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कर्तव्य, अनुशासन और समाजसेवा की मिसाल: सुरक्षा अधिकारी से जशपुर के DSP (सुरक्षा) तक का प्रेरक सफर

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़/जशपुर पुलिस सेवा में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो केवल पदों से नहीं बल्कि अपने काम, आचरण और सामाजिक सरोकारों से पहचाने जाते हैं। ऐसा ही एक नाम उस अधिकारी का है, जिन्होंने माननीय पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के साथ वर्षों तक सुरक्षा अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए भरोसे, अनुशासन और निष्ठा की ऐसी मिसाल कायम की, जिसे आज भी याद किया जाता है।

वर्ष 2008 से 2018 के बीच, जब छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक और सुरक्षा दृष्टि से कई चुनौतियों से गुजर रहा था, उस दौर में मुख्यमंत्री की सुरक्षा जैसे संवेदनशील दायित्व को निभाना आसान नहीं था। लेकिन अपने शांत स्वभाव, सतर्कता और पेशेवर दक्षता के कारण यह अधिकारी उस विश्वास पर खरे उतरे। इसी सेवा अवधि में उप पुलिस अधीक्षक (DSP) के रूप में पदोन्नति मिलने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा स्वयं बैच लगाकर सम्मानित किया जाना, उनके समर्पित सेवाकाल की सार्वजनिक स्वीकृति थी।

समय के साथ उनकी जिम्मेदारियां बढ़ती गईं। हाल ही तक वे 6वीं वाहिनी में सहायक सेनानी (DSP रैंक) के पद पर कार्यरत रहे। अब शासन द्वारा उन्हें जिला जशपुर में उप पुलिस अधीक्षक (सुरक्षा) के पद पर स्थानांतरित कर नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। जशपुर जैसे संवेदनशील और भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण जिले में सुरक्षा दायित्व संभालना, उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता पर भरोसे का संकेत माना जा रहा है।

हालांकि उनकी पहचान केवल वर्दी और पद तक सीमित नहीं रही। रायगढ़ जिले में पदस्थापना के दौरान उन्होंने समाज के उस हिस्से पर ध्यान केंद्रित किया, जो अक्सर व्यवस्था की प्राथमिकताओं से बाहर रह जाता है। जरूरतमंद बच्चों और युवाओं के लिए उन्होंने SSEWA Group का गठन किया, जिसका उद्देश्य शिक्षा, करियर मार्गदर्शन और सामाजिक जागरूकता को जमीनी स्तर तक पहुंचाना रहा। यह कोई औपचारिक पहल नहीं थी, बल्कि स्वयं मैदान में उतरकर, युवाओं से संवाद कर, उनके सवालों और संघर्षों को समझने का प्रयास था।

इसी क्रम में वे “सृष्टि – द डिफेन्स एकेडमी, पुसौर (रायगढ़)” से भी जुड़े और प्रमुख मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। यहां उन्होंने युवाओं को डिफेन्स, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और पुलिस सेवाओं की तैयारी के लिए न केवल प्रेरित किया, बल्कि अनुशासन, राष्ट्रभक्ति और सेवा भावना का महत्व भी समझाया। कई युवा आज विभिन्न सुरक्षा बलों में चयनित होकर उसी प्रेरणा को आगे बढ़ा रहे हैं।

वरिष्ठ प्रशासनिक और सामाजिक जानकारों का कहना है कि ऐसे अधिकारी व्यवस्था और समाज के बीच सेतु का काम करते हैं। एक ओर जहां वे कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज के भविष्य—यानी युवाओं—को दिशा देने का प्रयास भी करते हैं।

जशपुर में नई जिम्मेदारी संभालते हुए उनसे न केवल मजबूत सुरक्षा व्यवस्था, बल्कि वही मानवीय दृष्टिकोण और सामाजिक संवेदनशीलता की भी उम्मीद की जा रही है, जो अब तक उनके कार्यकाल की पहचान रही है।
निस्संदेह, यह सफर बताता है कि सच्ची सेवा वही है, जो कर्तव्य के साथ समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व को भी समान महत्व दे।


इस पूरे संघर्ष और सफलता के सफर में उनका पारिवारिक संबल भी उतना ही महत्वपूर्ण रहा है। उनके माता–पिता के आशीर्वाद ने हर मोड़ पर उन्हें नैतिक शक्ति और संस्कार दिए, वहीं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती निशा चौहान ने जीवन के हर पड़ाव पर कदम से कदम मिलाकर साथ निभाया। व्यस्त और चुनौतीपूर्ण सेवा जीवन के बावजूद परिवार की जिम्मेदारियों को संतुलित करते हुए उनका निरंतर सहयोग इस बात का प्रमाण है कि किसी भी अधिकारी की सफलता के पीछे एक मजबूत और समर्पित परिवार की भूमिका अहम होती है।

करीबी जानकारों के अनुसार, कठिन परिस्थितियों और लंबे सेवा काल में परिवार का यह विश्वास और साथ ही उन्हें निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहा है।

Amar Chouhan

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