राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने रायगढ़ जिले में जांच के लिए जारी किया नोटिस, 15 दिन में मांगा जवाब

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 07 जुलाई 2025: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक गंभीर मामले को लेकर नोटिस जारी किया है। आयोग ने जिला कलेक्टर को संबोधित यह नोटिस 11 जून 2025 को जारी किया गया है, जिसमें ग्राम पंचायत मुड़ागांव, थाना तमनार, जिला रायगढ़ में एक घटना की जांच के लिए 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। यह नोटिस संविधान के अनुच्छेद 338A के तहत जारी किया गया है, जो आयोग को एक संवैधानिक निकाय के रूप में नागरिक अदालत की शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार देता है।

क्या है मामला?
नोटिस में उल्लेख है कि ग्राम मुड़ागांव में राजस्व एवं संरक्षित वन भूमि के पेड़ों की बिना ग्राम सभा की अनुमति के कटाई की शिकायतें सामने आई हैं। आयोग ने इस मामले में जिला प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें घटना की पूरी जानकारी, कार्रवाई की स्थिति और प्रभावित परिवारों को दी गई सहायता का ब्योरा शामिल होना चाहिए। नोटिस में यह भी कहा गया है कि यदि 15 दिन के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो आयोग उचित कार्रवाई करेगा।
प्रशासन को दिए गए निर्देश
आयोग ने जिला कलेक्टर को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में प्रभावित अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों की शिकायतों को गंभीरता से लें और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही, इस घटना की जांच तेज करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने को कहा गया है। नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 338A के तहत आयोग की सिफारिशें बाध्यकारी हैं, और इनका पालन करना प्रशासन का दायित्व है।
जांच की प्रक्रिया शुरू
नोटिस पर हस्ताक्षर करते हुए उप-निदेशक आर.के. दुबे ने बताया कि आयोग इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने की संभावना भी जताई गई है। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी, तो आयोग स्वतंत्र जांच टीम गठित कर सकता है। इस बीच, जिला प्रशासन को तत्काल रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है, जिसे ई-मेल (rk.dubey@ncst.nic.in) के माध्यम से भेजा जा सकता है।
स्थानीय लोगों में उत्साह और उम्मीद
इस नोटिस के जारी होने से ग्राम मुड़ागांव और आसपास के इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों में उम्मीद जगी है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि लंबे समय से उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था, और अब आयोग के हस्तक्षेप से उन्हें न्याय मिलने की संभावना बढ़ गई है।
यह घटना छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति समुदाय के अधिकारों और कल्याण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। आयोग की कार्रवाई से यह संदेश गया है कि किसी भी तरह के भेदभाव या उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब सभी की नजरें 15 दिन के भीतर आने वाली प्रशासनिक रिपोर्ट पर टिकी हैं।