वन विभाग में ट्रेनी आईएफएस (IFS) अधिकारी पर आदिवासी रेंजर को जातिसूचक शब्दों से प्रताड़ित करने का आरोप..

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर वन विभाग में एक गंभीर मामला सामने आया है,जहां ट्रेनी आईएफएस(IFS )अधिकारी पर एक आदिवासी रेंजर को जातिसूचक शब्दों से अपमानित और प्रताड़ित करने का आरोप लगा है। इस घटना ने वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच आक्रोश है । पीड़ित रेंजर ने इस मामले की शिकायत वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर रेंजर संघ तक की है, लेकिन अभी तक उसे न्याय नहीं मिला है।
पीड़ित रेंजर का कहना है कि ट्रेनी आईएफएस(IFS)अधिकारी ने उसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए कहा कि “आदिवासियों का दिमाग घुटनों में होता है।” यह बयान न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि एक आदिवासी अधिकारी की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला भी है। इस प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल न केवल एक व्यक्ति विशेष के लिए, बल्कि पूरे आदिवासी समाज के खिलाफ अपमानजनक भावना को प्रदर्शित करता है।
पीड़ित रेंजर ने कहा, “यह घटना मेरे लिए अत्यधिक अपमानजनक और मानसिक रूप से परेशान करने वाली है। मैंने इसे लेकर वन विभाग के आला अधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस तरह के भेदभावपूर्ण व्यवहार से मेरा काम करने में मन नही लग रहा है।
बताया जाता है कि वन विभाग के कर्मचारियों के बीच मामले को लेकर काफी नाराजगी है। रेंजर संघ ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है और अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर इस मामले पर जल्द से जल्द उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे व्यापक स्तर पर आंदोलन कर सकते हैं। संघ के अनुसार,आदिवासी समुदाय के सदस्यों के साथ ऐसा भेदभावपूर्ण व्यवहार अस्वीकार्य है, और इसे हर हाल में समाप्त किया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में, जहां राज्य के मुख्यमंत्री खुद एक आदिवासी हैं, वहां इस तरह की घटनाएं सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं। राज्य में आदिवासी समुदाय को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं और नीतियां चलाई जा रही हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं उन प्रयासों को कमजोर करती हैं। यह मामला सरकार के सामने आदिवासी समाज के सम्मान और उनके अधिकारों के संरक्षण से जुड़े सवाल खड़े करता है।
वन विभाग के अधिकारियों ने इस मामले को लेकर चुप्पी साध ली है । लेकिन इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि अब भी समाज के एक हिस्से में जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न की गहरी जड़ें मौजूद हैं।
पीड़ित रेंजर और वन विभाग के कर्मचारियों को आशा जताई है कि जल्द से जल्द उन्हें न्याय मिलेगा, और इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।