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बजरमुड़ा घोटाले में पटवारियों को दिए गए आरोप पत्र, बड़े अधिकारीयों को बचा रहा प्रशासन

अफसरों का नाम नहीं ले रहा कोई, पूरा दोष पटवारियों पर मढक़र बाकी को बचाने का प्रयास जारी

राजस्व विभाग यहाँ बेनक़ाब

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़। ये रायगढ़ है यह जिला बड़े-बड़े घोटालों के लिए जाना जाता है। भूअर्जन में तो यहां बड़े-बड़े कांड हो चुके हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि अब भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। अब बजरमुड़ा घोटाले में दोनों निलंबित पटवारियों को आरोप पत्र दे दिए गए हैं। जिम्मेदार अफसर और अन्य लोग घोटाले का पैसा ठिकाने लगा रहे हैं। तमनार के बजरमुड़ा गांव में भूअर्जन घोटाला अब तक का सबसे बड़ा संगठित घोटाला है। इसे सुनियोजित तरीके से गिरोह बनाकर अंजाम दिया गया। जांच टीम ने रिपोर्ट में हुई गड़बड़ी के एक-एक बिंदु का खुलासा किया है। कार्रवाई करना मजबूरी हो गई इसलिए दो पटवारियों को दिखाने के लिए सस्पेंड कर दिया गया। इस मामले में पटवारी जितेंद्र पन्ना और मालिकराम राठिया को सस्पेंड किया गया था। लेकिन किसी अफसर पर कोई उंगली नहीं उठी।

जिला प्रशासन ने भी तत्कालीन एसडीएम और तहसीलदार को बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। सरकारी कंपनी सीएसपीजीसीएल को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर-3 कोल ब्लॉक के लिए मिलूपारा, करवाही, खम्हरिया, ढोलनारा और बजरमुड़ा में 449.166 हे. लीज स्वीकृत की गई। सरफेस राइट के तहत भूअर्जन किया गया। प्रभावितों को क्षतिपूर्ति राशि के आकलन के लिए एसडीएम घरघोड़ा अशोक मार्बल को प्रकरण दिया गया। 22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया। केवल बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 478.68 करोड़ का मुआवजा पारित किया गया। कंपनी की आपत्ति पर मुआवजा को कम करके 415.69 करोड़ किया गया। बजरमुड़ा में असिंचित भूमि को सिंचित बताकर, पेड़ों की संख्या ज्यादा दिखाकर, टिन शेड को पक्का निर्माण बताकर, बरामदे, कुएं आदि का मनमाना आकलन किया गया।

गणना के समय ही जिस भूमि पर 20 लाख का मुआवजा मिलता, उसमें बीस करोड़ का मुआवजा दिया गया। गणना के पूर्व परिसंपत्तियों के आकलन में जमकर गड़बड़ी की गई। मूल्यांकन एवं निरीक्षण टीम के अधिकारी, कर्मचारी, मुआवजा पत्रक तैयार करने वाले, अवार्ड पारित करने वाले, आपत्तियों का निराकरण करने वाले समस्त अधिकारी-कर्मचारी इसमें दोषी हैं। पटवारी जितेंद्र पन्ना और मालिकराम राठिया को सस्पेंड किया गया था। अब दोनों को आरोप पत्र भेजा गया है। अब उनके जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

अधिकारियों के नाम भेजना था
बजरमुड़ा घोटाले के बारे में सारे अफसरों को, नेताओं को सबकुछ मालूम है। कांग्रेस शासनकाल में जब गलत सर्वे के आधार पर राशि बांटी जा रही थी तब भी किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाए। कांग्रेस के घोटालों पर दिन रात कोसने वाले भाजपा नेता तब भी चुप थे और अब भी चुप हैं। राजस्व विभाग ने कलेक्टर रायगढ़ को कहा था कि वे जिला स्तर पर जिन पर कार्रवाई की जा सकती है उनकी जानकारी दें। एसडीएम घरघोड़ा की ओर से दो पटवारियों के ही नाम आए। हैरानी की बात है क्योंकि सर्वे टीम में राजस्व विभाग के अन्य कर्मचारी भी थे।

Amar Chouhan

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