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जातिगत विद्वेष की मार: नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात फौजी की पत्नी ने वित्त मंत्री से लगाई न्याय की गुहार…

कौन कहता है जातिवाद अब नहीं!!*जातिवाद खत्म हुआ*!?

पीढ़ियों से चला आ रहा जातिगत भेदभाव , समाज में उपेक्षित फौजी परिवार का गंभीर आरोप।

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़/ रायगढ़ जिले के सराईपाली गांव से एक गंभीर मामला सामने आया है। देश की सेवा में तैनात एक फौजी का परिवार जातिगत भेदभाव, सामाजिक प्रताड़ना और प्रशासनिक पक्षपात का शिकार हो रहा है। सराईपाली गांव में हरिजन समाज से ताल्लुक रखने वाले प्रधान आरक्षक बैसाखू चौहान की पत्नी बिंदु चौहान ने पांच पेज में दस बिंदुओं पर अपने परिवार की पीड़ा व्यक्त करते हुए राज्य के वित्त मंत्री एवं रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी को न्याय की गुहार लगाई है।

*जातिगत विद्वेष की पुरानी जड़ें…*
फौजी की पत्नी ने शिकायत पत्र में आरोप है कि सराईपाली गांव, जो जातिगत भेदभाव की गहरी समस्या से जूझ रहा है, हरिजन परिवारों को सवर्ण समुदाय के लोगों द्वारा वर्षों से प्रताड़ित किया जा रहा है। गाँव में कुछ वर्ष पहले सवर्णों के खिलाफ जातिगत दुर्व्यवहार और छुआ छुत की घटना कारीत करने के कारण गांव के पीड़ित हरिजन समाज के द्वारा वर्ष  16/02/2000 को थाना पुसौर में 12/03/2000 को तत्कालीन कैबिनेट मंत्री छग  शासन श्री कृष्ण कुमार गुप्ता उच्च शिक्षा मंत्री, जन शक्ति नियोजन एमपी शासन 13/04/2000 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसपी रायगढ़ , 09/11/2000 को पुलिस अधीक्षक जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़ छुआ छूत के संबंध में शिकायत किया था। जिसके बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक महोदय के निर्देश पर जांच उपरांत दोषी पाए गए सवर्ण जाति के ठंडा गुप्ता, सत्यवादी प्रधान, भीमो कोलता, लेकरू प्रधान, इन्द्रजीत गुप्ता पर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए इन सब सवर्णों को जेल भेज दिया गया था। यद्यपि इस कार्यवाही के बाद भी  इन सवर्णों के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं  आया। बल्कि इन सवर्णों की जातिवादी दुर्भावना और अधिक विद्वेष बढ़ गई । जिसके बाद 09/11/2012 को शुक्रवार सायं 19:30pm गांव के सवर्णों दशरथ कोलता, अरुण पोबिया, उसत राम कोलता, सन्यासी यादव, बिदुर पोबियां, रामपाल पोबीय के द्वारा जातिगत गाली गलौच करते हुए रघुनाथ चौहान , मधुराम चौहान और कृष्णलाल चौहान को जान से मारने की कोशिश की। इस घटना की पृथक एफआईआर थाने में दर्ज है। इस तरह उनका विद्वेष और बढ़ता गया तथा गांव में भेदभाव और दुर्भावना कम नहीं हुई। आज भी, गाँव के सवर्ण जाति के लोगो के द्वारा हम गांडा जाति के लोगो को छुआ_छूत एवं घृणा भाव से देखते है तथा उनके दुर्ब्याबहार, गाली-गलौज और धमकियों का सामना करना पड़ता है।



*फौजी परिवार को निशाना बनाना…*
बिन्दु चौहान के पति बैसाखू चौहान, जो घोर नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में 16 वीं बटालियन प्रधान आरक्षक के पद पर तैनात हैं, के परिवार को लगातार मानसिक, आर्थिक और सामाजिक उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है। आरोप है कि गांव के सवर्ण प्रभावशाली लोग उन्हें बार-बार झूठी शिकायतों के माध्यम से परेशान कर रहे हैं।



*प्रशासनिक पक्षपात और झूठी प्रतिवेदन…*
ओंडेकेरा और आश्रित ग्राम सराईपाली में लगभग 250 एकड़ ज्यादा सरकारी भूमि है। आवेदिका का परिवार ग्राम सराईपाली के गुडुडिपा वार्ड कृ० 10 जो कि एक शासकीय भूमि खतरा नम्बर 231/1 रकबा 2.497 हे० है के अंश भाग पर लगभग 25 सालो से काबिज है। जिसे पूर्व पंच गुना पाव से 25 वर्ष पहले क्रय किया था तथा उक्त खसरा नंबर 231/1 के शेष रकबे पर वर्तमान में आवेदिका परिवार के अलावा लगभग 32 परिवार लगभग 30-35 वर्षों से निवासरत है, जिनका नाम इस प्रकार है- गजानंद चौहान, राजू कोलता, शोभाराम चौहान, नंद कुमार चौहान, रोहित पोबिया, शुकु पोबिया, शिबू गुप्ता, जयलाल पाव, सुकमति पाव, रामबाई नायक, सुनाऊ राम चौहान, वृंदावती चौहान, नौलकंठ चौहान, मधुराम चौहान, धरम सिंह चौहान, राजकुमार पटेल, जानकी पटेल, लालमेंट पटेल, कुमार पोबिया, कृष्णलाल गुप्ता, बिन्दु गुप्ता, उसत गुप्ता, अशोक गुप्ता, चैतराम चौहान, बृन्दावन चौहान, पुनिराम गुप्ता, गौरी चौहान, शिकारी चौहान, कमल प्रसाद मालाकार, राजकुमार गुप्ता, लक्ष्मण गुप्ता के परिवार के साथ रघुनाथ चौहान का परिवार भी निवासरत है। इन परिवारो मे लगभग 15 से 20 ऐसे परिवार हैं जिन्होंने शासन द्वारा प्रदत्त इंदिरा आवास या प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाकर कर निवासरत हैं। हल्का पटवारी ने भी स्वर्णों के पद प्रभाव और निजी स्वार्थ के लिए जांच प्रतिवेदन में असल तथ्यों को छुपाते हुए कूटरचित रिपोर्ट प्रस्तुत तहसील न्यायालय को गुमराह किया गया। जिसमें ख.न. 231/1 पर केवल बिन्दु चौहान के परिवार को अतिक्रमणकारी बताया गया, जिसे पूर्व पंच गुना साव से खरीदे हैं। जबकि ख.न. 231/1 में अन्य 32 परिवारों का मकान बना रहते हैं जिसमे 12 से 15 परिवारों को शासन द्वारा प्रदत्त आवास योजना के हितग्राही है। 1998 में तात्कालीन पंचायत द्वारा कई लोगों को खसरा नंबर 231/1 में बसाया था और पंचायत द्वारा पट्टा भी जारी किया गया था। तथा शासन द्वारा उक्त भूमि पर बसी आबादी के निस्तार हेतु सड़क, नाली, बिजली , पानी की सुविधाएं मुहैया कराया है। उक्त भूमि पर कुल कितने लोगो का मकान है और कितने वर्षों से निवासरत हैं इन सभी असल तथ्यों को जांच प्रतिवेदन में उल्लेख नहीं किया गया है। इस तरह हल्का पटवारी द्वारा जांच में अधूरी और पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट पेश कर तहसील न्यायालय को भी गुमराह किया है। जिसके बाद 16 मार्च 2024 को, बिना किसी सूचना या नोटिस के, प्रशासन ने नायब तहसीलदार के नेतृत्व में उनके मकान और बाड़ी को जेसीबी मशीन से गिरा दिया।



*समाज और प्रशासन के लिए प्रश्न…*
यह घटना न केवल सामाजिक विषमताओं को उजागर करती है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता और पक्षपात पर भी सवाल खड़ा करती है। एक फौजी, जो अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सुरक्षा कर रहा है, उसका परिवार यदि खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है, तो यह समाज और प्रशासन के लिए शर्मनाक है।



*पीड़ित परिवार की मांगे…*
पीड़िता ने पुसौर थाने, तहसील व जिला कलेक्टर सहित प्रदेश के वित्त मंत्री के समक्ष दस बिंदुओं पर लिखित निवेदन प्रस्तुत कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है तथा परिवार को सुरक्षा प्रदान करने, झूठी शिकायतें और प्रशासनिक पक्षपात को रोकने और सरकारी भूमि पर निवास कर रहे सभी परिवारों के साथ समान व्यवहार करने की गुहार लगाई है।

इस जातिवादी मामले में लगातार हमारी अपडेट मिलती रहेगी..

जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान..✍️

Amar Chouhan

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