Latest News

रायगढ़: “खनन की लालच ने लील लिया जंगल, संस्कृति और आदिवासी जीवन! कॉर्पोरेट लूट से खत्म हो रहे जंगल, जीव-जंतु और आदिवासियों की जमीन, पहचान व भविष्य”

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में पत्थर, कोयला, बॉक्साइट और लोहे के खनन ने अब सिर्फ जंगलों को ही नहीं निगला इस तथाकथित ‘विकास’ की भूख ने अब समुदायों की जड़ें, संस्कृति, आजीविका और जैव विविधता को भी निगलना शुरू कर दिया है। रायगढ़, कोरबा, सरगुजा और कांकेर जैसे इलाके अब केवल खनिज संसाधनों के नक्शे नहीं, बल्कि आदिवासी अस्तित्व की रेखाएं हैं  जिन्हें DBL, Jindal, Adani, Vedanta जैसी कंपनियां मिटाने पर तुली हैं।

‘EIA’ रिपोर्ट नहीं, ये तो ‘कॉर्पोरेट माफीनामा’ है : पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) अब एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि कंपनियों के लिए ‘क्लीन चिट’ दिलाने वाला दस्तावेज़ बन गया है। इन रिपोर्टों में न जंगलों की सही तस्वीर पेश की जाती है, न वन्यजीवों की वास्तविक उपस्थिति का ज़िक्र होता है। ‘जनसुनवाई’ का नाम लेकर ट्रकों में भरकर लाई गई भीड़ से ‘सहमति’ हासिल की जाती है, जबकि असली प्रभावित समुदायों को या तो बुलाया ही नहीं जाता, या फिर उनकी आवाज़ दबा दी जाती है।

क्या केवल पेड़ों की गिनती ही पर्यावरण है? : बड़ा सवाल यह है –

क्या विकास का अर्थ सिर्फ पेड़ काटने और खदानें खोदने तक सीमित है?
क्या आदिवासी समाज की आजीविका, उनकी सांस्कृतिक परंपराएं, पवित्र स्थल, जलस्रोत और जैव विविधता कोई मायने नहीं रखते?
क्यों नहीं की जाती Social Impact Assessment, Livelihood Impact Assessment और Biodiversity Assessment?

अब समय आ गया है कि इन पहलुओं को कानूनी रूप से अनिवार्य बनाया जाए और हर परियोजना से पहले सार्थक जन-सुनवाई सुनिश्चित की जाए, जिसमें प्रभावित लोग खुलकर बोल सकें, सवाल पूछ सकें और सहमति-असहमति दर्ज करा सकें।

सरकारी संस्थाएं बनीं कॉर्पोरेट एजेंट : पर्यावरण मंत्रालय से लेकर वन विभाग और जिला प्रशासन तक सब कॉर्पोरेट्स के इशारे पर काम कर रहे हैं। मंजूरी की प्रक्रिया में RTI डालने पर अधूरे या गुमराह करने वाले जवाब मिलते हैं। जिन परियोजनाओं पर जन असहमति है, उन्हें भी जबरन मंजूरी दी जा रही है। आंदोलनकारियों को ‘विकास-विरोधी’ घोषित कर उनके खिलाफ दमनात्मक कार्यवाही की जा रही है।


अब समाज देगा जवाब : अब आदिवासी समुदाय, जनसंगठन, किसान और पर्यावरण प्रेमी एकजुट होकर सरकार और कंपनियों को खुला संदेश दे रहे हैं :

बिना हमारी सहमति कोई परियोजना नहीं!
हमारी ज़मीन, हमारा जंगल, हमारी संस्कृति – अब और लूट नहीं!
जनसुनवाई होगी, तो खुले मंच पर और सच के साथ होगी!

यह अंत नहीं, संघर्ष की शुरुआत है : DBL हो या Adani, Vedanta हो या Jindal अब कंपनियों की ‘EIA-जुगाड़’ संस्कृति को जनता बेनकाब करेगी। रायगढ़ से उठी यह आवाज़ अब पूरे देश में गूंजेगी। जहां-जहां प्रकृति और समाज को रौंदने की कोशिश होगी, वहां-वहां जनआंदोलन खड़ा होगा।

अब जनता पूछेगी  ‘विकास नीति’ में ‘जन’ कहां है?

Amar Chouhan

AmarKhabar.com एक हिन्दी न्यूज़ पोर्टल है, इस पोर्टल पर राजनैतिक, मनोरंजन, खेल-कूद, देश विदेश, एवं लोकल खबरों को प्रकाशित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सहित आस पास की खबरों को पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़ पोर्टल पर प्रतिदिन विजिट करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button