रायगढ़ पुलिस ने सुनवाई किये बगैर गुंडा लिस्ट में डाल दिया था नाम.. हाईकोर्ट ने किया रद्द

अमरदीप चौहान/अमरखबर:रायगढ़ । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक रायगढ़ के उस आदेश को गैर कानूनी करार देते हुये रद्द कर दिया। जिसके तहत तमनार निवासी आशुतोष वहिदार नामक व्यक्ति का नाम उसे सुनवाई का अवसर दिये बिना गुण्डा लिस्ट में जोड़ दिया गया था। आशुतोष वहिदार का कहना है कि जिंदल कंपनी के अपराध को उजागर करने के कारण उसे पुलिस द्वारा अनेकों मामले में फंसा कर उसकी पीठ पीछे गुप्त रूप से उसका नाम गुण्डा लिस्ट में शामिल कर दिया गया था। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान निगरानी बदमाशों की गिरफ्तारी की कार्यवाही होने पर जब उसे पता चला कि उसका भी नाम पुलिस अधीक्षक रायगढ़ के अनुमोदन से गुण्डा लिस्ट में जोड़ दिया गया है, तब उसने मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के सीनियर अधिवक्ता अशोक कुमार मिश्रा-आशीष कुमार मिश्रा के मार्फत डायरेक्टर जनरल पुलिस को और छत्तीसगढ़ शासन को नोटिस प्रेषित कर अपना नाम गुण्डा लिस्ट से हटाने की मांग किया एवं आगाह किया कि यदि उसका नाम गुण्डालिस्ट से न हटाया गया, तो वह छत्तीसगढ़ शासन और पुलिस विभाग के विरुद्ध न्यायालयीन कार्यवाही प्रारंभ करेगा। उपरोक्त नोटिस मिलने के बाद भी जब पुलिस विभाग ने आशुतोष वहिदारका नाम गुण्डा लिस्ट से विलोपित नहीं किया, तब आशुतोष वहिदार ने मिश्रा चेम्बर के मार्गदर्शन में हाईकोर्ट में WPCR NO.201/2024 पेश करके पुलिस अधीक्षक रायगढ़ के आदेश को चुनौती दिया। इस याचिका के पेश होने पर 27 जून को हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक रायगढ़ के आदेश को लागू करने पर रोक लगा दिया एवं पूरे मामले की अंतिम सुनवाई के लिये 18 नवम्बर की तारीख मुकर्रर किया। जब हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई, तो यह पाया गया कि आशुतोष वहिदार को सुनवाई का कोई भी अवसर दिये बिना ही रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक ने उसे गुण्डा घोषित कर दिया है। इन तमाम स्थितियों पर विचार करने के बाद न्यायमूर्ति रमेश कुमार सिन्हा मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक का आदेश रद्द कर दिया। ज्ञातव्य है कि जिस आशुतोष वहिदार को रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक ने गुण्डा घोषित किया था, उसे किसी भी मामले में आज तक किसी भी अदालत से सजा नहीं मिली है एवं उसके विरुद्ध तमनार की पुलिस ने लगातार कई मामले तब दर्ज किया, जब उसने जिन्दल कंपनी के अपराधों को उजागर करना शुरू किया।
इसलिये हाईकोर्ट के संज्ञान में यह तथ्य भी लाया गया कि जिंदल कंपनी को आपराधिक संरक्षण देने के लिये ही उसका नाम गुण्डा लिस्ट जोड़ा गया है, हाईकोर्ट के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मिश्रा चेम्बर के सीनियर वकील अशोक कुमार मिश्रा ने कहा कि यह फैसला लोकतंत्र और मौलिक अधिकार की रक्षा करने वाला ऐसा कवच है, जिससे छत्तीसगढ़ की समस्त जनता लाभान्वित होगी एवं उसके पर रोक लगेगी। इस फैसले पर आशुतोष वहिदार ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे न्याय की जीत और सत्य की जीत बताया।