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बजरमुड़ा में 108 हेक्टेयर जमीन पर सरकार ने दी खनन की अनुमति

इधर घोटाले के दोषियों को बचाने में लगी लॉबी, जांच रिपोर्ट में सबकुछ हो चुका साबित

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़। रायगढ़ जिला भू-अर्जन घोटालों का गढ़ है। सालों से घोटालेबाजों को प्रश्रय देने का नतीजा है कि अब कितना भी बड़ा स्कैम हो जाए, किसी को फर्क नहीं पड़ता है। सीएसपीजीसीएल जैसी सरकारी कंपनी को धोखा देकर करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाले अब भी मजे से दिन काट रहे हैं। उनके किए पर पर्दा डालकर अब बजरमुड़ा में वर्किंग परमिशन दी जा रही है। शासन ने जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई किए बिना ही 108 हेक्टेयर पर अनुमति दे दी है।तमनार का बजरमुड़ा घोटाला अब तक का सबसे बड़ा संगठित घोटाला है। इस प्रोजेक्ट में सरकारी मुलाजिमों ने ही घपले की नींव रखी। यह सिलसिला कई सालों से जारी है और आगे भी जारी रहेगा। सरकार की अंडरटेकिंग कंपनी सीएसपीजीसीएल को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर-3 कोल ब्लॉक के लिए मिलूपारा, करवाही, खम्हरिया, ढोलनारा और बजरमुड़ा में 449.166 हे. लीज स्वीकृत की गई। सरफेस राइट के तहत भूअर्जन किया गया। प्रभावितों को क्षतिपूर्ति राशि के आकलन के लिए तत्कालीन एसडीएम घरघोड़ा को प्रकरण दिया गया।

22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया। केवल बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 478.68 करोड़ का मुआवजा पारित किया गया।कंपनी की आपत्ति पर मुआवजा को कम करके 415.69 करोड़ किया गया। बजरमुड़ा में असिंचित भूमि को सिंचित बताकर, पेड़ों की संख्या ज्यादा दिखाकर, टिन शेड को पक्का निर्माण बताकर, बरामदे, कुएं आदि का मनमाना आकलन किया गया। मुआवजा वितरण भी बेहद तेजी से किया गया जिसमें एसडीएम कार्यालय के कुछ बाबुओं की मिलीभगत रही। अब इसकी शिकायत हुई तो जांच टीम ने गड़बड़ी की पोल खोलकर रख दी। अभी तक जांच रिपोर्ट पर शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इधर बजरमुड़ा में 108 हेक्टेयर में वर्किंग परमिशन जारी कर दी गई। कंपनी ने राजस्व विभाग के अफसरों के साथ मिलकर जो घोटाला किया, उसके सबूत मिटाने का प्रयास भी किया जा रहा है। लेकिन जांच रिपोर्ट में दर्ज तथ्यों को झुठलाना मुश्किल है।

जिस भूमि पर 20 लाख का मुआवजा मिलता, उसमें बीस करोड़ का मुआवजा दिया गया। परिसंपत्तियों के मूल्य आकलन में जमकर गड़बड़ी की गई। मूल्यांकन एवं निरीक्षण टीम के अधिकारी, कर्मचारी, मुआवजा पत्रक तैयार करने वाले, अवार्ड पारित करने वाले, आपत्तियों का निराकरण करने वाले समस्त अधिकारी-कर्मचारी इसमें दोषी हैं क्योंकि उन्होंने जानबूझकर गलत आकलन किया। इस मामले में पटवारी जितेंद्र पन्ना और मालिकराम राठिया को सस्पेंड किया गया। बाद में मालिकराम को निर्दोष बताकर बहाल किया गया। मतलब केवल जितेंद्र पन्ना ही पूरे घोटाले का दोषी है। यह मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला है। करोड़ों रुपए कैश इधर से उधर किए गए हैं।

राजस्व विभाग छग शासन ने जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर रायगढ़ को घपले में संलिप्त तहसीलदार, एसडीएम समेत अन्य की जानकारी प्रेषित करने को कहा था। अभी तक किसी की जानकारी नहीं भेजी गई। इस गबन में सीएसपीजीसीएल के भी कई अफसर दोषी हैं क्योंकि उन्होंने जानते हुए भी पारित अवार्ड को स्वीकार कर लिया। प्रारंभिक आपत्ति के बाद ऐसा क्या हुआ कि कंपनी अरबों रुपए देने को राजी हो गई।

जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान..✍️

Amar Chouhan

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