पक्षों के बीच रिश्तों को भी बेहतर बनाने में मदद करती है।
आगामी नेशनल लोक अदालत का प्रचार
शिविर के दौरान आगामी **नेशनल लोक अदालत**, जो 13 सितंबर 2025 को आयोजित होने वाली है, के बारे में भी लोगों को जानकारी दी गई। विधिक स्वयंसेवकों ने बताया कि लोक अदालत में भी मध्यस्थता की तरह विवादों को सुलह-समझौते के आधार पर निपटाया जाता है। यह एक ऐसा मंच है, जहां छोटे-बड़े विवादों को त्वरित और कम खर्च में हल किया जा सकता है। लोगों से अपील की गई कि वे इस अवसर का लाभ उठाएं और अपने लंबित मामलों को लोक अदालत में निपटाने का प्रयास करें।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
शिविर में उपस्थित स्थानीय लोगों ने इस पहल की सराहना की। कई लोगों ने मध्यस्थता की प्रक्रिया को समझने के बाद इसे एक उपयोगी और प्रभावी विकल्प बताया। कुछ लोगों ने अपने छोटे-मोटे विवादों को मध्यस्थता के जरिए निपटाने की इच्छा जताई और विधिक स्वयंसेवकों से इस संबंध में और जानकारी मांगी। स्थानीय निवासियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस तरह के जागरूकता शिविर ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित रूप से आयोजित होने चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग मध्यस्थता के लाभों से अवगत हो सकें।
प्रशासन और न्यायिक नेतृत्व की भूमिका
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायगढ़ के अध्यक्ष श्री जितेंद्र जैन जी ने इस अवसर पर अपने मार्गदर्शन में इस तरह के आयोजनों को और व्यापक करने की बात कही। उन्होंने जोर दिया कि मध्यस्थता न केवल न्याय प्रक्रिया को सरल बनाती है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द को भी बढ़ावा देती है। तालुका विधिक सेवा समिति, घरघोड़ा के अध्यक्ष श्री शहाबुद्दीन कुरैशी जी ने भी इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में घरघोड़ा क्षेत्र में विधिक जागरूकता के लिए कई कार्यक्रम पहले भी आयोजित किए जा चुके हैं।
घरघोड़ा (नावापारा) में आयोजित मध्यस्थता जागरूकता शिविर ने न केवल लोगों को मध्यस्थता की प्रक्रिया से अवगत कराया, बल्कि उन्हें सुलह-समझौते के माध्यम से विवाद निपटाने का एक नया दृष्टिकोण भी प्रदान किया। यह आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मध्यस्थता अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य समाज में न्याय को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाना है। लोगों से अपील है कि वे मध्यस्थता और आगामी नेशनल लोक अदालत का लाभ उठाएं, ताकि कोर्ट-कचहरी के झंझट से मुक्ति पाकर अपने विवादों का त्वरित और शांतिपूर्ण समाधान कर सकें।
आइए, सुलह के रास्ते पर चलें, शांति और समृद्धि की ओर बढ़ें!