भाई की मृत्यु उपरांत परिजनों ने किया देहदान, चिकित्सा व अनुसंधान के क्षेत्र में मिलेगा योगदान
अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़, 4 फरवरी – रायगढ़ के सावित्री नगर, मिट्ठूमुड़ा रोड निवासी सुमित टांक (चीकू) के निधन के बाद उनके परिजनों ने एक सराहनीय निर्णय लेते हुए उनकी देहदान करने का फैसला किया। उनका पार्थिव शरीर उधमपुर जम्मू के चिकित्सा महाविद्यालय को सौंपा गया, जहां इसे चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और जरूरतमंद मरीजों के लिए अंग प्रत्यारोपण में उपयोग किया जाएगा।
सुमित टांक का ब्रेन हेमरेज के कारण जम्मू में निधन हो गया था। इसके बाद उनके भाई पुनीत टांक ने वरिष्ठ परिजनों और आध्यात्मिक गुरु से परामर्श कर देहदान का निर्णय लिया। उनके इस फैसले में परिवार की माताजी, जो तिलक स्कूल से सेवानिवृत्त शिक्षिका हैं, ने भी सहमति जताई।
मानवता की सेवा में उठाया गया कदम
परिजनों ने बताया कि अंगदान और देहदान, समाज के लिए एक महान सेवा है। इससे न केवल चिकित्सा शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को मानव शरीर को समझने का अवसर मिलेगा, बल्कि अनुसंधानकर्ताओं को नई बीमारियों के इलाज और उपचार के लिए शोध करने में भी मदद मिलेगी।
परिवार का मानना है कि देहदान एक परोपकारी कार्य है, जो समाज को नई दिशा देने के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों की मदद करता है। इस पहल से मृतक को आत्मशांति और परिजनों को संतोष का भाव मिलता है कि उनका प्रियजन दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे रहा है।
देहदान की प्रक्रिया और समाज में जागरूकता की जरूरत
परिजनों ने कहा कि समाज में अभी भी देहदान को लेकर जागरूकता की कमी है। इसके लिए लोगों को जानकारी दी जानी चाहिए कि यह एक आसान प्रक्रिया है, जिसमें इच्छुक व्यक्ति को केवल देहदान फॉर्म भरना होता है और अपने परिजनों को इस निर्णय से अवगत कराना आवश्यक होता है।
सुमित टांक के परिजनों के इस कदम को समाज में एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। उनके इस निर्णय से न सिर्फ चिकित्सा जगत को मदद मिलेगी, बल्कि यह औरों को भी प्रेरित करेगा कि वे मानवता की सेवा में आगे आएं।