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“रायगढ़ में औद्योगिक प्रदूषण का कहर: बीमारियों का बोझ, आंकड़ों का अभाव”

सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ जिले में औद्योगिक प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों और प्रभावित लोगों की संख्या के बारे में सटीक आंकड़ों का अभाव है, क्योंकि उपलब्ध जानकारी में इस विषय पर कोई व्यापक सर्वेक्षण या आधिकारिक डेटा स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है। हालांकि, कुछ स्रोतों और सामान्य अध्ययनों के आधार पर, निम्नलिखित बीमारियां और उनके प्रभाव का अनुमान लगाया जा सकता है:औद्योगिक प्रदूषण से होने वाली प्रमुख बीमारियांश्वसन संबंधी रोग (Respiratory Diseases):वायु प्रदूषण, विशेष रूप से PM2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), और औद्योगिक धुएं के कारण अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), और ब्रॉन्काइटिस जैसी बीमारियां आम हैं।रायगढ़ में कोयला, इस्पात, और अन्य भारी उद्योगों से निकलने वाला धुआं और धूल इन बीमारियों को बढ़ावा देता है।त्वचा संबंधी रोग (Skin Disorders):औद्योगिक रसायनों और प्रदूषित पानी के संपर्क में आने से डर्मेटाइटिस, एलर्जी, और अन्य त्वचा रोग हो सकते हैं। पूंजीपथरा और तमनार जैसे क्षेत्रों में स्थानीय लोग इन समस्याओं की शिकायत करते हैं।कैंसर:दीर्घकालिक प्रदूषण, विशेष रूप से वायु और जल में मौजूद कार्सिनोजेनिक रसायनों (जैसे भारी धातुएं और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक) के कारण फेफड़े, त्वचा, और अन्य प्रकार के कैंसर का जोखिम बढ़ता है। रायगढ़ में पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के मामलों में वृद्धि की सूचना है।जलजनित रोग (Waterborne Diseases):औद्योगिक अपशिष्ट से प्रदूषित पानी के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण, डायरिया, और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में देखा गया है जहां नदियां और जल स्रोत प्रदूषित हैं।अन्य स्वास्थ्य प्रभाव:शोर प्रदूषण से सुनने की क्षति और तनाव।प्रदूषित हवा और पानी से बच्चों में विकासात्मक समस्याएं और गर्भवती महिलाओं में जटिलताएं।प्रभावित लोगों की संख्यासटीक आंकड़े: रायगढ़ जिले में औद्योगिक प्रदूषण से प्रभावित लोगों की सटीक संख्या पर कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है। ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट के अनुसार, रायगढ़ विश्व के 48वें सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है, जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि जिले की एक बड़ी आबादी (लगभग 15 लाख, 2011 की जनगणना के अनुसार) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित हो रही है।स्थानीय शिकायतें: पूंजीपथरा, तमनार, गेरवानी, और सरायपाली जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वाले लोग नियमित रूप से स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायत करते हैं। इन क्षेत्रों में हजारों लोग प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन कोई ठोस संख्या नहीं दी जा सकती।सामान्य अनुमान: भारत में वायु प्रदूषण हर साल 10 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है, और औद्योगिक प्रदूषण इसका एक प्रमुख कारक है। रायगढ़ जैसे औद्योगिक केंद्रों में, स्थानीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा (विशेष रूप से औद्योगिक इकाइयों के आसपास रहने वाले) इन बीमारियों से प्रभावित हो सकता है।विश्लेषण और चुनौतियांडेटा की कमी: रायगढ़ में प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य प्रभावों पर कोई विस्तृत अध्ययन या सरकारी रिपोर्ट आसानी से उपलब्ध नहीं है। यह जानकारी की कमी स्वास्थ्य नीतियों और उपचार योजनाओं को लागू करने में बाधा डालती है।उद्योगों की भूमिका: जिंदल स्टील, सुनील इस्पात, और अन्य बड़े उद्योगों पर पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाया गया है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण के उपाय अपर्याप्त हैं।स्थानीय विरोध: स्थानीय लोग प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और उद्योगों का रवैया उदासीन रहा है।सुझावस्वास्थ्य सर्वेक्षण: रायगढ़ में प्रदूषण से प्रभावित लोगों की संख्या और बीमारियों का आकलन करने के लिए एक व्यापक स्वास्थ्य सर्वेक्षण की आवश्यकता है।प्रदूषण नियंत्रण: उद्योगों को सख्त पर्यावरण नियमों का पालन करने और वायु/जल प्रदूषण रोधी उपायों को लागू करने के लिए मजबूर किया जाए।स्वास्थ्य सुविधाएं: प्रभावित क्षेत्रों में विशेष स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए जाएं जो प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का इलाज कर सकें।जागरूकता: स्थानीय लोगों को प्रदूषण के खतरों और बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित किया जाए।नोट: यह जानकारी उपलब्ध स्रोतों और सामान्य अनुमानों पर आधारित है। सटीक आंकड़ों के लिए रायगढ़ जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, या पर्यावरण विभाग से संपर्क करना उचित होगा।

Amar Chouhan

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