राष्ट्र के लिए मध्यस्थता” अभियान: रायगढ़ में मध्यस्थता के जरिए न्याय को सरल और सुलभ बनाने की पहल

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 02 जुलाई 2025: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) के तत्वावधान में दिनांक 01 जुलाई 2025 से 07 अक्टूबर 2025 तक 90 दिनों का “राष्ट्र के लिए मध्यस्थता” अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य देश भर के न्यायालयों में लंबित मामलों का मध्यस्थता के माध्यम से त्वरित और प्रभावी निपटारा करना है। साथ ही, आम जनता में यह विश्वास जगाना है कि मध्यस्थता एक सरल, सस्ती और समय की बचत करने वाली प्रक्रिया है, जो लंबे समय तक चलने वाले मुकदमों का एक बेहतर विकल्प है।
इस अभियान के तहत तालुका अदालतों से लेकर उच्च न्यायालयों तक के उपयुक्त मामलों का मध्यस्थता के जरिए निपटारा किया जाएगा। इसका लक्ष्य देश के हर कोने में मध्यस्थता की पहुंच को सुनिश्चित करना है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली का लाभ उठा सकें। यह महत्वाकांक्षी अभियान भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय बीआर गवई और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माननीय सुर्यकांत के मार्गदर्शन में संचालित हो रहा है।
इसी कड़ी में, रायगढ़ जिला न्यायालय में दिनांक 02 जुलाई 2025 को सायं 5 बजे माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायगढ़, श्री जितेंद्र कुमार जैन की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में “राष्ट्र के लिए मध्यस्थता” अभियान की सफलता के लिए रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया गया और मध्यस्थता प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु सुझाव साझा किए गए।
**बैठक में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति**
बैठक में जिला न्यायालय रायगढ़ के अधीन कार्यरत समस्त न्यायिक अधिकारीगण (एफटीसी, एफटीएससी और एसटीएससी न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों को छोड़कर), उपभोक्ता फोरम जिला रायगढ़ के न्यायिक अधिकारीगण, जिला एवं समस्त तालुका अधिवक्ता संघ रायगढ़ के अध्यक्ष और सचिव, जिले के समस्त प्रशिक्षित मध्यस्थ (मीडिएटर्स), सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैरालीगल वॉलंटियर्स उपस्थित रहे।
**बैठक में चर्चा के प्रमुख बिंदु**
बैठक में अभियान के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई। मध्यस्थता प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष जोर दिया गया:
1. **जागरूकता अभियान**: आम जनता, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, मध्यस्थता के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए शिविरों और कार्यशालाओं का आयोजन।
2. **प्रशिक्षित मध्यस्थों की भूमिका**: जिले के प्रशिक्षित मध्यस्थों को अधिक सक्रियता से मामलों के निपटारे में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
3. **अधिवक्ताओं का सहयोग**: अधिवक्ता संघों के साथ समन्वय स्थापित कर उनके क्लाइंट्स को मध्यस्थता के लिए प्रेरित करना।
4. **मामलों का चयन**: उन मामलों की पहचान करना जो मध्यस्थता के लिए उपयुक्त हैं, जैसे पारिवारिक विवाद, संपत्ति विवाद, और छोटे-मोटे दीवानी मामले।
5. **पैरालीगल वॉलंटियर्स की भूमिका**: पैरालीगल वॉलंटियर्स को मध्यस्थता केंद्रों तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने और प्रक्रिया को समझाने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई।
**माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश का संदेश**
माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश श्री जितेंद्र कुमार जैन ने अपने संबोधन में कहा कि मध्यस्थता न केवल समय और धन की बचत करती है, बल्कि यह पक्षकारों के बीच आपसी समझौते को बढ़ावा देती है, जिससे सामाजिक सौहार्द भी बना रहता है। उन्होंने सभी उपस्थित अधिकारियों, अधिवक्ताओं और मध्यस्थों से इस अभियान को सफल बनाने के लिए पूर्ण सहयोग और समर्पण की अपील की।
**अभियान का महत्व**
“राष्ट्र के लिए मध्यस्थता” अभियान देश में न्याय प्रणाली को और अधिक सुलभ और त्वरित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रायगढ़ जिला न्यायालय इस अभियान को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस अभियान के तहत जिला और तालुका स्तर पर मध्यस्थता केंद्रों को और अधिक सक्रिय किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लंबित मामलों का निपटारा हो सके।
यह अभियान न केवल न्यायिक बोझ को कम करने में सहायक होगा, बल्कि आम जनता को एक ऐसी प्रणाली से परिचित कराएगा जो निष्पक्ष, पारदर्शी और त्वरित न्याय प्रदान करती है। रायगढ़ जिला न्यायालय की इस पहल से स्थानीय स्तर पर मध्यस्थता को बढ़ावा मिलेगा और यह अभियान पूरे देश में एक मिसाल बन सकता है।
