घरघोड़ा अनुविभाग तमनार क्षेत्र में भू-जल स्तर गिरा, सूख गए लगभग 746 हैंडपंप
रायगढ़ जिले में सात ब्लॉकों में धरमजयगढ़ के अलावा सभी को भूजल स्तर में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। मई खत्म नहीं हुआ है और इधर 746 हैंडपंप सूख चुके हैं। भूजल स्तर में गिरावट बहुत तेजी से हो रहा है। मई अंत तक पुसौर और तमनार क्षेत्र में आधे हैंडपंप सूख जाएंगे। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने पुसौर ब्लॉक को सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में रखा है। पुसौर में जल स्तर 45 मीटर तक जा चुका है। यही हाल तमनार और खरसिया का भी है।सबसे ज्यादा खराब हालत पुसौर और तमनार की
अब तक पुसौर और तमनार की स्थिति सबसे ज्यादा क्रिटिकल है। पुसौर में 1087 हैंडपंपों में से 204 सूख गए हैं। तमनार में 1987 में से 227 सूखे पड़े हैं। रायगढ़ में 1389 में से 193 पंप बंद हो गए। बाकी तहसीलों में कम हैंडपंप सूखे हैं। जल जीवन मिशन से कुछ बदलाव आने की उम्मीद है। घरों में हैंडपंप से भूजल दोहन में कमी आ सकती है।
साल दर साल भूजल स्तर गिरता जा रहा है। पहले एक-दो ब्लॉक में ही इसका असर दिखता था। लेकिन अब गर्मियों में कई क्षेत्रों में हैंडपंप ड्राई हो रहे हैं। अप्रैल में ही 746 हैंडपंप सूख चुके हैं। पानी को लेकर हाहाकार मचने वाला है। छग में पानी की सबसे ज्यादा खपत खेती में होती है। धान को बहेत ज्यादा पानी की जरूरत होती है। खरीफ के साथ रबी में भी किसान धान ही लगाते हैं। वैकल्पिक खेती को लेकर अब भी संशय है। इसके अलावा उद्योग और घरों में भी भूजल दोहन हो रहा है। मार्च तक भूजल स्तर जैसे-तैसे चलता है। लेकिन उसके बाद गिरावट का सिलसिला शुरू होता है।